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क्या अफगानिस्तान में फैल जाएगी अराजकता? ईरान ने खड़ा किया नया संकट

ईरान और इजरायल के बीच 12 दिनों तक चला युद्ध अफगान शरणार्थियों के लिए संकट बनकर उभरा है। ईरान में उन्हें न केवल निशाना बनाया जा रहा, बल्कि देश से भी निकाला जा रहा है।

Afghan refugee crisis.

अफगान शरणार्थियों को निकाल रहा ईरान। (AI Generated Image)

अपना घर-द्वार छोड़ने वाले अफगानों की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। पाकिस्तान के बाद अब पड़ोसी देश ईरान ने अफगान शरणार्थियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। अप्रैल महीने में पाकिस्तान ने सिर्फ दो हफ्ते के भीतर 80 हजार से अधिक अफगानियों को देश से निकाल दिया था। उधर, ईरान भी अब तक लाखों अफगानियों को निकाल चुका है। इजरायल से संघर्ष के बाद तेहरान ने अफगान नागरिकों पर और सख्ती बढ़ा दी है। बड़ी संख्या में नागरिकों के लौटने से अफगानिस्तान में नया संकट खड़ा हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र के डेटा के मुताबिक साल 2025 में ईरान और पाकिस्तान से लगभग 12 लाख अफगान नागरिक लौट चुके हैं।

 

इजरायल के साथ युद्ध के बीच ईरान ने अफगानिस्तान के शरणार्थियों और प्रवासियों को 6 जुलाई तक देश छोड़ने का आदेश दिया था। इसके बाद गिरफ्तारी की चेतावनी दी गई थी। ईरान ने सबसे पहले साल 2023 में विदेशी नागरिकों को निकालने का अभियान शुरू किया था। मार्च 2025 में भी ईरान ने अफगान नागरिकों से स्वेच्छा से देश से निकलने का आदेश दिया था। मगर इजरायल के साथ युद्ध के बीच सुरक्षा कारणों से इसमें तेजी लाई गई। 

अफगानों को क्यों निकाल रहा ईरान?

ईरान अवैध रूप से रहने वाले अफगान नागरिकों निकाल रहा है। उसका तर्क है कि वैध दस्तावेज के साथ रहने वाले अफगानों नहीं निकाला जा रहा है। मगर इस बीच दशकों से वहां रहने वाले अफगानों को भी निर्वासित किया गया है। इजरायल के साथ संघर्ष के दौरान ईरानी अधिकारियों का शक है कि अफगान नागरिकों ने इजरायल के लिए जासूसी की है। अफगान नागरिकों का कहना है कि ईरानी पुलिस ने उन्हें उनके ऑफिस और कार्यस्थल से उठा लिया। कुछ लोगों को सड़क से ही पकड़ लिया और जबरन बसों में भरकर सीमा पार छोड़ दिया गया। 

 

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3.60 लाख अफगानों को निर्वासित किया

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) की रिपोर्ट बताती है कि अब तक लगभग 14 लाख अफगान नागरिक अपने वतन लौट चुके हैं। सिर्फ जून महीने में ही 230000 से अधिक लोगों ने ईरान छोड़ा है। ईरान ने 366000 से अधिक अफगानों को निर्वासित भी किया है। 26 जून को ईरान ने एक दिन में सर्वाधिक 36100 अफगान नागरिकों को निकाला था। 13 जून को इजरायल ने ईरान पर हमला किया था। इसके बाद से ही अफगानों का निकालने का सिलसिला बढ़ता जा रहा है। 

अफगानों के सामने कौन सा संकट?

अफगानिस्तान अभी पूरी तरह से अपने पैरों पर खड़ा भी नहीं हो पाया है। अब शरणार्थी संकट ने उसके सामने नई मुश्किल खड़ी कर दी है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक बड़े पैमाने पर अफगान नागरिकों की वापसी से अफगानिस्तान अस्थिर फैल सकती है। आशंका यह है कि ईरान और पाकिस्तान से निकाले जा रहे अफगान नागरिक यूरोप का रुख कर सकते हैं। जबरन निकासी से क्षेत्र में अस्थिरता की आशंका है। इन सबके अलावा कई अन्य मानवीय संकट खड़े होंगे। जैसे- 

  • भुखमरी
  • बेरोजगारी 
  • बीमारी फैलने का खतरा
  • अशिक्षा 
  • खाद्यान संकट
  • पेयजल संकट
  • कुपोषण का खतरा
  • लड़कियों का शोषण
  • मौलिक अधिकारों का हनन
  • अपराध में इजाफा

कहां सबसे ज्यादा अफगान शरणार्थी?

