पाकिस्तान की सेना 9 मई के नाम पर खौफ खाती है। दो साल पहले इसी दिन पाकिस्तान की सड़कों पर वहां की जनता ने सेना के खिलाफ बड़ा विद्रोह किया था। विद्रोह के पीछे की वजह पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी थी। जिस सेना की मदद से जुलाई 2018 में इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे, अब उसी सेना के सबसे बड़े विलेन हैं। इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के कार्यकर्ताओं ने पूरे पाकिस्तान में सेना के खिलाफ विद्रोह किया था। इस्लामाबाद के डी-चौक से पेशावर तक खूब उत्पात मचाया था। इन हमलों से पाकिस्तान की सेना पूरी तरह से हिल गई थी।
3 अप्रैल 2022 को इमरान खान ने अविश्वास प्रस्ताव से ठीक पहले ही संसद को भंग कर दिया था। तब उन्होंने दावा किया था कि इसके पीछे अमेरिका है। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इमरान खान के पक्ष में फैसला सुनाया और संसद को बहाल कर दिया। मगर 10 अप्रैल को पारित अविश्नास प्रस्ताव के बाद इमरान खान को अपने पद से हटना पड़ा था। 21 अक्तूबर को पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने इमरान खान को भ्रष्ट आचरण का दोषी माना और उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया। बाद में 3 नवंबर को इमरान खान पर वजीराबाद में एक रैली के दौरान जानलेवा हमला किया गया। मगर उनकी जान बच गई। इमरान खान ने हमले का आरोप आईएसआई पर लगाया। उस वक्त आईएसआई की कमान आसिम मुनीर के हाथ में थी। 9 मई को विद्रोह के वक्त मुनीर सेना प्रमुख बन चुके थे।
हिल गई थी पाकिस्तान की सेना
9 मई 2023 को इमरान खान के खिलाफ इस्लामाबाद की एक कोर्ट में सुनवाई थी। यहां भ्रष्टाचार के मामले में इमरान खान को गिरफ्तार कर लिया गया। यहां से ही पाकिस्तान में सेना के खिलाफ विद्रोह उपजा था। इमरान खान के समर्थकों ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया। सेना के काफिले पर हमले किए। सेना से जुड़े ठिकानों और छावनियों को निशाना बनाया। युद्ध स्मारकों में तोड़फोड़ की। अपनी जनता के हमले से पाकिस्तान की सेना हिल उठी थी। आसिम मुनीर को कुछ सूझ नहीं रहा था। पाकिस्तान की सेना कोई प्रतिक्रिया देने की स्थिति में नहीं थी। मगर बाद में सेना ने पीटीआई कार्यकर्ताओं को पकड़-पकड़ के जेल में डाला। इमरान खान भी को भी जेल भेजा गया। उनके खिलाफ 100 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं।
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9 मई को क्या-क्या हुआ था?
नौ मई को इमरान खान के समर्थकों ने सेना के खिलाफ पूरे पाकिस्तान में तांडव मचाया था। पाकिस्तान की सेना के खिलाफ ऐसा विद्रोह 1971 के बाद पहली बार हुआ था। इमरान समर्थकों ने सेना मुख्यालय, सैन्य अफसरों के घरों, पीएम आवास और एयरबेस तक हमला किया था। जिन्ना हाउस और मिलिट्री स्कूल पर आगजनी की गई थी। रेडिया पाकिस्तान की इमारत पर हमला किया गया। मियांवली एयरबेस को भी उपद्रवियों ने निशाना बनाया था। तत्कालीन गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह के घर पर पथराव और कई थानों पर फायरिंग की गई थी। एक अनुमान के मुताबिक इमरान खान के समर्थकों ने लगभग 25 करोड़ की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया था।
बाजवा से क्यों बिगड़े इमरान के रिश्ते?
एक समय इमरान खान पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा के करीबी थे। मगर जब उन्हें पद से हटाया जाने लगा तो इमरान खान ने चुपचाप जाने की बजाय खुलकर सेना के खिलाफ बोलने लगे। लोगों को सेना के खिलाफ एकजुट किया। इसी का नतीजा रहा कि पाकिस्तान में सेना के खिलाफ इतिहास का सबसे बड़ा विद्रोह भड़का। बताया जाता है कि विदेश मामले, अर्थव्यवस्था और अमेरिका के साथ इमरान खान के तीखे रिश्तों से बाजवा परेशान थे। इमरान खान ने आईएसआई प्रमुख की नियुक्ति में भी दखल दिया था। इससे उनके रिश्ते बाजवा से और भी बिगड़ गए थे।
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आसिम मुनीर और इमरान खान की अदावत
बताया जाता है कि साल 2019 में इमरान खान और आसिम मुनीर के बीच झगड़ा हुआ था। उस वक्त आसिम मुनीर आईएसआई का चीफ था। जब आसिम मुनीर को आर्मी चीफ बनाया जाने लगा तब इमरान खान ने न केवल उसका विरोध किया, बल्कि इस्लामाबाद में प्रदर्शन करने की धमकी भी दी थी। 9 मई के विद्रोह के पीछे आसिम मुनीर और इमरान खान की इस दुश्मनी को भी वजह माना जाता है।