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डोनाल्ड ट्रंप ने अपने ही देश में सेना क्यों उतार दी है? समझिए पूरा केस

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने ही देश के एक राज्य कैलिफोर्निया में नेशनल गार्ड्स भेज दिए हैं। यह मामला अब इतना गंभीर हो गया है कि कैलिफोर्निया ने इस फैसले को चुनौती दे दी है।

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कैलिफोर्निया में उतरे नेशनल गार्ड्स, Photo Credit: PTI

अमेरिका के लॉस एंजेलिस में हिंसक विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। दुकानों और गाड़ियों में आग लगाई जा रही है। हालात इतने ख़राब हैं कि अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने बिना गवर्नर की सलाह लिए 2 हज़ार नेशनल गार्ड तैनात करने के आदेश दिए हैं। अमेरिकी कानून के मुताबिक, राज्य का गवर्नर नेशनल गार्ड का कमांडर इन चीफ़ होता है और वही उनकी तैनाती कर सकता है लेकिन ट्रंप ने बिना गवर्नर कि रज़ामंदी से ऐसा कर दिया है। कई दशकों बाद यह नियम अमेरिका में तोड़ा गया है। ऐसा पिछली बार 1965 में हुआ था इसलिए कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूसम की ट्रंप से तू-तू मैं-मैं भी चल रही है।

 

इसके बावजूद, डोनाल्ड ट्रंप नेशनल गार्ड की तैनाती तक ही नहीं रुके हैं। उन्होंने कहा है कि ज़रूरत पड़ी तो हम लॉस एंजेलिस में सेना भी तैनात करेंगे। अमेरिका के रक्षा मंत्री पीट हेगज़थ ने तो सेना को हाई अलर्ट पर रख भी लिया है। अब सवाल उठता है कि अमेरिका में ऐसे हालात बने कैसे? वहां लोग प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं और ट्रंप की कैलिफोर्निया के गवर्नर के साथ क्या लड़ाई क्यों हुई? आइए सब समझते हैं।

 

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लॉस एंजेलिस और अरेस्ट वॉरंट

 

लॉस एंजेलिस शहर में फैशन डिस्ट्रिक्ट नाम का एक इलाका पड़ता है। यहां बहुत बड़ा कपड़ों का मार्केट है। सस्ते दामों में यहां कपड़े मिलते हैं। व्यापारी और लोकल दोनों तरह के लोग यहां ख़रीदारी करने आते हैं। कहा जाता है कि इस इलाक़े में ज़्यादातर व्यापारी अमेरिका के बाहर से आते हैं। इसी इलाके में रहने वाले कुछ लोगों के खिलाफ़ 6 जून को अरेस्ट वारेंट निकाला गया। यह वारेंट निकालने वाली यूनिट थी इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट यानी ICE। यह यूनिट अमेरिका के गृह मंत्रालय के निर्देश पर काम करती है। कस्टम, ट्रेड और इमिग्रेशन से जुड़े काम यह यूनिट देखती है। ट्रंप 2.0 में अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे विदेशी नागरिकों पर कार्रवाई टॉप प्रायोरिटी पर है। इसके साथ अमेरिकी यूनिवर्सिटीज़ में पढ़ रहे ऐसे छात्रों को भी निशाना बनाया जा रहा है, जो ट्रंप सरकार की आलोचना में शामिल रहे थे। यह काम हो रहा है ICE के ज़रिए। 

 

नेशनल गार्ड्स के सामने प्रदर्शन करते लोग, Photo Credit: PTI

 

 

यही ICE फैशन डिस्ट्रिक्ट के एक कपड़े के गोदाम में छापे मारी करने वाली थी। आरोप यह कि उस गोदाम में काम करने वाले कई लोग जाली दस्तावेज बनाकर वहां अवैध रूप से रह रहे थे। वे लोग अमेरिका के नहीं हैं बाहर से आए हैं। CBS न्यूज़ के मुताबिक, जब ICE के अधिकारी गिरफ्तारी के लिए पहुंचे तो भीड़ ने उन्हें रोका, जिसके बाद ICE की लोकल लोगों से झड़प भी हुई लेकिन ICE इस इलाके से कम से कम 100 लोगों को गिरफ्तार करके ले गई। यहीं से पूरे घटनाक्रम की शुरुआत हुई। इस गिरफ्तारी के कुछ देर बाद शहर में एक अफवाह फैली। अफवाह यह कि डोनाल्ड ट्रंप बड़े पैमाने पर गिरफ्तारी का कैंपेन चला रहे हैं। ICE के अधिकारियों ने दर्जनों लोगों को गिरफ्तार कर बंदी बना लिया है और उन्हें एक सरकारी इमारत के भीतर बंद कर रखा है। जैसे ही यह अफवाह फैली हजारों की तादाद में प्रदर्शनकारी उस सरकारी इमारत के पास इकठ्ठा हो गए और प्रोटेस्ट शुरू कर दिया।

