UN, यूरोपियन यूनियन, G-7 जैसे मजबूत क्यों नहीं हैं SCO जैसे संगठन?
दुनिया
• NEW DELHI 04 Sept 2025, (अपडेटेड 04 Sept 2025, 7:51 AM IST)
1 सितंबर 2025 को चीन के तियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक हुई। बैठक में 10 सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष शामिल हुए। दिलचस्प बात यह है कि यह ऐसा संगठन है, जिसमें आपस में भिड़ने वाले, कई दुश्मन देश, साथ बैठते हैं।

SCO सम्मेलन में शामिल हुए सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष। (Photo Credit: PTI)
भारत के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का 50 फीसदी टैरिफ, 27 अगस्त से लागू है। भारत रूस से तेल खरीदता है, डोनाल्ड ट्रम्प को यह रास नहीं आया। पहले 25, फिर 50 फीसदी का टैरिफ उन्होंने थोप दिया। अमेरिका से बिगड़ते संबंधों के बीच चीन के तियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की अहम बैठक हुई। बैठक में जिस बात ने सबसे ज्यादा ध्यान खींचा, वह राष्ट्रपति शी जिनपिंग, व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक साथ आना। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के करीबी सहयोगी ने पीटर नवारो ने इस सम्मेलन को शर्मनाक बताया और कहा कि भारत जैसे महान देश का, इन देशों के साथ आना गलत है।
बैठक की एक बात और सबसे ज्यादा चर्चा में रही कि इन देशों में धुर विरोधी देश एक साथ रहे। यह ऐसा संगठन है, जहां भारत, पाकिस्तान और चीन एक मंच पर थे। भारत के साथ पाकिस्तान की दुश्मनी जग जाहिर है, हाल ही में पाकिस्तान के साथ झड़प भी हुई। चीन के साथ 2020 में गलवान में रक्त रंजित झड़प हो चुकी है। चीन दोस्ती की कवायद लाख करे लेकिन 1962 से 2020 तक, कई ऐसे मौके आए, जब चीन ने भारत को दगा दिया। यही वजह है कि शंघाई सहयोग संगठन, उस तरह से सफल संगठन नहीं बन पा रहा है, जैसे अन्य देशों के क्षेत्रीय संगठन हैं।
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एक नजर, शंघाई सहयोग संगठन पर
शंघाई सहयोग संगठन में 10 देश शामिल हैं। भारत, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, चीन, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और बेलारूस। रूस, भारत, पाकिस्तान और चीन जैसी महाशक्तियां इस संगठन का हिस्सा हैं। इसके अलावा दक्षेस, ब्रिक्स, आसियान जैसे अन्य संगठन भी बने हैं। क्षेत्रीय टकराहट की वजह ये ताकतें, अक्सर आपस में ही टकराती हैं। इनके क्षेत्रीय हित, इस कदर उलझे हैं कि ये संगठन, दूसरे वैश्विस संस्थाओं की तुलना में मजबूत नजर नहीं आते। इसकी वजहें क्या हैं, आइए समझते हैं-

सीमा विवाद
- भारत-पाकिस्तान: भारत, पाकिस्तान और चीन शंघाई सहयोग संगठन के मजबूत देशों में शुमार हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच 3 राज्य और 1 केंद्र शासित प्रदेश में सीमा सटी हुई है। जम्मू और कश्मीर और पाकिस्तान सबसे विवादित सीमा है, दूसरी तरफ पंजाब, राजस्थान और गुजरात सीमा है। अवैध तस्करी, ड्रोन के जरिए ड्रग सप्लाई की कोशिशें यहां भी होती रही हैं। मई में ही भारत पाकिस्तान के बीच हिंसक सैन्य संघर्ष हुआ था।
- भारत और चीन: चीन और भारत के साथ भी ऐसे ही हालात हैं। 4 राज्य और 1 केंद्र शासित प्रदेशों में भारत और चीन की सीमाएं विवादित रही हैं। भारत और चीन की सीमाएं लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती हैं। 1962 में भारत और चीन के बीच जंग हो चुकी है, 2020 में गलवान कांड भी भारत-चीन के संबंधों को सवालों के घेरे में लाता है। दोस्ती की कवायद कितनी भी हो, स्वाभाविक तौर पर ये देश, एक-दूसरे के दोस्त नहीं हैं। जहां नाटो के देश एक-दूसरे के लिए लड़ते हैं, ये देश एक-दूसरे से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर लड़ते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और व्लादिमीर पुतिन। (Photo Credit: PTI) - अर्थव्यवस्था: यूरोपियन यूनियन सिंगल मार्केट और मुक्त व्यापार के लिए जाना जाता है। SCO में ऐसा कोई तंत्र नहीं है। SCO मुख्य रूप से सुरक्षा और क्षेत्रीय सहयोग पर केंद्रित है। आर्थिक नीतियों और व्यापार में क्षेत्रीय चुनौतियां हावी हैं। G-7 के साथ भी ऐसा ही है।
