ओडिशा के संभलपुर क्षेत्र में 160 साल पुरानी दुकान है जहां पर सरसतिया मिठाई मिलती है। सरसतिया एक मिठाई है जो गांजर पेड़ की गोद से बनाया जाता है। इस दुकान के मालिक प्रभु लाल का कहना है कि उनकी पिछली तीन पीढ़िया इस मिठाई को बना रही हैं। यह मिठाई कहीं और नहीं मिलती है। इसीलिए वह चाहते हैं कि उनकी दुकान को जीआई टैग मिले। आइए जानते हैं कैसे बनता है सरसतिया?
सरसतिया एक प्राचीन मिठाई है जिसे उतनी लोकप्रियता नहीं मिली। इस मिठाई को मुख्य रूप से संबलपुर क्षेत्र में पारंपरिक रूप से बनाया जाता है। यह मिठाई गांजर पेड़ की टहनियों को गोद से बनती है। इसे बनाने के लिए अरवा चावल का आटा, चीनी और गांजर पेड़ का गोद चाहिए।
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सरसतिया बनाने की विधि
सबसे पहले गांजर की टहनियों की छाल को पानी में भिगोकर रख दें। उसके बाद उन टहनियों को छीलकर उसका जूस निकाल लें। इसके बाद चावल के आटे में शक्कर और गांजर के गोद को मिलाकर पतला घोल तैयार कर लें। इसके बाद इस मिश्रण को करीब 10 से 15 मिनट के लिए छोड़ दें और बाद में सेवई की तरह तल लिया जाता है। यह मिठाई खाने में हल्की मीठी और कुरकुरी होती है।
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पारंपरिक मिठाई है सरसतिया
सरसतिया ओडिशा की पारंपरिक मिठाई है। यह मिठाई आपको हर जगह नहीं मिलेगी। संभलपुर आने वाले टूरिस्ट इस मिठाई का सेवन करते हैं। यहां के लोग इस मिठाई को प्रसाद की तरह खाते हैं। इसे बनाने में काफी मेहनत लगती है। धीरे- धीरे इस मिठाई की लोकप्रियता कम होती जा रही है क्योंकि अब जगलों में न ही इतने पेड़ बचे हैं और न ही लोग इस बनाने का काम करना चाहता है। पहले के समय में इसे राजाओं की पसंदीदा मिठाई कहा जाता था।