इजरायल अब अपने खुफिया सेवा से जुड़े सभी सैनिकों को अरबी भाषा और इस्लाम की शिक्षा देगा। जल्द ही एक नया विभाग खोलने की भी तैयारी है। हूती और इराकी बोलियों की भी ट्रेनिंग दी जाएगी। आर्मी रेडियो के सैन्य संवाददाता डोरोन कादोश ने बताया कि यह कार्यक्रम AMAN प्रमुख मेजर जनरल श्लोमी बाइंडर के निर्देश पर शुरू किया जा रहा है। नए निर्देशों के तहत सभी खुफिया सैनिकों को अरबी भाषा और इस्लामी अध्ययन की ट्रेनिंग लेना अनिवार्य है। AMAN इजरायल के सैन्य खुफिया निदेशालय का संक्षिप्त नाम है।
इजरायल खुफिया सेवा से जुड़े सैनिकों के बुनियादी ट्रेनिंग कार्यक्रम में ही अरबी भाषा को शामिल करेगा। सैनिकों से अरबी भाषा में दक्ष होने की अपेक्षा भी की जाएगी। इजरायल का लक्ष्य है कि भविष्य में कमांडर बनने वाले सैनिक न केवल धारा प्रवाह अरबी भाषा बोलें, बल्कि इस्लामी संस्कृति का भी अच्छा-खासा ज्ञान रखें। अगले साल के आखिरी तक अमन के 100 फीसदी कर्मियों को इस्लामी अध्ययन की ट्रेनिंग दी जाएगी।
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साइबर विशेषज्ञों को भी दी जाएगी ट्रेनिंग
आर्मी रेडिया के मुताबिक अमन के सभी कर्मचारियों को अरबी भाषा और इस्लामी अध्ययन की ट्रेनिंग लेना अनिवार्य होगा। इतना ही नहीं उन्हें दोनों ही विषयों में परांगत होना होगा। 2026 तक यूनिट 8200 के साइबर विशेषज्ञों समेत सभी खुफिया सैनिकों को इस्लामी अध्ययन और 50 फीसदी सैनिकों अरबी भाषा की ट्रेनिंग दे दी जाएगी।
टेलीम को दोबारा शुरू करेगी इजरायली सेना
इजरायल की सेना टेलीम (TELEM) को दोबारा खोलने का फैसला किया है। यह विभाग इजरायल के मिडिल और हाई स्कूलों में अरबी और मध्य पूर्व अध्ययन पर जोर देता है। बजट में कटौती की वजह से छह साल पहले टेलीम को बंद कर दिया गया था। नतीजा यह हुआ कि इजरायल में अरबी भाषा से जुड़े ज्ञान में भारी कमी आ गई। टेलीम के तहत स्कूलों में सैनिक सेमिनार और सांस्कृतिक कार्यशालाओं को आयोजन करते हैं। इसमें अरबी भाषा और मध्य पूर्व के बारे में जानकारी दी जाती है, ताकि बच्चों में अरब जगत के बारे में गहरी समझ विकसित हो सके।
सैनिकों को इस्लामी शिक्षा क्यों देगा इजरायल?
खुफिया नाकामी के कारण हमास ने 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर सबसे बड़ा अटैक किया था। भविष्य में दोबारा ऐसे हमले को टालने के उद्देश्य से ही आईडीएफ खुफिया निदेशालय ने अरबी भाषा और इस्लामी अध्ययन का फैसला लिया है। सैनिकों को भी मध्य पूर्व में खुफिया जानकारी जुटाना आसान होगा।
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इजरायल के सामने यमन के हूती विद्रोही बड़ा संकट बनकर उभरे हैं। मगर सबसे बड़ी चुनौती है कि हूती विद्रोही कत नाम का एक हल्का नशीले पौधे को चबाते हैं। इस कारण बोलते वक्त हूती विद्रोहियों के शब्द स्पष्ट नहीं होते हैं। इजरायली खुफिया एजेंटों को इन शब्दों को समझने में बेहद मुश्किल होती है। अब हूती और इराकी बोलियों का भी प्रशिक्षण देना का फैसला लिया गया है, ताकि इस समस्या से निपटा जा सके। इजरायल का मकसद अरबी भाषा और इस्लामी शिक्षा के पीछे खुफिया जानकारी जुटाना है।