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हीटवेव की वजह से हो सकता है डिप्रेशन और एंग्जायटी, स्टडी में दावा

जलवायु परिवर्तन की वजह से टेम्परेचर तेजी से बढ़ रहा है। हाई टेम्पेचर की वजह से हीटवेव यानी लू का खतरा बढ़ जाता है। लू सिर्फ शारीरिक ही नहीं मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालता है।

heatwave affect mental health

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit Freepik)

अधिक तापमान की वजह से लोग हीटवेव यानी लू का अनुभव करते हैं। लू सिर्फ शारीरिक ही नहीं मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालता है। Journal of Affective Disorders में प्रकाशित स्टडी में पाया गया कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले छात्रों में हीटवेव और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बीच गहरा संबंध पाया गया है।

 

यह शोध चेतावनी की तरह है कि जलवायु परिवर्तन का असर हमारे शरीर पर ही नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ रहा है। यह स्टडी चीन में हुई जिमसें 20,000 छात्रों को शामिल किया गया। इन छात्रों की उम्र 10 से 18 साल की बीच थी। इन छात्रों को चयन भौगोलिक क्षेत्रों, स्कूलों के प्रकार और शहरी-ग्रामीण परिवेश विविधताओं  के आधार पर की गई थी। इस स्टडी में लड़के और लड़कियों की संख्या बराबर थी।

 

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हीटवेव की वजह से मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है प्रभाव

इस स्टडी के परिणाम चौंकाने वाले थे। अध्ययन में पाया गया कि हीटवेव के कॉन्टेक्ट में आने की वजह से मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। अध्य्यन में पाया गया कि जो जितना हीटवेव के संपर्क में आया उतना ही डिप्रेशन, एंग्जायटी या दोनों समस्याओं के एक साथ होने का खतरा बढ़ गया।

 

स्टडी की लेखक और प्रोफेसर यिजेन यू ने कहा, 'हीटवेव के शारीरिक प्रभावों को लेकर काफी शोध हो चुके हैं लेकिन किशोरों पर इसके मानसिक प्रभाव को लेकर बहुत कम समझा गया है। हमारी स्टडी में पता चला की हीटवेव के संपर्क में आने की वजह से चीनी किशोरों में डिप्रेशन और एंग्जायटी के लक्षणों में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है'। 

 

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अध्ययन के प्रोफेसर ने आगे कहा, 'यह अध्ययन मानसिक स्वास्थ्य पर जोर देने की आवश्यकता को दर्शाता है और यह भी बताता है कि क्लाइमेंट चेंज कैसे छात्रों के मानिसक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। यह स्कूल, परिवारों और नीति निर्माताओं को यह समझने में मदद कर सकती है कि बदलते जलवायु संकट के बीच मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक भलाई को प्राथमिकता देना कितना जरूरी है'।

 

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