गिला मॉन्स्टर छिपकली का जहर इंसानों के लिए खतरनाक होता है, लेकिन उसके जहर में कुछ ऐसे तत्व होते हैं जिसने मेडिकल साइंस में क्रांति ला दी। इससे GLP-1 एगोनिस्ट दवाएं बनी जैसे Ozempic और Wegovy जिसका इस्तेमाल डायबिटीज और मेटापे के इलाज में किया जाता है। साइंस एलर्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, इन दवाओं में मिलने वाला जरूरी तत्व छिपकली के जहर से मिलता है।
20वीं सदी के अंत में डोक्राइनोलॉजिस्ट डेनियल ड्रकर, एक ऐसे हार्मोन की तलाश कर रहे थे जो शरीर में GLP-1 की तरह भूख को दबाने और ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद कर सके। उनकी इस रिसर्च ने उन्हें जॉन एंग, जीन-पियरे राउफमैन और जॉन पिसानो के काम तक पहुंचया। इन वैज्ञानिकों ने गिला मॉन्स्टर के जहर में ऐसे प्रोटीन की खोज की थी जो इंसानों में GLP-1 से मिलता-जुलता था। इसी खोज की वजह से डायबिटीज और मोटापे वाली दवाएं बन सकी।
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कैसे हुई टाइप 2 डायबिटीज की दवा की खोज
ड्रकर और उनकी टीम ने टोरंटो विश्वविद्यालय में अध्य्यन के लिए यूटाह के चिड़ियाघर से गिला मॉन्स्टर लेकर आए। अध्ययन में पाया गया कि छिपकली में खास तरह का जेनेटिक्स Exendin-4 प्रोटीन होता है जो GLP-1 से बहुत मिलता-जुलता है लेकिन शरीर में लंबे समय तक एक्टिव रहता है। साल 2005 में एफडीए (FDA) ने टाइप 2 डायबिटीज के इलाज के लिए इसे मंजूरी दे दी और बाद में इसका इस्तेमाल मोटापे को नियंत्रित करने के लिए भी किया जाने लगा।
गिला मॉन्स्टर एक ऐसा जीव नहीं जिसने आधुनिक दवाइयों को बनाने में अपना योगदान दिया है। पहले भी वैज्ञानिकों ने दुनिया के विषैले जीवों के टॉक्सिन्स का इस्तेमाल कर जीवन रक्षक दवाओं को बनाया है।
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ये दवा होती है हार्ट संबंधी बीमारियों में इस्तेमाल
दुनिया की सबसे अधिक बिकने वाली दवाओं में एस लिसिनोप्रिल है। ये दवा ब्राजीली वाइपर नामक सांप के जहर से बनती है। इसके जहर में एंजाइम अवरोधक (इनहिबिटर) होता है जो ब्लड प्रेशर को कम करने, हार्ट फेलियर के इलाज और हार्ट अटैक से उबरने में मदद करता है। ये दवा ब्लड वेसल्स को जरूरत से ज्यादा सिकुड़ने नहीं देती है।
Disclaimer: यह आर्टिकल इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों और सामान्य बातचीत पर आधारित है। खबरगांव इसकी पुष्टि नहीं करता है। विस्तृत जानकारी के लिए आप अपने किसी डॉक्टर की सलाह लें।