भारत और तालिबान के बीच अब कूटनीतिक संबंध नए सिरे से लिखे जा रहे हैं। सरकार तालिबानी प्रशासन के संपर्क में है और राजनायिक संबंधों को सुधार रही है। भारत अब अफगानिस्तान में मानवीय त्रासदी से जूझ रहे लोगों के लिए बड़े तौर पर राहत सामग्री भेजता है। भारत के कई प्रोजेक्ट अफगानिस्तान में चल रहे हैं, जिन्हें जारी रखने के लिए सरकार तालिबानियों से संवाद जारी रखा है। अब एक तालिबानी के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी भारत आने वाले हैं।
तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी 9-10 अक्टूबर को भारत आ सकते हैं। यह 2021 में तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद किसी वरिष्ठ तालिबान नेता का पहला भारत दौरा होगा। आमिर खान मुत्ताकी 10 अक्टूबर को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात करेंगे।
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बैन के बाद भी कैसे यात्रा करेंगे आमिर खान मुत्ताकी?
आमिर खान मुत्ताकी पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने यात्रा प्रतिबंध लगाया है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र से तालिबानी विदेश मंत्री के लिए राहत मांगी थी। अब संयुक्त राष्ट्र ने इसकी मंजूरी दे दी है। अफगानिस्तान की सत्ता संभालने से पहले तक, तालिबान को आतंकी संगठन घोषित किया गया था। अब तालिबान, अफगानिस्तान की सत्ता में है। यह एक अस्थाई सरकार है, पूर्ण स्थाई सरकार नहीं है। तालिबान के कई लड़ाके, मंत्रिमंडल में हैं। आमिर खान मुत्ताकी पर प्रतिंबधों की एक वजह यह भी मानी जाती है।
भारत क्यों आ रहे तालिबानी मंत्री?
भारत और तालिबान के बीच सहयोग के लिए नए रास्ते खुल सकते हैं। भारत ने तालिबान के साथ अपने रिश्तों को बेहतर करने के लिए कई कदम उठाए हैं। भारत ने अभी तक तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है। जनवरी में दुबई में विदेश सचिव विक्रम मिश्रा और आमिर खान मुत्ताकी की मुलाकात भी हुई थी। मई 2025 में ही विदेश मंत्री एस जयशंकर और आमिर खान मुत्ताकी के बीच बातचीत हुई थी। भारत ने तालिबान के साथ बेहतर रिश्तों की बात कही थी और अफगानिस्तान में मानवीय मदद देने का भरोसा जताया था।
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भारत आने का एजेंडा क्या है?
भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते दशकों पुराने हैं। तालिबान भारत के साथ बेहतर व्यापार चाहता है और ईरान के चाबहार बंदरगाह के इस्तेमाल में भारतीय मदद चाहता है। भारत के साथ रिश्ते अगर बेहतर होंगे तो तालिबानी सरकार को मान्यता मिल सकती है, कूटनीति सुधर सकती है। भारत के लिए भी तालिबान के साथ बेहतर संबध जरूरी हैं। मध्य एशिया तक पहुंच मजबूत करने में अफगानिस्तान अहम भूमिका निभा सकता है।