यूएनएचसीआर के डेटा के मुताबिक साल 2023 तक दुनियाभर में अफगान शरणार्थियों की संख्या 6.4 मिलियन थी। अफगानिस्तान की आधी से अधिक आबादी को सुरक्षा और मानवीय सहायता की सख्त जरूरत है। दुनियाभर में लगभग एक करोड़ अफगान लोगों को विस्थापन का सामना करना पड़ा। यूएनएचसीआर के ग्लोबल ट्रेंड्स रिपोर्ट- 2023 का डेटा बताता है कि लगभग 64 लाख अफगान नागरिक शरणार्थियों के तौर पर अपने पड़ोसी देशों में शरण ले रखी है। सबसे अधिक 54 लाख अफगान ईरान में हैं। 

क्यों अफगानों को छोड़ना पड़ा था अपना देश?

तालिबान ने अगस्त 2021 में अफगानिस्तान की सरकार पर कब्जा जमाया। इसके बाद बड़ी संख्या में लोगों को अपना वतन छोड़ना पड़ा था। अमेरिका ने तालिबान के खिलाफ मदद करने वाले अफगानों को नागरिकता देने की बात कही थी, लेकिन ट्रंप के सत्ता में आने के बाद वह भी मुकर गया। तालिबान के सत्ता में आने के बाद देश में बढ़ती हिंसा, अस्थिरता, गरीबी, भोजन संकट, प्राकृतिक आपदा, जल संकट के कारण लोगों को मजबूरी में अपना देश छोड़ना पड़ा। 2021 से पहले तालिबान के साथ युद्ध के कारण बड़ी संख्या में लोगों ने दूसरे देशों शरण ली थी।

डराने वाला है अफगानिस्तान डेटा

यूएनएचसीआर के डेटा के मुताबिक अफगानिस्तान में 4 करोड़ से अधिक आबादी के सामने गंभीर खाद्य संकट खड़ा है। देशभर में लगभग 2.37 करोड़ लोगों को सुरक्षा और मानवीय सहायता की आवश्यकता है। 2024 तक डेटा के मुताबिक लगभग 65 लाख बच्चे भुखमरी की कगार पर खड़े हैं। लगभग 24 लाख लोग अकाल से सिर्फ एक कदम की दूरी पर हैं। यहां लगभग 29 लाख बच्चे गंभीर कुपोषण से पीड़ित हैं। अफगानिस्तान जल संकट से भी जूझ रहा है। एक अनुमान के मुताबिक काबुल 2030 तक पानी जल विहीन हो सकता है।   

 

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अफगान परिवारों को एक बार फिर से उजाड़ा जा रहा है। वह बेहद कम सामान के साथ आ रहे हैं। थके, भूखे शरणार्थी इस बात से डरे हैं कि एक ऐसे देश में उनका क्या होगा, जहां उनमें से कई ने कभी पैर भी नहीं रखा है। महिलाएं और लड़कियां परेशान हैं, उन्हें बाहर निकलने की आजादी, शिक्षा और रोजगार के अधिकारों पर प्रतिबंधों का डर सता रहा है।

अराफात जमाल, काबुल में यूएनएचसीआर प्रतिनिधि। 

पाकिस्तान हजारों अफगानों को निकाल चुका

ईरान के अलावा पाकिस्तान हजारों की संख्या में अफगान नागरिकों को निर्वासित कर चुका है। पाकिस्तान की सरकार विदेशी नागरिकों पर नकेल कस रही है। खासकर अफगान नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा है। तालिबान शासन के बाद बड़ी संख्या में अफगान नागरिकों ने पाकिस्तान में शरण ली थी। उन्हें अफगानिस्तान में गिरफ्तारी और दमन का डर था। तालिबान के खिलाफ अमेरिका को मदद पहुंचाने वाले कई लोगों ने भी पाकिस्तान में शरण ली थी। पाकिस्तान ने इसी साल 30 अप्रैल तक अवैध रूप से रहने वाले अफगानियों को लौटने का आदेश जारी किया था। एक महीने में लगभग 80,000 अफगानों को पाकिस्तान से वापस भेजा गया।

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