आज के समय में हम जो खा रहे हैं या जिस तरह का लाइफस्टाइल जी रहे हैं। इस वजह से हमारी सेहत को नुकसान पहुंचता है। पिछले कुछ सालों में लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ी हैं। फिर चाहे डायबिटीज हो या हार्ट संबंधी बीमारियां। पिछले कुछ सालों में फैटी लिवर के केस तेजी से बढ़े हैं। पहले ये बीमारी एडल्ट लोगों को होती थी। अब ये बीमारी बच्चों को भी हो रही है। हर 3 में से एक बच्चा फैटी लिवर की समस्या का शिकार हो गया है।
नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर का मतलब है कि लिवर में फैट जमा होना। इसमें लिवर का वजन करीब 5 से 10 प्रतिशत बढ़ जाता है। इसका मुख्य कारण मोटापा है। भारत में 17 से 40 प्रतिशत तक बच्चे मोटापे का शिकार है जिनकी उम्र 8 से 20 साल के बीच है।
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बच्चे क्यों हो रहे हैं फैटी लिवर के शिकार
TOI की रिपोर्ट के मुताबिक खराब लाइफस्टाइल की वजह से बच्चें ज्यादातर जंक फूड का सेवन करते हैं जिसकी वजह से लिवर में फैट जमा होता है। जंक फूड के अलावा फिजिकल एक्टिविटी नहीं करने से भी फैटी लिवर की समस्या हो सकती है। बच्चों को खाने में फल, सब्जियां और फाइबर वाली चीजों का सेवन करवाना चाहिए। अनहेल्दी एनर्जी ड्रिंक से दूर रहना चाहिए। नॉन-अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (NASH) एक तरह से NAFLD का रूप है जिसमें बच्चे के लिवर में सूजन आ जाती है और लिवर में फैट जमने की वजह से लिवर को नुकसान पहुंचता है। बच्चे में मोटापा, मेटाबोलिक सिंड्रोम, टाइप 2 डायबिटीज,हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ सकती है जिससे एनएएफएलडी और नएएएसएच हो सकता है।
कैसे करें बचाव
पेरेंट्स को बच्चे की हेल्थ पर खास ध्यान देना चाहिए। उन्हें घर का बना पौष्टिक खाना खिलाएं। इसके अलावा बच्चे को शुगर और जंक फूड से दूर रखें। बच्चे का वजन सही होना चाहिए। बच्चे को स्क्रीन टाइम ज्यादा नहीं होना चाहिए। उनसे आउटडोर एक्टिविटी करवाएं। इससे बच्चे स्वस्थ रहेंगे और मोटापा भी नहीं बढ़ेगा।
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डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल इंटरनेट पर उपलब्ध सामान्य जानकारी और डॉक्टर से बातचीत पर आधारित है। सही परामर्श के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।