अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर चर्चा में हैं — इस बार वजह है उनकी यूक्रेन के साथ की जाने वाली मिनरल डील को लेकर गहरी रुचि। 2025 में 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद से ही डोनाल्ड ट्रंप एक के बाद एक फैसले ले रहे हैं जिसने पूरी दुनिया में सबको चौंका दिया है। चाहे वह रेसिप्रोकल टैरिफ की बात हो या फिर यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच मध्यस्थता करने की। इस बीच डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन के साथ मिनरल डील को लेकर काफी उत्साहित हैं और इसे लेकर काफी प्रयास भी कर रहे हैं।
यूक्रेन, जो पिछले कुछ वर्षों से रूस के साथ युद्ध में उलझा हुआ है, दुनिया के उन गिने-चुने देशों में से एक है जहां लीथियम, टाइटेनियम, रेयर अर्थ एलिमेंट्स और अन्य महत्त्वपूर्ण खनिज काफी मात्रा में पाए जाते हैं। ये खनिज आधुनिक टेक्नॉलजी, रक्षा उपकरण, मोबाइल फोन, इलेक्ट्रिक गाड़ियां और ग्रीन एनर्जी सिस्टम के लिए बेहद जरूरी हैं।
ट्रंप इस कदम को अमेरिका के लिए एक आर्थिक, राजनीतिक और रणनीतिक अवसर के रूप में देखा जा रहा है। उनका मानना है कि अगर अमेरिका यूक्रेन के साथ खनिजों को लेकर मजबूत समझौता करता है, तो इससे न केवल चीन पर उसकी निर्भरता कम होगी, बल्कि अमेरिका को तकनीकी और रक्षा क्षेत्र में बढ़त भी मिलेगी। साथ ही यह कदम अमेरिका को रूस के सामने भी ज्यादा मजबूत तरीके से खड़ा कर देगा।
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इस लेख में खबरगांव आपको ऐसे 5 फायदों के बारे में बताएगा जो कि अमेरिका को इस डील से होने वाला है-
1. अमेरिका की चीन पर निर्भरता कम करना
दुनिया में सबसे ज़्यादा रेयर अर्थ मिनरल्स का उत्पादन चीन करता है- लगभग 60% से ज़्यादा। और यह खनिज मोबाइल फोन, चिप्स, लड़ाकू विमान और मिसाइल बनाने से लेकर तमाम वस्तुओं के निर्माण में कच्चे माल के रूप में यूज़ किए जाते हैं।
ट्रंप को लगता है कि अगर चीन और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ता है, तो चीन इन खनिजों की सप्लाई रोक सकता है, जैसा कि चीन संकेत दे चुका है। इससे अमेरिका को बहुत नुकसान होगा।
अगर अमेरिका को यूक्रेन से यह खनिज मिलने लगे, तो वह चीन पर अपनी निर्भरता कम कर सकता है और अपनी सप्लाई को सुरक्षित रख सकता। ट्रंप इसे राष्ट्रहित से जुड़ा मुद्दा मानते हैं।
2. रूस के खिलाफ यूक्रेन को मजबूत करना
यूक्रेन और रूस के बीच कई सालों से युद्ध चल रहा है। यूक्रेन के मिनरल रिच इलाके डोनबास जैसे क्षेत्र रूस के निशाने पर हैं। अगर अमेरिका यूक्रेन के साथ खनिज का व्यापार करता है, तो इससे यूक्रेन के खनिजों पर रूस के एकाधिकार को रोका जा सकेगा, जिससे अमेरिका को रूस के सामने सशक्त रहने में मदद मिलेगी। इसके अलावा बिना सीधे युद्ध में उतरे भी अमेरिका परिस्थितियों को कंट्रोल कर सकता है।
3. ग्रीन टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए जरूरी
इन खनिजों तक पहुंच होने की वजह से ग्रीन टेक्नॉलजी को बढ़ाने में अमेरिका को मदद मिलेगी, क्योंकि ग्रीन एनर्जी से जुड़ी तकनीकों में इन्हीं मिनरल्स का प्रयोग होता है।
आजकल लीथियम, कोबाल्ट, निकल जैसे जो मिनरल्स बैटरियों, सोलर पैनल और इलेक्ट्रिक कारों में लगते हैं वे यूक्रेन में काफी मात्रा में पाए जाते हैं। खासकर यूक्रेन में यूरोप का सबसे बड़ा लीथियम भंडार है।
अगर अमेरिका का अधिकार यूक्रेन से लीथियम और अन्य खनिज लेता है, तो वह ग्रीन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आगे निकल सकता है, और चीन और यूरोप से मुकाबला कर सकता है।
4. अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना
ट्रंप का हमेशा से यह सपना रहा है कि अमेरिका की मैन्युफैक्चरिंग और डिफेंस इंडस्ट्री दोबारा मजबूत बने। अगर अमेरिका को यूक्रेन से जरूरी खनिज सस्ते और सुरक्षित रूप में मिलने लगते हैं, तो वह अमेरिका में ही बड़ी फैक्ट्रियां और मिनरल प्रोसेसिंग यूनिट्स खोल सकता है।
खासकर टाइटेनियम जैसे खनिज अमेरिका की सेना के लिए बहुत जरूरी हैं। ट्रंप मानते हैं कि यह सौदा देश की सुरक्षा और रोजगार दोनों के लिए फायदेमंद होगा।
5. राजनीति में फायदा और वैश्विक दबदबा
ट्रंप को पता है कि अगर वह इसे अपनी नीतियों का हिस्सा बनाएं तो वह अपने देश के लोगों को यह दिखा सकते हैं कि उन्होंने चीन को चुनौती दी, अमेरिका को ताकतवर बनाया और रूस को चुप कराया — और वह भी बिना युद्ध के।
इससे उन्हें राजनीतिक रूप से उन्हें इसका बड़ा फायदा मिल सकता है। साथ ही, यूक्रेन के खनिज क्षेत्र में अमेरिकी मौजूदगी से यूरोप में भी अमेरिका का दबदबा बनाने में मदद मिलेगी।