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आपकी उम्र का पता क्यों लगाएगा YouTube, इसमें असल दिक्कत क्या है?

दुनिया का सबसे बड़ा वीडियो प्लेटफॉर्म यूट्यूब अपने यूजर्स की उम्र का अनुमान लगाएगा। उसके आधार पर ही लोगों को वीडियो दिखाई देंगे। इसके पीछे की असल वजह क्या है?

YouTube age verification.

उम्र का पता लगाएगा यूट्यूब। (AI Generated Image)

अगर आप यूट्यूब चलाते हैं तो यह खबर आपके लिए उपयोगी है। आपकी उम्र कितनी है? इसका पता अब यूट्यूब खुद ही लगाएगा। इसके लिए वह आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी एआई का सहारा लेगा। बुधवार से अमेरिका में इसका ट्रायल शुरू हो गया है। अमेरिका के बाद इसे पूरी दुनिया में लागू किया जाएगा। यूट्यूब के इस कदम ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। दरअसल, अगर आपकी उम्र गलत है तो उसे अपने सरकारी दस्तावेज के माध्यम से साबित करना होगा। अगर ऐसा नहीं किया तो यूट्यूब कुछ कंटेंट तक आपकी पहुंच को रोक सकता है। 

 

ग्लोबल मीडिया इनसाइट के मुताबिक दुनियाभर में 270 करोड़ से ज्यादा लोग आज हर महीने यूट्यूब का इस्तेमाल करते हैं। सबसे अधिक 49.1 करोड़ यूजर्स सिर्फ भारत में हैं। गूगल के बाद यूट्यूब सबसे बड़ा सर्च इंजन है। रोजाना लोग एक अरब घंटे से अधिक वीडियो देखते हैं। इस प्लेटफॉर्म पर सबसे अधिक संगीत, मनोरंजन और एजुकेशन के वीडियो देखे जाते हैं। यूट्यूब उपयोगकर्ताओं में 54.4 फीसदी पुरुष और 45.6 फीसदी महिलाएं हैं। ज्यादातर यूट्यूब उपयोगकर्ता की उम्र 25 से 34 वर्ष के बीच है। मगर एक तथ्य यह भी सामने आ रहा है कि कई यूजर्स ने अपने उम्र से जुड़ी जानकारी गलत डाली है। इस वजह से यूट्यूब ने खुद ही उम्र का पता लगाने का फैसला किया है।

 

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उम्र का पता क्यों लगा रहा यूट्यूब?

आशंका यह जताई जा रही है कि यूट्यूब में बड़ी संख्या उन यूजर्स की है जो नाबालिग हैं, लेकिन उन्होंने अपनी उम्र बालिग दिखा रखी है। इस वजह से अनुचित सामग्री तक उनकी पहुंच है। अब यूट्यूब अपनी नई पहल से अपने प्लेटफॉर्म को बच्चों और नाबालिगों के लिए सुरक्षित बनाने के प्रयास में जुटा है, ताकि अनुचित सामग्री तक उनकी पहुंच न रहे। मगर कुछ यूजर्स को इस बात की टेंशन है कि यूट्यूब के नए कदम से उनकी प्राइवेसी और एक्सपीरियंस प्रभावित होगा।

 

यूट्यूब अभी उम्र का पता लगाने वाली अपनी तकनीक की टेस्टिंग सिर्फ अमेरिका में सीमित यूजर्स पर कर रहा है। बाद में इसे अन्य देशों में लागू किया जाएगा। यूट्यूब पर अकाउंट बनाते वक्त अपने चाहे कोई भी उम्र डाली हो, यूट्यूब को उससे मतलब नहीं है। वह अपने टूल की मदद से आपकी उम्र की जांच करेगा। अगर उसे लगा कि आपकी उम्र नाबालिग है तो यूट्यूब किशोर सुरक्षा उपाय को संबंधित अकाउंट पर स्वत: चालू कर देगा। 

अश्लील सामग्री नहीं देख पाएंगे नाबालिग!

नए टूल के मदद से उम्र का अनुमान लगने के बाद यूट्यूब उसी आधार पर कंटेंट दिखाएगा। कोई भी नाबालिग गलत जानकारी देने के बाद भी यूट्यूब पर अनुचित सामग्री नहीं देख पाएगा। यूट्यूब के इस नए कदम से हिंसा, संवेदनशील कंटेंट और अश्लील वीडियो बच्चों की पहुंच से दूर होंगे।

यूट्यूब कैसे पता लगाएगा उम्र?

यूट्यूब पर किसी व्यक्ति का अकाउंट कितना पुराना है। वह कैसे वीडियो सर्च करता और देखता है? इस आधार पर उसकी उम्र का अनुमान यूट्यूब लगाएगा। हालांकि यूट्यूब का एआई उम्र वेरीफिकेशन सिस्टम सिर्फ लॉग इन होने पर ही काम करेगा। ऐसे में कोई भी व्यक्ति बिना अकाउंट के साइट का एक्सेस हासिल कर सकेगा। मगर किसी व्यक्ति ने अपने अकाउंट से साइन-आउट किया है तो उसे आयु-प्रतिबंधित वीडियो तक पहुंच नहीं मिलेगी।

 

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यूट्यूब पर आरोप है कि कुछ संवेदनशील वीडियो बच्चों तक पहुंच रहे हैं। इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य और सुरक्षा पर असर पड़ रहा है। नाबालिग नकली जन्मतिथि के आधार पर फर्जी अकाउंट बनाते हैं और उन वीडियो को भी देख पाते हैं, जिन तक पहुंच सिर्फ बालिग लोगों को ही मिलती है। इन सभी वजहों से यूट्यूब अपनी नीति और आयु सत्यापन सिस्टम को सख्त बनाने में जुटा है।

सबसे बड़ा सवाल

यूट्यूब अपने यूजर्स की उम्र का अनुमान एआई के माध्यम से लगाएगा। ऐसे में दिक्कत यह है कि अगर एआई ने गलत उम्र का अनुमान लगाया तो क्या होगा? भारत जैसे देशों में अक्सर माता-पिता के मोबाइल फोन पर बच्चे गेम और अन्य मनोरंजन के वीडियो देखते हैं। अगर एआई ने वीडियो के आधार पर उम्र का अनुमान लगाया तो बालिग माता-पिता नाबालिग की श्रेणी में आ सकते हैं। ऐसी स्थिति में संबंधित व्यक्ति को अपनी उम्र साबित करनी होगी और यूट्यूब के साथ अपना पहचान पत्र भी साझा करना होगा। मगर लोगों को चिंता है कि उनसे जुड़ी संवेदनशील जानकारी लीक हो सकती है। 

यह प्लेटफॉर्म भी कर रहे एज वेरीफिकेशन

  • टिकटॉक एआई के माध्यम से उम्र का पता लगाता है। अगर किसी भी यूजर्स की उम्र 13 साल से कम है तो उसके अकाउंट को ब्लॉक कर दिया जाता है।

 

  • पिछले साल फेसबुक की मूल कंपनी मेटा ने भी एलान किया था कि वह एआई के माध्यम से किशोरों को परोसी जाने वाली सामग्री को सुनियोजित करेगा।

 

  • यूनाइटेड किंगडम में डिस्कॉर्ड और रेडिट जैसी वेबसाइट ने पहले ही एआई आधारित तकनीक के माध्यम से यूजर्स की उम्र का अनुमान लगा रही हैं। 

 

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