- सहयोग: G7 और EU के पास अर्थव्यवस्था है। क्षेत्रीय टकराहटें नहीं है। नियम साफ हैं। निर्णय लेने में स्थिरत है, इसके उलट एससीओ में आतंकवाद जैसे मुद्दे पर देशों में सहमति नहीं है। चीन, पाकिस्तान के पक्ष में सुरक्षा परिषद में वीटो कर देता है, जबकि पाकिस्तानी आतंकवाद से खुद पाकिस्तान झुलस रहा है।
- कमजोरी: भारत, चीन और रूस इस संगठन में सबसे प्रभावशाली देश है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, BRICS, आशियान और SCO जैसी संस्थाओं को कमजोर संगठन समझते हैं। वजह स्थानीय हितों का टकराव है। इस संगठन में तीन बड़ी ताकतें, हर मोर्चे पर एक-दूसरे से टकरा रही हैं।
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सुरक्षा और सहयोग पर ही उलझे हैं क्षेत्रीय संगठन
SCO क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद विरोध, और सैन्य सहयोग के लिए बना है। हैरान करने वाली बात यह है कि सारे देशों का कहीं व्यापार टकराता है, कहीं क्षेत्रीय सीमाएं। सेनाएं भी उलझी हैं। भारत और पाकिस्तान, भारत और चीन, किरगिस्तान और ताजिकिस्तान के बीच सीमा विवाद है। इसके उलट EU और G-7 आर्थिक, पर्यावरण, तकनीकी, और सामाजिक मुद्दों पर सहयोग कर रहे हैं। UN भी मानवाधिकार, जलवायु परिवर्तन, और विकास जैसे वैश्विक मुद्दों पर काम कर रहा है। यह SCO के मुद्दे ही नहीं हैं।
एक नजर उन संगठनों की जिनकी दुनिया में जमी है धाक
- संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र में 193 सदस्य देश हैं। अमेरिका, रूस, चीन, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस संयुक्त राष्ट्र के स्थाई सदस्य हैं। इन देशों के पास वीटो पावर है। संयुक्त राष्ट्र के अन्य सदस्य देश सामान्य सभा में समान प्रतिनिधित्व रखते हैं।
ताकत: स्थाई देशों के पास वीटो पावर है। ये देश, सुरक्षा परिषद के किसी भी प्रस्ताव को रोक सकते हैं। ये देश वैश्विक शांति, सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी सैन्य, आर्थिक और राजनयिक शक्ति उन्हें वैश्विक मंच पर प्रभावशाली बनाती है। - G7: दुनिया के सबसे ताकवतर समूह का नाम जी7 है। भारत कई बार जी7 की बैठक में बुलाया गया है। इस ग्रुप में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी,इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका जैसे देश शामिल हैं।
ताकत: G7 देश विश्व की 40% अर्थव्यवस्था नियंत्रित करते हैं। कई मुद्दों पर ये देश, दुनिया की नीति तय करते हैं। G7 वैश्विक मुद्दों जैसे जलवायु परिवर्तन, सुरक्षा और स्वास्थ्य पर सहयोग करता है। यह दुनिया के सबसे प्रभावशाली देशों का संगठन है।
- यूरोपियन यूनियन: इस संगठन में 27 देश शामिल हैं। ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, क्रोएशिया, साइप्रस, चेक गणराज्य, डेनमार्क,
एस्टोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, आयरलैंड, इटली, लातविया, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग, माल्टा, नीदरलैंड, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, स्पेन और स्वीडन।
ताकत: यूरोपीय संघ की ताकत इसकी आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक एकता है। 27 सदस्य देशों के साथ, यह विश्व की सबसे बड़ी सिंगल इकॉनमी है। वैश्विक व्यापार और निवेश में इन देशों की अहम भूमिका निभा रही है। यूरो मुद्रा, व्यापार नीतियां और सामूहिक सौदेबाजी इसे आर्थिक तौर पर और मजबूत बनाते हैं। - NATO: अल्बानिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, कनाडा, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, आइसलैंड, इटली, लातविया, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग, मोंटेनेग्रो, नीदरलैंड, उत्तरी मैसेडोनिया, नॉर्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, स्पेन, स्वीडन, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका।
ताकत: NATO का अनुच्छेद 5 कहता है कि अगर किसी एक देश पर हमला हुआ तो सभी देश मिलकर हमला करेंगे। अमेरिका की अगुवाई में 31 सदस्य इस संगठन में शामिल हैं। अमेरिका, इन देशों के जरिए रूस पर दबाव बनाता है। यूक्रेन की तबाही के पीछे इस संगठन से नजदीकी भी जिम्मेदार है।
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