वजन घटाने के लिए लोग तमाम तरह के डाइटिंग ट्रेंड को फॉलो करते हैं। इन्हीं में से एक इंटरमिटेंट फास्टिंग है। इस फास्टिंग के दौरान व्यक्ति 12 से 16 घंटे तक भूखा रहता है।ऐसा करने से वजन कंट्रोल में रहता है। साथ ही ब्लड शुगर भी नियंत्रित रहता है। कई सेलिब्रिटीज भी इंटरमिटेंट फास्टिंग डाइट को फॉलो करते हैं। हाल ही में इंटरमिटेंट फास्टिंग को लेकर चौंकाने वाली स्टडी है। इस स्टडी ने सभी को हैरान कर दिया है।
स्टडी में कहा गया है कि जो लोग 16 घंटे तक इंटरमिटेंट फास्टिंग करते हैं उनमें दिल की बीमारी से मरने का खतरा 135% तक बढ़ सकता है। यह स्टडी Diabetes & Metabolic Syndrome: Clinical Research and Review नाम के जर्नल में पब्लिश हुई है। शोधकर्ताओं ने 19 हजार से ज्यादा लोगों पर विशलेषण किया है। इन 19 हजारों लोगों के खाने पीने की चीजों को रिकॉर्ड किया गया। इन लोगों को खाने की अवधि के आधार पर बांटा गया। इसमें 8 से 10 घंटे, 10 से 12 घंटे, 12 से 14 घंटे, 16 घंटे से ज्यादा देर तक उपवास रखने वाले लोगों को शामिल किया गया था। हमने इस बारे में जयपुर, न्यूट्रीप्लस की डायरेक्टर और सीनियर क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉक्टर अंजलि फाटक से बात की।
यह भी पढ़ें- आर्टिफिशियल स्वीटनर के सेवन से दिल पर पड़ता है प्रभाव, स्टडी में दावा
कितने प्रकार का होता है इंटरमिटेट फास्टिंग?
इंटरमिटेंट फास्टिंग तीन प्रकार की होती है। पहला जिसमें 16 घंटे तक भूखे रहते है और 8 घंटे खाना खाता है। दूसरा हफ्ते में 5 दिन सामान्य खाना खाते हैं और 2 दिन कम कैलोरी वाली डाइट लेते हैं। तीसरा जिसमें आप 30 से 24 घंटे तक फास्ट रखते हो। इस डाइट को सोशल मीडिया पर मैजिकल डाइट कहा जाता है। कई लोगों ने दावा किया है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से वजन कम हुआ है।

किन कारणों से दिल पर पड़ता है प्रभाव?
डाइटिशियन अंजलि फाटक ने बताया कि ज्यादातर लोग 16 घंटे की फास्टिंग तो कर लेते हैं लेकिन 8 घंटे में कुछ भी खा लेते हैं जिसमें तला भूना और प्रोसेस्ड चीजें भी शामिल होती है। खाने पीने की चीजों का सही चयन नहीं करते हैं। फास्टिंग के दौरान सिरदर्द, चक्कर आना और अन्य समस्याएं होती हैं। अगर इसे सही डाइट के साथ किया जाए तो कोई दिक्कत नहीं होती है।
- जिन लोगों को पहले से ही दिल की बीमारी होती है। उन्हें डॉक्टर या डाइटिशियन की देख-रेख में फास्टिंग करना चाहिए। इसके अलावा जिन्हें एरिथिमिया की समस्या होती हैं उन्में ब्लड शुगर बहुत कम या ज्यादा होने से परेशानियां होती है।
- कई लोगों में ब्लड शुगर हाइपरग्लासिमिक हो सकता है जिस कारण व्यक्ति को चक्कर आता है। इसे साइलेंट अटैक भी कहा आता है। यह साइलेंट अटैक हार्ट अटैक हो सकता है या ब्रेन में स्ट्रोक हो सकता है।

- बुजर्ग व्यक्ति अगर 16 घंटों तक फास्टिंग करते हैं और उन्हें पहले से ही हार्ट संबंधी बीमारियां हैं तो उनमें इलेक्ट्रोलाइट इम्बैलेंस हो जाता है जिसमें मुख्य रूप से पोटेशियम है। बुजुर्ग लोगों में इलेक्ट्रोलाइट इम्बैंलेस की वजह से डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। कई लोगों में सोडियम का लेवल बहुत ज्यादा कम हो जाता है। इस वजह से भी परेशानी हो सकती है।
- इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान 8 घंटे जो खाने का समय होता है उसमें बिना कंट्रोल किए खाना खाते हैं जिस कारण ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की समस्या हो सकती है। शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ने से हार्ट में ब्लॉकेज हो जाती है। इस वजह से हार्ट फेलियर या हार्ट अटैक आ सकता है।
यह भी पढ़ें- क्या होता है फेरिटिन टेस्ट? महिलाओं के लिए क्यों जरूरी है?
किन लोगों को इंटरमिटेंट फास्टिंग नहीं करनी चाहिए?
इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से पहले डाइटिशियन की सलाह लें। डाइटिशियिन पहले बॉडी कंपोजिशन एनालिसिस और बीएमआई की जांच करते हैं। इसके बाद डाइट चार्ट देते हैं। हर किसी को इंटरमिटेंट फास्टिंग की जरूरत नहीं होती है। कई बार डाइट चार्ट से भी वजन को कंट्रोल किया जा सकता है।
जिन लोगों को पहले से हृदय, डायबिटीज की समस्या होती हैं उन्हें इंटरमिटेंट फास्टिंग नहीं करना चाहिए।
प्रेग्नेंसी और स्तनपान के दौरान इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से बचना चाहिए।
अगर कोई 16 घंटे फास्टिंग करता है तो शरीर को हाइड्रेटेड रखना बेहद जरूरी है।
डाइट का खास ध्यान रखें। आप अपनी डाइट में नट्स, हरि सब्जियां, फलों, साबूत अनाज वाली चीजों को शामिल करें।
फास्ट फूड और प्रोसेस्ड चीजों को खाने से बचें।