क्यों उठ रही बीबीसी को असली आजादी देने की मांग?
दुनिया
• CITY OF LONDON 21 Aug 2025, (अपडेटेड 22 Aug 2025, 6:25 AM IST)
बीबीसी की आजादी की मांग उठी है। यह मांग बीबीसी में काम कर चुके एक दिग्गज ने उठाई है। मौजूदा समय में बीबीसी पर ब्रिटेन क सरकार का नियंत्रण है।

क्यों उठ रही बीबीसी को आजाद करने की मांग। (AI Generated Image)
ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कार्पोरेशन, जिसे दुनिया बीबीसी के नाम से जानती है। अब उसकी आजादी की मांग उठने लगी है। बीबीसी पर ब्रिटेन की सरकार का नियंत्रण है। मगर अब मांग यह उठ रही है कि बीबीसी की स्वतंत्रता को स्थापित करना अहम है। ऑब्जर्वर के प्रधान संपादक जेम्स हार्डिंग का मानना है कि बीबीसी को नेताओं की पहुंच से बाहर रखा चाहिए। इससे तथ्यों में विश्वास और सच्चाई के प्रति सम्मान पैदा होगा। आज यह जानते हैं कि बीबीसी पर ब्रिटिश सरकार का कैसे और कितना नियंत्रण हैं। उसकी आजादी की मांग क्यों उठ रही है, उससे पहले यह जान लेते हैं कि जेम्स हार्डिंग कौन हैं?
जेम्स हार्डिंग द ऑब्जर्वर के प्रधान संपादक हैं। वे 2013 से 2018 तक बीबीसी के समाचार और समसामयिक मामलों के कार्यक्रमों के प्रमुख भी रह चुके हैं। हार्डिंग टॉर्टोइस मीडिया के सह-संस्थापक हैं। इस समूह ने स्कॉट ट्रस्ट और गार्जियन मीडिया ग्रुप से द ऑब्जर्वर को खरीदा है। बीबीसी चेयरमैन का चयन ब्रिटिश सरकार के राज्य सचिव की सलाह पर किंग-इन-काउंसिल करती है। हाउस ऑफ कॉमन्स की संस्कृति-मीडिया और खेल समिति सिर्फ उम्मीदवार की जांच करती है।
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हार्डिंग का कहना है कि इस समय नेता चेयरमैन चुनते हैं। वह लाइसेंस शुल्क चुनते हैं। उनका इस पर बहुत अधिक प्रभाव होता है। उन्होंने कहा कि सरकार को बीबीसी से अलग होने पर विचार करना चाहिए। अगर हम तथ्यों में विश्वास और सच्चाई के प्रति सम्मान पैदा करना चाहते हैं तो बीबीसी की आजादी को स्थापित करना अहम है।
'बीबीसी को मिलनी चाहिए असली आजादी'
जेम्स हार्डिंग का कहना है कि सरकार ने 1997 में बैंक ऑफ इंग्लैंड को स्वतंत्र किया था। उस वक्त सरकार ने केंद्रीय बैंक पर विश्वास को सियासत से ऊपर रखा। आज सरकार बीबीसी को असली आजादी देकर हमारे समाज की साझा संस्था के साथ भी ऐसा ही कर सकती है। उसे ऐसा करना भी चाहिए। बता दें कि यूके के संचार अधिनियम 2003 की धारा 336(5) सरकार को नियामक ऑफकॉम के माध्यम से बीबीसी को सेंसर करने की शक्ति देती है। धारा 132 में ऑफकॉम के माध्यम से किसी प्रसारणकर्ता को सरकार द्वारा बंद करने का अधिकार देती है।
नियुक्ति पर उठे सवाल
जेम्स हार्डिंग का कहना है कि देश के प्रमुख न्यूजरूम और सांस्कृतिक संगठन के प्रधान संपादक की नियुक्ति और बर्खास्तगी किसी नेता का काम नहीं है यह भयावह है। उन्होंने यह भी कहा कि बीबीसी का अस्तित्व दांव पर है। हार्डिंग का तर्क है कि बीबीसी के अध्यक्ष और निदेशक मंडल का चयन प्रधानमंत्री द्वारा नहीं किया जाना चाहिए। इसका चयन बोर्ड के माध्यम से किया जाना चाहिए।
'फंडिंग व्यवस्था पर न हो सरकार का दखल'
