logo

ट्रेंडिंग:

सिगरेट के धुएं से बदल सकते हैं बच्चों के जीन, बीमारियों का बढ़ेगा खतरा

पैसिव स्मोकिंग बच्चों के सेहत के लिए नुकसानदायक है। हाल ही में स्टडी हुई है जिसमें बताया गया है कि पैसिव स्मोकिंग बच्चों के जीन्स को बदल सकता है।

smoking

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Freepik)

हम सभी जानते हैं कि धूम्रपान सेहत के लिए हानिकारक है। ये उनके लिए भी हानिकारक है जो धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों के आसपास रहते हैं। हाल ही में एक स्टडी सामने आई है जिसमें कहा गया है कि पैसिव स्मोंकिग के संपर्क में आने से बच्चों के जीन में बदलाव हो सकते हैं। इस वजह से आने वाले समय में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

 

बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ के वैज्ञानिकों की स्टडी एनवायरमेंट इंटरनेशनल में पब्लिश हुई है। स्टडी में बताया गया कि बच्चों को पैसिव स्मोकर्स से दूर क्यों रखना चाहिए।

 

ये भी पढ़ें- टीनेजर्स के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग सही या गलत? वैज्ञानिकों से जानें

 

बच्चों के जीन को प्रभावित करता है पैसिव स्मोकिंग

स्टडी में बताया गया कि बचपन के दौरान सेकेंड हैंड स्मोक (पैसिव स्मोकिंंग) आणविक स्तर (मोलिक्यूल के लेवल) पर अपनी छाप छोड़ते है और जीन के एक्सप्रेशन को बदल सकते हैं जिस वजह से बड़े होने पर बीमारियों के संपर्क में आने का खतरा बढ़ जाता है। डीएनए में जीन शरीर के लिए एक मैनुअल की तरह काम करता है, हालांकि पर्यावरण में बदलाव जैसे कि तम्बाकू के धुएं से जीन एक्सप्रेशन प्रभावित होता है।

 

जीन एक्सप्रेशन यह है कि जीन में मौजूद जानकारी कैसे आपके व्यव्हार में परिवर्तित होती है। डीएनए मिथाइलेशन एक प्रकिया है जो जीन को ऑन या ऑफ कर सकता है। कुछ मामलों में डीएनए मिथाइलेशन कुछ विशेष जीन्स को साइलेंट कर देते हैं जिसकी वजह से बीमारी का विकास होता है।

 

ये भी पढ़ें- क्या बुलेटप्रूफ कॉफी है सिर्फ वायरल ट्रेंड, जानें एक्सपर्ट की राय

 

फेफड़े और हृदय रोग होने का खतरा

 

स्पेन और फ्रांस समेत 8 यूरोपियों देशों के 7 से 10 वर्ष के लगभग 2700 बच्चों के ब्लड सैंपल लिए गए। स्टडी में पाया गया कि नॉन स्मोकर्स के जीन में बदलाव देखा गया। भारत सहित अन्य देशों में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर सख्त प्रतिबंध है। इसके बावजूद बच्चे पैसिव स्मोकिंग का शिकार हो रहे हैं। 2004 के आंकड़ों के मुताबिर, वैश्विक स्तर पर लगभग 40 प्रतिशत बच्चे पैसिव स्मोकिंग के संपर्क में आए थे। इस वजह से फेफड़े और हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है। वैज्ञानिक पहले से जानते हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान अगर कोई महिला धूम्रपान करती है तो ये बच्चे के जीन को प्रभावित करता है लेकिन ये पहली बार स्टडी में आया है कि बचपन में तंबाकू के धुएं के संपर्क में आने से जीन से प्रभावित होता है।

 

डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों और सामान्य बातचीत पर आधारित है। खबरगांव इसकी पुष्टि नहीं करता है। विस्तृत जानकारी के लिए आप अपने किसी डॉक्टर की सलाह लें।

 

 

 
Related Topic:#Smoking#Health

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap