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क्या इराक जैसा होगा ईरान का हश्र, क्या है इजरायल-अमेरिका का प्लान?

ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम से कदम पीछे नहीं खींचेगा। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या ईरान अब सद्दाम हुसैन वाली गलती कर रहा है।

Iran's Supreme Leader Ayatollah Ali Khamenei.

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई।

2003 में अमेरिका ने इराक पर हमला किया। सद्दाम हुसैन पर सामूहिक विनाश के हथियार बनाने का आरोप लगाया। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने कसम खाई की इराक को सामूहिक विनाश के हथियार हासिल नहीं करने देंगे। नतीजा- सद्दाम हुसैन की सत्ता गई, फांसी हुई और इराक आज भी अमेरिकी तबाही से उबर नहीं सका। युद्ध में इराक के एक लाख से अधिक नागरिकों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी। 

 

अब अमेरिका ने ईरान पर सामूहिक विनाश के हथियार यानी परमाणु बम हासिल करने का आरोप लगाया। अमेरिका के साथ-साथ इजरायल भी ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के बयान से टेंशन और बढ़ गई है। ऐसे में अब सवाल उठता है कि क्या ईरान का भी हश्र इराक जैसा होगा या ईरान परमाणु हथियार हासिल करने में कामयाब हो जाएगा? आज इसी सवाल का जवाब खोजने की कोशिश। 

 

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खामेनेई के बयान से क्यों बढ़ी टेंशन?

बुधवार को ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने एक बयान जारी किया। इसमें उन्होंने अमेरिका की खुलकर आलोचना की और परमाणु समझौते पर अमेरिकी प्रस्ताव को देशहित के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि ईरान अपने किसी फैसले की मंजूरी अमेरिका से नहीं लेगा। खामेनेई ने कहा, 'ईरान अपना यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम नहीं छोड़ेगा। संवर्धन के बिना ईरान का परमाणु कार्यक्रम बेकार है। हमें परमाणु कार्यक्रम चलाना चाहिए या नहीं, यह बताने वाला अमेरिका कौन होता है।'

इजरायल क्यों मानता है खतरा?

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ईरान परमाणु हथियार हासिल कर लेता है तो मध्य-पूर्व में भयानक अस्थिरता देखने को मिलेगी। इजरायल अपने आस्तित्व के लिए ईरान को खतरा मानता है। इजरायल किसी भी हाल में ईरान को परमाणु बम नहीं बनाना देना चाहता है।

 

  • हमास युद्ध के बीच इजरायल पर दो बार बैलेस्टिक मिसाइलों से हमला करने वाला ईरान मध्य पूर्व का इकलौता देश है। उसके पास उन्नत बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइल हैं। यह मिसाइलें इजरायल तक मार करने में सक्षम हैं। ईरान की सबसे लंबी दूरी की मिसाइलें लगभग 2000 किलोमीटर तक मार कर सकती है।
  • गाजा में हमास, लेबनान में हिजबुल्लाह और यमन में हूती से इजरायल लड़ रहा है। इन तीनों संगठनों को ईरान खुला सपोर्ट करता है। इजरायल और ईरान की दुश्मनी का एक एंगल यह भी है।    
  • ईरान से पहले इराक और सीरिया ने भी परमाणु बम हासिल करने की कोशिश की। मगर इजरायल ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया। इजरायल ने 1981 में इराक और 2007 में सीरिया के परमाणु रिएक्टर साइटों पर हमला करके उनका ख्वाब तोड़ चुका है।

क्या बमबारी करेंगे ट्रंप?

खामनेई के बयान के बाद साफ हो गया है कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम से पीछे नहीं हटने वाला है। 30 मार्च को एनबीसी न्यूज से बातचीत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि अगर वे (ईरान) कोई समझौता नहीं करते हैं तो बमबारी करेंगे। यह ऐसी बमबारी होगी, जिसे उन्होंने पहले कभी नहीं देखी होगी। अब देखना यह है कि अमेरिका अगला कदम क्या उठता है? 

