नेटफ्लिक्स की मोस्ट पॉपुलर वेब सीरीज 'वेडनेसडे' का दूसरा सीजन स्ट्रीम हो चुका है। इस सीरीज में 'वेडनेसडे' का किरदार अभिनेत्री जेना ओर्टेगा ने निभाया है। उनकी दमदार एक्टिंग ने लोगों का दिल जीत लिया है। जेना महज 22 साल की हैं। सीरीज के दूसरे सीजन को भी लोगों ने खूब पसंद किया है। जेना ओर्टेगा ने अपने लेटेस्ट इंटरव्यू में बताया कि वह इंटेंस ओसीडी (ऑब्सेसिव कम्पलिस्व डिसऑर्डर ) से पीड़ित है जिस वजह से एक ही काम को बार बार रिपीट करती हैं। उन्होंने बताया कि इस बीमारी की वजह से मुझे मानसिक दवाब महसूस होता है। मैं अपना ज्यादातर काम रात के समय में करती हूं। मैं लेट नाइट स्क्रिप्ट पढ़ती हूं, फोन कॉल के जवाब देती हूं। ओसीडी की वजह से मेरे दिमाग में एक ही ख्याल बार बार आते हैं और चीजों को बार बार गिनती हूं और एक ही काम को कई बार करती हूं'।
उन्होंने बताया कि ओसीडी की वजह से कभी- कभी ऐसा होता है कि वह छह से सात बार सीढ़ियों से ऊपर नीची करती हैं क्योंकि उन्हें डर लगता है कि कोई उनके घर में न घुस आए। आइए इस मानसिक बीमारी के बारे में जानते हैं।
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ऑब्सेसिव कम्पलिस्व डिसऑर्डर (OCD) के लक्षण
ओसीडी का मुख्य लक्षण ऑब्सेशन और कम्पल्शन है जिस वजह से रोजमर्रा के कामों को करने में दिक्कत होती है। ऑब्सेशन में अनचाहे और परेशान करने वाले विचार या इमेज सामने आती है जिस वजह से एंग्जायटी होती है। ओसीडी से पीड़ित व्यक्ति अपने विचारों को नियंत्रित नहीं कर पाता है और कम्पल्शन में इन विचारों से छुटकारा पाने के लिए बार बार एक ही काम को करता है।
ऑब्सेशन (बार-बार आने वाले विचार)
- किसी गंदगी के संपर्क में आने का डर
- खुद को या किसी और को नुकसान पहुंचाने का डर
- शक और घिन की भावनाएं।
- किसी भी तरह की कोई गलती करने का डर
- चीजों को व्यस्थित रुप से रखने की जरूरत
- सेक्स से संबंधित अनचाहे विचार या दिमाग में छवि का आना
- सही और गलत के बारे में बहुत ज्यादा सोचना
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कम्पलशन (चीजों को ठीक करने का विचार)
- चीजों को व्यवस्थित रखना।
- बार बार नहाना, सफाई करना और हाथ धोना।
- बार बार ताले, स्विच, दरवाजे को चेक करना।
ओसीडी का कारण
ओसीडी होने का कोई सटीक कारण नहीं है। दिमाग में सेरोटोनिन नामक न्यूरोट्रांसमीटर की कमी या गड़बड़ी की वजह से हो सकती है। कुछ लोगों के परिवार में यह बीमारी जेनेटिक होती है। जीवन में किसी बड़े बदलाव या दुर्घटना के बाद यह बीमारी हो सकती है।
इलाज- ओसीडी के मरीजों को हमेशा डॉक्टर की देख-रेख में दवाइयां लेनी चाहिए। दवाइयों के साथ अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करें। माइंडफुलनेस और रिलेक्सेशन वाली एक्सरसाइज करें।