अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रोस्टेट कैंसर से जूझ रहे हैं जो अब उनकी हड्डियों तक फैल चुका है। 82 वर्षीय बाइडेन ने हाल ही में इसके बारे में जानकारी दी है। इससे पहले साल 2023 में बाइडेन को स्किन कैंसर हुआ था। आइए जानते हैं क्या होता है प्रोस्टेट कैंसर और इसके लक्षण क्या है। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के मुताबिक अमेरिका में प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में होने वाला सबसे आम कैंसर है और इससे मौतें भी सबसे ज्यादा होती है। भारत में भी प्रोस्टेट कैंसर के मामले तेजी से बढ़े हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के मुताबिक, साल 2020 में प्रोस्टेट कैंसर के 40,000 नए मामले सामने आए थे। भारत में पुरुष में होने वाला यह तीसरा आम कैंसर है। दुनियाभर में हर साल 14 लाख लोग प्रोस्टेट कैंसर के शिकार होते हैं।
क्या होता है प्रोस्टेट ग्लैंड
प्रोस्टेट ग्लैंड पुरुषों के प्रजनन तंत्र का अहम हिस्सा है। यह ग्लैंड मूत्रायशय के नीचे होता है जो सीमेन बनाने में मदद करता है। यह इजेकुलेशन और यूरिनेशन के बीच में मेकेनिकल स्विच की तरह काम करता है। जब प्रोस्टेट ग्लैंड के सेल्स बिना कंट्रोल के बढने लगते हैं तो प्रोस्टेट कैंसर होता है। यह कैंसर शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल सकता है। यह बीमारी 50 साल के ऊपर के पुरुषों में ज्यादा देखी जाती है।
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प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण

- यूरिन करने में परेशानी
- सीमेन और यूरिन में खून आना
- हड्डियों में लगातार दर्द रहना
- अचानक वजन कम होना
- पैरों में सूजन आना
- थकान और कमजोरी
- इजैकुलेशन में दिक्कत होना
- इरेक्टाइल डिसफंक्शन
- टेस्टिकल्स में दर्द होना
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प्रोस्टेट कैंसर होने का कारण
प्रोस्टेट कैंसर होने के पीछे कोई खास कारण नहीं है। यह कैंसर उन लोगों को ज्यादा होने का खतरा होता है जिनकी उम्र 50 साल से ज्यादा होती है। इसके अलावा जिनके परिवार में प्रोस्टेट कैंसर की हिस्ट्री है। मोटापे से ग्रस्ति लोगों को प्रोस्टेट कैंसरे होने का खतरा ज्यादा रहता है। कुछ अध्ययनों में धूम्रपान और प्रोस्टेट कैंसर में सीधा संबंध पाया गया है। वे लोग जो अत्यधिक धूम्रपान करते हैं उन्हें यह कैंसर होने की संभावना अधिक होती है।
प्रोस्टेट कैंसर का कैसे पता लगाएं
प्रोस्टेट विशिष्ट एंटीजन (PSA)- पुरुषों के प्रोस्टेंट ग्लैंड में खास प्रोटीन का उत्पादन होता है। अगर खून में इस प्रोटीन की मात्रा ज्यादा हो जाए तो प्रोस्टेंट कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर पीएसए का लेवल 4 ng/mL है तो उस व्यक्ति को प्रोस्टेट कैंसर नहीं है। अगर पीएसए लेवल 4 से 10 ng/mL के बीच में तो कैंसर हो भी सकता है। अगर इसका लेवल 10 ng/mL से ज्यादा हो तो प्रोस्टेट कैंसर होने का खतरा 50 % से ज्यादा है।
बायोप्सी- बायोप्सी एक मेडिकल प्रोसेस है जिसमें शरीर के अंग के छोटे से टिशू को निकालकर टेस्ट किया जाता है कि कही कैंसर के सेल्स तो नहीं बन रहे हैं। इसके अलावा डॉक्टर प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाने के लिए डिजिटल रेक्टल एग्जाम भी करते हैं।
इलाज
प्रोस्टेट कैंसर को ठीक करने के लिए सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, हार्मोन थेरेपी और कीमोथेरीपी की मदद ली जाती है। इन थेरेपी के कई साइड इफेक्ट भी हैं। हार्मोन थेरेपी की वजह से टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन बनना बंद हो सकता है और इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या हो सकती है। रेडिएशन थेरेपी में पुरुष के पिता बनने की क्षमता पर असर पड़ता है। अगर कम उम्र के व्यक्ति को प्रोस्टेट कैंसर होता है तो डॉक्टर उन्हें सर्जरी से पहले स्पर्म फ्रीज कराने की सलाह देते हैं।