इजरायल के निशाने पर ईरान का परमाणु कार्यक्रम?

इजरायल ने अक्टूबर 2024 में ईरान के एयर डिफेंस सिस्टम और मिसाइल बनाने वाली फैक्ट्रियों पर हमला किया था। उसने तेहरान के पास परचिन सैन्य अड्डे में स्थित परमाणु शोध से जुड़ी फैसिलिटी को भी तबाह किया था। 2020 में ईरान के नातांज में एक सेंट्रीफ्यूज उत्पादन केंद्र को भी इजरायल अपने हमले से नष्ट कर चुका है। ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के उद्देश्य से 27 नवंबर 2020 को इजरायल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम के मुखिया मोहसेन फखरजादे की गोलियों से भूनकर हत्या करवाई थी।

किसी भी वक्त हमला कर सकता है इजरायल? 

इजरायल ने कई बार सार्वजनिक तौर पर ईरान के परमाणु कार्यक्रम को तबाह करने की धमकी दे चुका है। फरवरी में अमेरिका के खुफिया विभाग ने कहा था कि इजराइल इस साल किसी समय ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर हमला कर सकता है।

अमेरिका के सामने क्या दुविधा?

न्यूयॉर्क टाइम्स ने 28 मई को बताया कि इजरायल किसी भी वक्त ईरान के परमाणु कार्यक्रम का निशाना बना सकता है। इजरायल इन हमलों को इतने जल्दी अंजाम देगा कि अमेरिका के पास इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर दबाव बनाने का समय भी नहीं मिलेगा। अमेरिकी खुफिया अधिकारियों को शक है कि अगर इजरायल अकेले हमला करता है तो यह इतना प्रभावकारी नहीं होगा। अगर ईरान ने इजरायल पर जवाबी हमला किया तो अमेरिका के पास इजरायल की सहायता करने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचेगा। 

कितना उन्नत है ईरान का परमाणु कार्यक्रम?

ईरान के पास अभी तक कोई परमाणु हथियार नहीं है, लेकिन उसका परमाणु कार्यक्रम पांच दशक पुराना है। ईरान के पास परमाणु हथियार बनाने का पर्याप्त बुनियादी ढांचा और तकनीक मौजूद है। रिपोर्ट के मुताबिक ईरान के पास 60% शुद्धता तक संवर्धित यूरेनियम है। अगर वह इसे 90% तक संवर्धित करता है तो उसके पास कुल 408.6 किलोग्राम यूरेनियम होगा। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के मानक के मुताबिक अगर इसे और समृद्ध किया गया तो इससे 9 परमाणु बम बनाए जा सकते हैं।

 

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जून 2024 में तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि ईरान एक या दो सप्ताह में हथियार ग्रेड तक आवश्यक विखंडनीय सामग्री का उत्पादन कर सकता है। एक महीने में एक परमाणु बम बना सकता है। पिछले साल दिंसबर में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के मुखिया राफेल ग्रॉसी ने कहा था कि ईरान यूरेनियम संवर्धन को 60 प्रतिशत तक ले जा रहा है। यह हथियार ग्रेड सीमा के करीब है। फरवरी 2025 में अमेरिकी खुफिया विभाग ने बताया कि ईरान के वैज्ञानिक एक परमाणु बम बनाने में तेजी से जुटे हैं। 

क्या जल्दबाजी में हैं तीनों देश?

ईरान का फोकस जल्द से जल्द परमाणु बम हासिल करने पर है। वहीं अमेरिका एक समझौता चाहता है, ताकि ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोका जा सका। इजरायल का कहना है कि ईरान गुप्त तरीके से परमाणु हथियार हासिल करने में जुटा है। उसका पूरा फोकस ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने पर है। अब देखना यह होगा कि ईरान परमाणु हथियार बना लेता है या नहीं। अमेरिका और इजरायल उसे कैसे रोकेंगे? 

 

 

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