 

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यह प्रोटेस्ट तो चल ही रहा था पर अगले ही दिन लॉस एंजेलिस के कुछ और इलाकों में ICE ने लोगों की गिरफ्तारी की और उन्हें अवैध शरणार्थी बता दिया। इससे वहां के लोकल लोगों में भी डर फैल गया कि कहीं ICE उन्हें भी गिरफ्तार न कर ले और इस तरह लॉस एंजेलिस के अलग-अलग इलाकों में प्रोटेस्ट शुरू हो गए। अब इसे रोकने के लिए लॉस एंजेलिस की लोकल एडमिनिस्ट्रेशन ने भी कोशिश की। लोकल पुलिस तैनात की। जब लोग सड़क से नहीं हटे तो पुलिस ने आंसू गैस के गोले चलाने शुरू किए। इससे प्रदर्शनकारी और भड़क गए।

 


इस घटना के बाद डोनाल्ड ट्रंप और लॉस एंजेलिस का लोकल एडमिनिस्ट्रेशन आमने-सामने आ गया। लॉस एंजेलिस के लोकल लीडर्स का कहना था कि लोग घबराए हुए हैं इसलिए वे प्रदर्शन कर रहे हैं। यहां के आम लोगों को भी डर लग रहा है कि ICE के लोग उन्हें भी गिरफ्तार कर सकते हैं। इसलिए लोग सड़क पर हैं।

 

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कौन कर सकता है नेशनल गार्ड की तैनाती?

 

फिर 7 तारीख़ को ट्रंप ने 2 हज़ार नेशनल गार्ड को लॉस एंजेलिस भेजने का आदेश दिया। इसपर कैलीफोर्निया के गवर्नर ने आपत्ति जताई और कहा, 'ट्रंप को अपना फैसला वापस लेना चाहिए, हम इस मसले को शांति से निपटाना चाहते हैं।' नेशनल गार्ड, अमेरिकी सैनिकों की रिज़र्व सैनिकों की ही एक टुकड़ी होती है। इनकी तैनाती के आदेश गवर्नर दे सकते हैं। गवर्नर ही नेशनल गार्ड के कमांडर इन चीफ होते हैं। आप जानते हैं कि अमेरिका में कुल 50 राज्य हैं। इन राज्यों के पास अपने अपने कुछ विशेष अधिकार भी होते हैं और इन राज्यों की कमान होती है गवर्नर के पास, जिसका चुनाव अलग से होता है। कैलीफोर्निया भी अमेरिका का एक राज्य है और यहां के गवर्नर हैं गेविन न्यूसम। जो आते हैं ट्रंप की विरोधी डेमोक्रेटिक पार्टी से।

 

लॉस एंजेलिस में जुटे प्रदर्शनकारी, Photo Credit: PTI

 

 

उन्होंने ही ट्रंप के नेशनल गार्ड की तैनाती के आदेश को ग़लत बताया है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि अमेरिका का राष्ट्रपति नेशनल गार्ड को तैनाती के आदेश नहीं दे सकता। कुछ विशेष परिस्थिति में इसकी इजाज़त भी होती है। विशेष परिस्थिति जैसे देश में कोई इमरजेंसी लग गई हो या किसी दूसरे देश के साथ युद्ध हो रहा हो। जो कि इस केस में बिल्कुल नहीं था। इसलिए ट्रंप ने  टाइटल 10 अथॉरिटी का इस्तेमाल कर ये आदेश दिए हैं और अगले 60 दिनों तक इसकी कमांड रक्षा मंत्री को सौंप दी है।

 

बहरहाल, ट्रंप को आलोचनाओं से कहां ही फर्क पड़ता है। उन्होंने एक कान से सुना और एक कान से निकाल दिया। उल्टा एक दिन बाद गवर्नर गेविन न्यूसम और लॉस एंजेलिस की सिटी मेयर कैरन बेस को ही डांट लगानी शुरू कर दी। कैरन भी डेमोक्रेटिक पार्टी की टिकट से सिटी मेयर का चुनाव जीती थीं। यानी राज्य और शहर दोनों के प्रतिनिधि उनके विरोधी पार्टी के थे। इसलिए भी ट्रंप उनसे खुन्नस निकाल रहे थे।

8 जून को उन्होंने ट्रुथ सोशल पर लिखा, 'आप दोनों से काम नहीं हो रहा है। ये बात सभी जानते हैं। इसलिए मेरी सरकार ने इस मामले में हाथ लगाया है। हम जानते हैं दंगाइयों और लुटेरों को कैसे काबू में लाया जाता है। आप दोनों को लॉस एंजेलिस के लोगों से माफ़ी मांगनी चाहिए।'जबसे ये प्रदर्शन शुरू हुए हैं ट्रंप लगभग आधे दर्जन पोस्ट इस बारे में लिख चुके हैं।

 

