दुनिया के तमाम देशों की संसद कानून बनाती हैं कि कैसे लोगों के जीवन को बेहतर बनाया जा सके। उन्हें बेहतर सुविधाएं दी सकें, शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी नई-नई नीतियां लाई जा सकें ताकि समाज और अच्छा बन सके। अब इंग्लैंड में मौत का अधिकार देने की तैयारी की जा सके। यह भले ही हैरान करने वाला लगे लेकिन इंग्लैंड की संसद में बाकायदा इसके फायदे नुकसान पर चर्चा हो रही है और इसके पक्ष और विरोध में अलग-अलग तरह के तर्क भी रखे जा रहे हैं। अगर संसद में यह प्रस्ताव पारित होकर कानून बनता है तो वे लोग अपनी मर्जी से मर सकेंगे जो इस हद तक बीमारी हों कि अगले 6 महीने में उनकी मौत हो सकती हो।
बिल के प्रस्तावों के मुताबिक, इसका इस्तेमाल वे लोग कर पाएंगे जो मानसिक रूप से स्वस्थ हों। यानी वे खुद इसका फैसला कर सकें कि वे मरना चाहते हैं या नहीं। इसके प्रावधानों की वजह से ही इंग्लैंड में इसको लेकर बहस छिड़ गई है। इस बिल का विरोध करने वाले सांसदों का कहना है कि इसका दुरुपयोग किए जाने की आशंका ज्यादा होगी। खैर, यह भी प्रस्ताव है कि अगर किसी केस में यह पाया जाता है कि किसी शख्स पर मरने के लिए दबाव बनाया जा रहा है तो मरने का दबाव बनाने वाले शख्स को 14 साल की जेल हो सकती है।
स्वेच्छा से कैसे मिलेगी मौत?
प्रस्तावित बिल के मुताबिक, स्वेच्छा से मरने की कुछ शर्तें होंगी और तय प्रक्रिया के तहत ही यह काम हो सकेगा। जो भी शख्स स्वेच्छा से मौत पाना चाहेगा उसे दो अलग-अलग एफिडेविट बनाने होंगे। ये दोनों ही एफिडेविट कुछ गवाहों की मौजूदगी में बनेंगे और इस पर उस शख्स के दस्तखत भी होंगे जो मरना चाहेगा। यह काम हो जाने के बाद दो डॉक्टर इस ऐप्लिकेशन को वेरिफाई करेंगे कि जो शख्स मरना चाहते है, वह असल में ऐसी स्थिति में है कि उसका मर जाना ही उचित रहेगा। इसके बाद एक हाई कोर्ट जज भी डॉक्टर से बात करेगा। वह मरने के लिए आवेदन देने वाले शख्स से भी बात कर सकेगा।
अब तक के प्रस्ताव के मुताबिक, यह प्रक्रिया पूरी करने में 7 से 14 दिन तक लग सकता हैं। हालांकि, अगर किसी की मौत नजदीक लगे तो यह काम 48 घंटे में भी किया जा सकता है। मौजूदा समय में इंग्लैंड के नियमों के मुताबिक, खुद से मरने के लिए कोई मेडिकल मदद नहीं ले सकता है। लेबर पार्टी की सांसद किम लीडबीटर इस बिल को लेकर आई हैं और इसका नाम टर्मिनली इल अडल्ट्स (एंड ऑफ लाइफ) बिल है। यह एक प्राइवेट मेंबर मिल है।
कानून बनेगा कैसे?
किसी भी बिल को कानून में बदलने के लिए उसका संसद में पास होना जरूरी है। इंग्लैंड में सभी सांसद इसको लेकर अपनी मर्जी से वोट कर सकते हैं और उन्हें पार्टी लाइन का पालन करने की जरूरत नहीं है। यही वजह है कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह बिल पास हो पाएगा या नहीं। दरअसल, 2015 में भी ऐसा ही एक बिल लाया गया था लेकिन तब यह बिल वहां की संसद में पास नहीं हो पाया था। मौजूदा प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने पहले कहा था कि वह कानून में बदलाव के समर्थक हैं। कई और सांसदों ने कहा है कि वे इस बिल के समर्थन में हैं।