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2050 तक खत्म हो सकते हैं लीथियम के भंडार, UN ने जताई चिंता

दुनिया भर में साल 2050 तक लीथियम का भंडार खत्म हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र ने इसे लेकर चिंता जताई है।

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सांकेतिक तस्वीर; Photo Credit: FreePik

दुनियाभर के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बैटरी में लीथियम की एक तरफ मांग बढ़ती जा रही है, दूसरी तरफ इसके खनिज भंडारण पर संकट मंडरा रहा है। मोबाइल फोन से लेकर इलेक्ट्रिक कार और बाइक तक लगभग वे सारी चीजें, जिन्हें चार्ज किया जाता है, उनकी बैट्री में लीथियम का इस्तेमाल होता है। लीथियम के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट में भंडारण को लेकर गहरी चिंता जताई गई है। संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जिस तरीके से लीथियम का इस्तेमाल बढ़ रहा है, ऐसे में 2050 तक दुनिया के तमाम लीथियम भंडार खत्म हो जाएंगे। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2050 तक धरती पर मौजूद 75 प्रतिशत लीथियम को इस्तेमाल के बाद कचरे में फेंका जा चुका होगा।

 

यूएन यूनिवसिर्टी इंस्टीट्यूट फॉर एनवायरमेंट एंड ह्यूमन सिक्योरिटी ने यह रिपोर्ट जारी की है। दरअसल, रिपोर्ट में लीथियम समेत बहुत से रिसोर्स के यूज और बढ़ते कचरे पर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट में रिसोर्स के किफायती इस्तेमाल को लेकर रिसाइकिलिंग पर जोर दिया गया है। रिचार्जेबल बैटरियों में इस्तेमाल होने वाले लीथियम के भंडार सीमित हैं लेकिन असली चिंता यह है कि दुनिया में जहां लीथियम का तेजी से इस्तेमाल बढ़ रहा है, उस हिसाब से कहीं भी रिसाइक्लिंग का काम नहीं किया जा रहा है। नतीजा यह है कि आज दुनियाभर में मुश्किल से 5 पर्सेंट इस्तेमाल हुआ लीथियम ही रिसाइकिल हो रहा है। यह बहुत कम है। 

 

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भारत में कहां से आता है लीथियम?

दरअसल, भारत में लीथियम का उत्पादन(प्रोडक्सन) नहीं होता है। इस वजह से लीथियम के लिए भारत विदेशी आयात(फारेन इंपोर्ट) पर निर्भर है। चिली,आस्ट्रेलिया, अर्जेन्टीना और चीन में लीथियम का प्रोडक्शन होता है। हालांकि, बोलिविया में लीथियम के भंडार(लीथियम रिजर्वस) हैं लेकिन अभी उनका खनन  (एक्सपोलाईटेशन) शुरू नहीं हुआ है। भारत लीथियम के लिए विदेशी आयात (फारेन इंपोर्ट) पर निर्भर है। इसलिए इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कीमत इतनी ज्यादा है। 

 

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भारत में कहां मिला था लीथियम भंडार

साल 2023 में  ग्राउंड सर्वे टीम ने जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में लीथियम के भंडार खोजने का दावा किया था। अनुमान लगाया गया था कि वहां 59 लाख टन लीथियम मिल सकता है। हालांकि, इसका खनन अभी शुरू नहीं किया गया है।  देश में कचरे से लीथियम तलाशने के लिए कहीं-कहीं अरबन माइनिंग शुरू की गई लेकिन ये प्रयास खास सफल होते नहीं दिख रहे हैं।

लीथियम को कैसे कर सकते हैं रिसाईकल

रिपोर्ट के अनुसार लीथियम के रिसाईकलेशन की तकनीक उपलब्ध तो है लेकिन यह काफी कठिन और ज्यादा उर्जा खपत (एनर्जी कन्शप्शन) वाली है। जिसके वजह से  इस फिल्ड में कम काम हुआ है। लीथियम के रिसाईकलेशन नहीं होने से ई वेस्ट तो बढ़ ही रहा है। साथ ही भविष्य में इसके भंडार (रिजर्वस) खत्म होने की चुनौती खड़ी हो गई है।

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