टीबी यानी ट्यूबरक्लोसिस एक गंभीर बीमारी है जिसका सही समय पर इलाज ना होने पर जानलेवा हो सकती है। आज के समय में इस बीमारी को लेकर लोग जागरूक हैं। ये एक बैक्टीरियल बीमारी है। ये बीमारी आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती है। आज हम आपको मल्टीड्रग रजिस्टेंट ट्यूबक्लोसिस (MDR-TB) के बारे में बता रहे हैं। नए अध्ययन में पाया गया है कि बच्चों और किशोरों में एमडीआर ट्यूबरक्लोसिस के मामलों को कम दिखाया गया है।
मल्टीड्रग रजिस्टेंट ट्यूबरक्लोसिस के मरीजों में खास तौर का बैक्टीरियल स्ट्रेन होता है जो दवाओं का संक्रमण पर असर नहीं होने देता है। मल्टीड्रग रजिस्टेंट के कारण बैक्टरियल बीमारी को ठीक होने से रोकता है और इस वजह से इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। अधय्यन के लिए शोधकर्ताओं ने पुराने अधय्यनों का विश्लेषण किया है।
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MDR-TB क्यों है खतरनाक
अध्ययन में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालयल सहित 42 अध्ययनों का विशलेषण किया गया। इस स्टडी में 23, 369 से अधिक बच्चों और किशोरों को शामिल किया गया है। द लांसेट चाइल्ड एंड एडोलेसेंट हेल्थ जर्नल में प्रकाशित निष्कर्षों से पता चला कि हर चार बच्चों या किशोरों में से तीन का सफलता पूर्वक इलाज किया गया था। उनका ये इलाज करीब 16 महीने तक चला था। लेखकों ने लिखा, बच्चों और किशोरों में एमडीआर और आरआर ट्यूबरक्लोसिस के इलाज वाले लोगों की संख्या को कम दिखाया गया है।
रिफैक्सिमिन टीबी के लिए इस्तेमाल होने वाली प्रमुख दवाई है। इस स्टडी में 15 से 19 साल के किशोर है जो लगभग 70 प्रतिशत लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। लेखकों ने कहा, उनमें बीमारी का पैटर्न वैसा ही होता है जैसा कि टीबी के वयस्कों में देखा जाता है। खासतौर पर 5 साल के बच्चों के डेटा गलत दिखाया गया है क्योंकि दुनियाभर में टीबी के कारण होने वाली अधिकांश मौतें इस उम्र में होती है क्योंकि उनका कभी इलाज नहीं शुरू किया जाता है।
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कनाडा के टोरंटो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि 90 प्रतिशत बच्चों और किशोरों में इलाज के सफल होने का चांस सबसे ज्यादा पाया गया जबकि संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया लगभग सभी दवाओं के प्रति प्रतिरोधी होते है।
क्या है MDR- TB
एमडीआर ट्यूबरक्लोसिस में बैक्टीरियल स्ट्रेन पर दवाएं असर नहीं करती है। ये आपके शरीर इस बीमारी को ठीक होने में 18 से 24 महीने लग जाते हैं या उससे ज्यादा भी समय लग सकता है। इस बीमारी में शरीर की प्रतिरोधक क्षमत कमजोर हो जाती है।