खान पान, एक्सरसाइज, हार्मोन, स्लीप साइकिल समेत तमाम चीजें हमारे वजन के बढ़ने या घटने में मुख्य भूमिका निभाती है। उदाहरण के लिए प्री मेनोपॉज फेज में जांघ, कूल्हे में फैट जमा होे जाता है। वहीं, मेनोपॉज से गुजर रही महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी की वजह से पेट के आसपास और शरीर के ऊपरी हिस्से में फैट जमा होता है।
जब फैट आपके पेट की त्वचा के साथ- साथ शरीर के अंगों के आसपास भी जमा होने लगता है तो उसे मेटाबॉलिक सिंड्रोम कहते हैं। इस वजह से डायबिटीज और हार्ट संबंधी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। अत्यधिक तनाव लेने की वजह से शरीर में अधिक मात्रा में कोर्टिसोल बनता है जिस वजह से कुशिंग सिंड्रोम हो सकता है। आइए जानते हैं अधिक मात्रा में कोर्टिसोल बनने से क्या होता है?
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कैसे काम करता है कोर्टिसोल हार्मोन

शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन होता है जिसे डॉक्टर 'स्ट्रेस हार्मोन' कहते हैं। इस हार्मोन को एड्रिनल ग्लैंड बनाता है। इसी ग्लैंड से एक और हार्मोन निकलता है जिसे एड्रिनल हार्मोन कहते हैं। जब आप स्ट्रेस या तनाव में होते हैं तो एड्रिनल हार्मोन सबसे पहले एक्टिव होता है। यह हार्मोन आपके शरीर को लड़ो और भागो की स्थिति में लाता है। कोर्टिसोल आपके शरीर में 'एड्रिनल रश' को लंबे समय तक शरीर में बनाए रखने में मदद करता है। अधिक मात्रा में कोर्टिसोल हार्मोन बनने से पेट के आसपास फैट जमा होने लगता है। इस बीमारी को कुशिंग सिड्रोम कहते हैं।
कुशिंग सिंड्रोम- यह एक ऐसी बीमारी जिसमें आपके शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन जरूरत से ज्यादा बनने लगता है। यह किसी ट्यूमर की वजह से हो सकता है या कुछ दवाइयों के साइड इफेक्ट से भी हो सकता है। इसमें आपके पेट के आसपास मोटापा बढ़ने लगता है जबकि हाथ- पैर पतले ही रहते हैं।

मेटाबॉलिक सिंड्रोम- एक ऐसी स्थिति जिसमें दो या तीन लक्षण साथ में दिखाई देते हैं। इस वजह से टाइप 2 डायबिटीज और हार्ट अटैक या स्ट्रोक आने का खतरा बढ़ जाता है। जिन लोगों को मेटाबॉलिक सिंड्रोम होता है उनका शरीर अक्सर सेब के आकार का होता है जिसमें पेट के आसपास चर्बी जमा होती है।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम के लक्षण
- कमर के आसपास मोटापा
- पुरुष की कमर 40 इंच से ज्यादा
- महिलाओं की कमर 35 इंच से ज्यादा
- हाई बीपी
- ब्ल्ड शुगर ज्यादा होना
- ट्राइग्लिसराइड्स का लेवल ज्यादा होना
- गुड कोलेस्ट्रॉल (HDL) का स्तर कम होना:
- पुरुषों में 40 mg/dL से कम।
- महिलाओं में 50 mg/dL से कम
डॉक्टर के मुताबिक, अगर किसी व्यक्ति में अगर तीन से ज्यादा लक्षण पाए जाते हैं तो उसे मेटाबॉलिक सिंड्रोम है। यह सिंड्रोम खासतौर से अधिक उम्र के लोगों को होता है। अगर आपको मेटाबॉलिक सिंड्रोम के लक्षण हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेकर खानपान और जीवनशैली में बदलाव करें।
कैसे कम करें तनाव- तनाव को कम करने के लिए अपने सेहत पर खास ध्यान दें।

एक्सरसाइज करें
रोजाना कुछ ऐसे काम करें जिसमें आपकी दिलचस्पी हो।
रोजाना कम से कम 8 हजार कदम चलने की कोशिश करें।
कुछ स्ट्रेंथ और वेट ट्रेनिंग एक्सरसाइज भी करें।
पर्याप्त नींद लें
8 से 9 घंटे की पूरी नींद लें
रोजाना एक ही समय पर सोने और उठने की आदत डालें।
ब्रीथिंग एक्सरसाइज करें
स्ट्रेस को कम करने के लिए मेडिटेशन, ब्रीथिंग एक्सरसाइजक और माइंडफुलनेस वाली चीजें करें। इन चीजों को करने से मन शांत रहता है। इसके अलावा आप योग भी कर सकते हैं। योग करने से मन शांत रहता है।
- घर से कुछ समय के लिए बाहर निकलें।
- आप पास के लोगों से बात करें।
- धूम्रपान ना करें। धूम्रपान करने से कोर्टिसोल का लेवल बढ़ता है और स्लीप पैटर्न पर भी असर पड़ता है।