एक पोस्ट में ट्रंप लिखते हैं, 'लॉस एंजेलिस जो कभी महान अमेरिकी शहर हुआ करता था। उसपर अपराधियों और और विदेश से आए अवैध लोगों ने कब्ज़ा कर लिया है। यहां की हिंसक और विद्रोही भीड़ हमारे अधिकारियों पर हमले कर रही है। हमारे कैंपेन को रोकने की कोशिश कर रही है। वह कैंपेन जिनमें हम अवैध लोगों को अमेरिका से बाहर करना चाहते हैं। मैंने रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय और अटॉर्नी जनरल के साथ इस मसले पर मीटिंग की है। इसमें मैंने आदेश दिए हैं कि लॉस एंजेलिस को जल्द से जल्द प्रवासी आक्रमण से मुक्त करवाया जाए और इसके लिए जो भी कदम उठाने पड़ें उठाए जाएं। व्यवस्था बहाल की जाएगी, अवैध लोगों को निष्कासित किया जाएगा और लॉस एंजेलिस को आज़ाद किया जाएगा।'

 

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ट्रंप की भाषा तो ऐसी लग रही थी जैसी वह किसी देश की आज़ादी के लिए भाषण दे रहे हों। शायद वह भूल गए कि ये भी उन्हीं के लोग हैं, उन्हीं के देश का हिस्सा हैं। बहरहाल, 8 जून को एक और पोस्ट में ट्रंप ने नेशनल गार्ड की तारीफ की और लिखा, 'रेडिकल लेफ्ट के प्रोटेस्ट अब इस देश में सहन नहीं किए जाएंगे। अब किसी भी प्रोटेस्ट में लोगों को मास्क लगाकर आने की इजाज़त नहीं होगी। ये लोग मास्क क्यों लगाते हैं? इन्हें किस चीज़ से डर लगता है।'

 

ट्रंप का इमिग्रेशन के मुद्दे पर कड़ा रवैया कोई नई बात नहीं है। वह बरसों से अमेरिका से अवैध शरणार्थियों को बाहर निकालने कि वकालत कर रहे हैं। 

 

टाइमलाइन देखिए


- 2016 वाले राष्ट्रपति चुनाव के कैम्पेन में उन्होंने मैक्सिको से आने वाले अप्रवासियों को क्रिमिनल और रेपिस्ट कह दिया था।
- ट्रंप ने उसी चुनावी कैम्पेन में कहा था कि वह मैक्सिको वॉल को आगे बढ़ाएंगे और उसके कंस्ट्रक्शन की कीमत भी मैक्सिको से ही वसूलेंगे।
- 2017 में उन्होंने ICE की शक्तियां बढ़ा दीं और हज़ारों की संख्या में लोगों के घर रेड करवाई।
- अप्रैल 2018 में ट्रंप फैमिली सेप्रेशन पॉलिसी लेकर आए। इसके तहत बॉर्डर पार करते वक्त पकड़े गए माता-पिता और उनके बच्चों को अलग कर दिया गया। मानवाधिकार संगठनों ने इकी आलोचना की। आलोचना की, हजारों बच्चों को उनके माता-पिता से अलग कर डिटेंशन सेंटर में रखा गया।
- 2019 में ट्रंप ने H1-B वीज़ा की शर्तें सख्त की गईं, जिससे भारतीय आईटी वर्कर्स पर असर पड़ा।
- 2024 के चुनावी कैम्पेन में तो ट्रंप ने इमिग्रेशन को सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था। वह कहते थे कि मैं राष्ट्रपति बना तो सभी अवैध लोगों को देश से बाहर भेज दूंगा।
- एक प्रेसिडेंशियल डिबेट में तो उन्होंने यह तक दावा कर दिया कि बाहर से आए लोग कुत्ता बिल्ली खाते हैं। बाद में कुछ मीडिया हाउस ने फैक्ट चेक करके इसे ग़लत बताया।
- जनवरी 2025 में ट्रंप दूसरी बार प्रेसिडेंट बन गए। शपथ लेने के पहले ही दिन उन्होंने मैक्सिको बॉर्डर पर इमरजेंसी घोषित की। मैक्सको वॉल की सुरक्षा बढ़ा दी।
- पिछले ही हफ्ते उन्होंने 12 देश से आने वाले वाले नागरिकों कि एंट्री पर रोक लगा दी थी

 

अब पहला मौका पड़ा है जब इमिग्रेशन को लेकर उनका सामना किसी बड़े प्रोटेस्ट से हुआ है और वह इसपर पूरी सख्ती से पेश आ रहे हैं। अमेरिका की गृह मंत्री क्रिस्टी नोएम ने कहा कि हम 2020 में ब्लैक लाइव मैटर्स जैसी गलती नहीं होने देंगे। उन्होंने दावा किया कि उस प्रदर्शन को बाइडन कंट्रोल नहीं कर पाए थे। उसे बगैर किसी रोक-टोक के फैलने दिया गया लेकिन नया ट्रंप प्रशासन ऐसे मामलों से अलग तरह से निपटने जा रहा है।

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