जेम्स हार्डिंग ने जर्मनी के तर्ज पर एक स्वतंत्र आयोग की वकालत की, ताकि यह आयोग ही बीबीसी के लाइसेंस शुल्क और फंडिंग व्यवस्था पर निर्णय ले सके। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि निगम के लाइसेंस शुल्क या भविष्य में किसी भी प्रकार की वित्त पोषण व्यवस्था का फैसला संस्कृति सचिव और चांसलर द्वारा बंद दरवाजों के पीछे नहीं होना चाहिए। लाइसेंस शुल्क और अन्य फंडिंग का निर्धारण आयोग तर्कसंगत तरीके और पारदर्शिता से करे। इसके बाद इसकी जांच संसद करे।
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आलोचना के घेरे में बीबीसी
हाल ही में बीबीसी की कई कवरेज की खूब आलोचना भी हुई। उस पर संपादकीय दिशादनिर्देशों के उल्लंखन का आरोप लगा। बीबीसी ने बॉब वायलन ग्लास्टनबरी सेट का लाइवस्ट्रीमिंग किया था। इसमें आईडीएफ की मौत के नारे लगे थे। आईडीएफ इजरायल की सेना है। इसके बाद बीबीसी के कई कर्मचारियों को अपने कर्तव्य से पीछे हटने को कहा गया। जब बीबीसी ने लाइव प्रसारण बंद न करने का निर्णय लिया तो ब्रिटेन की संस्कृति सचिव लिसा नंदी ने बीबीसी द्वारा उच्चतम स्तर पर जवाबदेही तय करने की बात कही।
- बीबीसी गाजा के बारे में एक डॉक्यूमेंट्री बनाई थी। इसमें उस पर संपादकीय दिशानिर्देशों के उल्लंघन का आरोप लगा था। दरअसल, बीबीसी ने अपनी डॉक्यूमेंट्री में यह नहीं बताया था कि स्टोरी टेलर हमास के एक अधिकारी के बेटा था। लड़के के परिवार के बारे में जानकारी सार्वजनिक होने पर बीबीसी ने आईप्लेयर से अपनी डॉक्यूमेंट्री हटा ली थी। बीबीसी के महानिदेशक टिम डेवी ने गाजा: हाउ टू सर्वाइव अ वॉरजोन नाम की इस डॉक्यूमेंट्री की समीझा का भी आदेश दिया था।
- इसी साल मैच ऑफ द डे के होस्ट गैरी लिनेकर ने जायनिज़्म से जुड़ी एक इंस्टाग्राम रील शेयर की थी। इसमें एक चूहे को दिखाया गया था। इसे यहूदियों के खिलाफ एक गाली माना जाता है। विवाद बढ़ने के बाद गैरी ने बीबीसी छोड़ने का फैसला लिया था।
कैसे तय होता है बीबीसी का संविधान?
हाउस ऑफ कॉमन्स लाइब्रेरी के मुताबिक बीबीसी का संविधान एक रॉयल चार्टर में तय किया गया है। इसे प्रिवी काउंसिल में वैधानिक आदेश से प्रदान किया जाता है। हर 10 साल में इसे नवीनीकृत किया जाता है। इसके संचालन के नियम बीबीसी और संस्कृति, मीडिया एवं खेल सचिव के बीच एक फ्रेमवर्क समझौते में निर्धारित हैं। मौजूदा रॉयल चार्टर को दिसंबर 2016 में हरी झंडी मिली थी। मगर 1 जनवरी 2017 को इसे लागू किया गया था। 2028 में रॉयल चार्टर को नवीनीकृत किया जाएगा। उससे पहले ही बीबीसी को आजाद करने की मांग उठने लगी है। चार्टर के तहत बीबीसी बोर्ड बीबीसी के संपादकीय और रचनात्मक कार्यों और सेवाओं के लिए मानक निर्धारित करता है।
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बीबीसी पर सरकार का कितना नियंत्रण?
बीबीसी को ऑफकॉम नियंत्रित करता है। सरकार बीबीसी के रोजाना के काम में दखल नहीं देती है, लेकिन यूके के विदेश मंत्री नियमित रूप से बीबीसी के महानिदेशक से मिलते हैं। पहले की कई बैठकों में विदेश मंत्री बीबीसी की विशेष घटनाओं की कवरेज पर चिंता व्यक्त कर चुके हैं। बीबीसी डिजिटल, संस्कृति, मीडिया और खेल विभाग, राष्ट्रीय लेखा परीक्षा कार्यालय और संसदीय चयन समितियों के जरिये सरकार के प्रति जवाबदेह है।
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