पिछले कुछ सालों में हृदय संबंधी बीमारियां तेजी से बढ़ी है। पहले बुजुर्ग लोगों को हार्ट अटैक या स्ट्रोक आता था लेकिन आज के समय में युवा भी हृदय संबंधी बीमारियों से पीड़त हैं। हृदय संबंधी बीमारियां बढ़ने का मुख्य कारण खराब खानपान और सेडेंटरी लाइफस्टाइल ( एक ही जगह पर 8 से 9 घंटे तक) बैठकर काम रहना है। आज हम आपको हार्ट से जुड़ी बीमारी हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी (HCM) के बारे में बता रहे हैं। इस बीमारी को थिक हार्ट सिंड्रोम कहते हैं।
यह एक जेनेटिक बीमारी है जिसमें हृदय की मांसपेशियां मोटी हो जाती है। इस बीमारी की वजह से हार्ट खून को ठीक तरह से पंप नहीं कर पाता है। इस बीमारी की वजह से हार्ट फेलियर, अनियमित रूप से दिल धड़कना और दिल का दौरा भी पड़ सकता है।
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क्या होता है
रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में हर 200 में से 1 व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित होता है। भारत में लगभग में 72 लाख लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। थिक हार्ट सिंड्रोम एक जेनेटिक बीमारी है जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। इस बीमारी की शुरुआत में कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है इसलिए इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है। इस बीमारी का पता ईसीजी या इकोकार्डियोग्राम के जरिए पता लगाया जाता है। इसके अलावा जेनेटिक टेस्टिंग के जरिए भी पता लगाया जाता है।
थिक हार्ट सिंड्रोम के लक्षण
- छाती में दर्द या दबाव
- सांस लेने में कठिनाई
- थकान
- धड़कन की अनियमितता
- बेहोशी
अगर आपको एक्सरसाइज करते समय छाती में दर्द या थकान महसूस होती है तो तुरंत डॉक्टर की मदद लें। ये लक्षण एचसीएम (HCM) या कोई अन्य हृदय संबंधी बीमारी के हो सकते हैं।
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थिक हार्ट सिंड्रोम के बचाव
थिक हार्ट सिंड्रोम का इलाज मरीज के स्थिति के हिसाब से होता है। शुरुआत में बीटा ब्लॉकर्स या कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स जैसी दवाएं दी जाती है ताकि हार्ट रिलेक्स रहे और ब्लड फ्लो बेहतर तरीके से हो सके। गंभीर मामलों में मांसपेशियों की मोटाई को कम करने के लिए सर्जरी भी की जाती है।
दिल को स्वस्थ रखने के लिए फॉलो करें हेल्दी लाइफस्टाइल- हृदय संबंधी बीमारियों से बचने के लिए अपने लाइफस्टाइल में बदलाव करें। हेल्दी डाइट के साथ रोजाना एक्सरसाइज करें। शराब पीना और धूम्रपान छोड़े। इसके अलावा अपने स्लीप शेड्यूल को ठीक करें। इसके अलावा स्ट्रेस से दूर रहे। स्ट्रेस की वजह से सेहत पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
Disclaimer: यह आर्टिकल इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों पर आधारित है। विस्तृत जानकारी के लिए आप अपने किसी डॉक्टर की सलाह लें।