डिप्रेशन हमारे शरीर को उससे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है जितना हमें आंखों से दिखाई देता है। एक सामान्य मानसिक स्वास्थ्य की समस्या पुरानी जोखिमों को बढ़ा सकती है जिसका असर हमारी उम्र पर पड़ता है। PLOS Medicine में प्रकाशित स्ट़डी में बताया गया कि जो लोगों डिप्रेशन की समस्या से पीड़ित उनमें पुरानी बीमारी के होने का खतरा 30 % तक तेजी से बढ़ता है जिसका प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता है।
अध्ययन में 170,000 से अधिक लोगों को शामिल किया जो डिप्रेशन से पीड़ित थे या वे पहले डिप्रेशन से गुजर चुके हैं। इन लोगों में ऑस्टियोआर्थराइटिस, हाइपरटेंशन और एसिड रिफेल्क्स जैसी पुरानी बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ा है उन लोगों के मुकाबले जो डिप्रेशन के पीड़ित नहीं है।
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डिप्रेशन एक मेंटल डिसऑर्डर है जिसमें पीड़ित व्यक्ति अपनी चीजों में दिलचस्पी खो देता है। उसे कोई भी काम करना अच्छा नहीं लगता है। जो लोग दुर्व्यवहार, गंभीर नुकसान या किसी तनावपूर्ण घटना से गुजरे हैं उन्हें डिप्रेशन होने का खतरा ज्यादा रहता है।
डिप्रेशन आपके फिजकल हेल्थ को कैसे प्रभावित करता है
डिप्रेशन की वजह से नींद नहीं आती है कि जिसकी वजह से आपको अनिद्रा की समस्या हो जाती है। इसका असर आपके इम्यून सिस्टम पर भी पड़ता है जिसकी वजह से स्थिति और ज्यादा खराब हो जाती है। स्टडी में इस बात पर जोर दिया गया है कि डिप्रेशन में पूरे शरीर पर ध्यान दिया जाना चाहिए, और मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों पर साथ में ध्यान देते हुए इलाज होना चाहिए।
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डिप्रेशन को शारीरिक बीमारियों से जोड़ा गया है जिसमें हृदय रोग और डायबिटीज शामिल हैं। इस स्टडी में शोधकर्ताओं ने इस बात पर भी ध्यान दिया है डिप्रेशन और बिना डिप्रेशन वाले लोगों में शारीरिक स्थितियां कितनी जल्दी विकसित होती हैं।
इस स्टडी में यूके बायोबैंके के 172, 556 लोगों को शामिल किया गया जिनकी उम्र 40 से 71 साल के बीच थी। ये स्टडी 2006 से 2010 तक हुई थी जिसमें 69 शारीरिक स्थितियों को ध्यान में रखा गया। स्टडी में पाया गया कि डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्तियों में औसतन 3 शारीरिक स्थितियां थीं जबकि जो लोग डिप्रेशन में नहीं थे उनमें 2 शारीरिक स्थितियां थीं। जो लोग डिप्रेशन से पीड़ित थे उनमें 15.7 प्रतिशत को ऑस्टियोआर्थराइटिस था और 12.5 प्रतिशत वे लोग थे जिन्हें डिप्रेशन नहीं था। इसके अलावा डिप्रेशन से पीड़ित लोगों में हाइपरटेंशन और गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग (GERD) की समस्या भी देखी गई।
भावनात्मक लक्षण
ज्यादातर दुखी रहना
जो चीजें पहले अच्छी लगती थी अब उनमें रुचि ना होना
हमेशा निराशाजनक, खालीपन
हमेशा परेशान रहना
कोई भी फैसला लेने में परेशानी होना
शारीरिक लक्षण
थकान और लो एनर्जी
भूख ना लगना
नींद ना आना
आकरण ही शरीर में दर्द रहना
व्यवहारिक लक्षण
परिवार और दोस्तों से कटे रहना
स्कूल और काम में मन ना लगना
मन में बुरे-बुरे ख्याल आना
शराब और सिगरेट का सेवन
अगर आप में भी ये लक्षण 2 हफ्ते से ज्यादा दिखाई दे रहे हैं तो विशेषज्ञ की मदद लें
डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों और सामान्य बातचीत पर आधारित है। खबरगांव इसकी पुष्टि नहीं करता है। विस्तृत जानकारी के लिए आप अपने किसी डॉक्टर की सलाह लें।