अगर आपकी पसंदीदा ड्रेस या शर्ट धोने के बाद सिकुड़ जाए तो आपका दिल टूटना लाजिमी है। खासकर तब जब आपने सभी दिशा-निर्देशों का बारीकियों से पालन किया हो। आप में से कई ने महसूस किया होगा कि कुछ कपड़े अन्य की तुलना में ज्यादा सिकुड़ते हैं लेकिन क्यों? कपड़ा बनाने में इस्तेमाल होने वाले रेशों का विज्ञान समझकर आप न सिर्फ अपनी पसंदीदा ड्रेस को सिकुड़ने से रोक सकते हैं बल्कि उसे धोते समय की जानी वाली गलतियों से भी बच सकते हैं।
कपड़े आखिर क्यों सिकुड़ते हैं? यह जानने के लिए हमें पहले यह समझना होगा कि कपड़े कैसे बनते हैं। सूती और लिनन जैसे सामान्य रेशे वाले कपड़े पौधों से बनते हैं। इन कपड़ों के रेशे प्राकृतिक रूप से छोटे होते हैं। कपड़ा बनाते समय इन रेशों को यांत्रिक रूप से खींचा और मोड़ा जाता है, ताकि ये सेल्यूलोज सीधी हो जाएं और कतार में आ जाएं। इस प्रक्रिया में चिकने लंबे धागे बनते हैं।
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क्यों सिकुड़ते हैं कपड़े?
रासायनिक स्तर पर, ये सैल्यूलोज ‘हाइड्रोजन बॉन्ड’ से जुड़ी होती हैं जो रेशों और धागों को मजबूत एवं लचीला बनाते हैं। धागों को आपस में बुना या पिरोया जाता है जिससे वे एक-दूसरे के साथ जुड़ते हैं और कपड़े का आकार लेते हैं। हालांकि, इन रेशों की ‘फाइबर मेमोरी’ बहुत अच्छी होती है। यही कारण है कि जब कपड़े मशीन में धुलते हैं तो खुद बखुद ढीले पड़ जाते हैं और मूल रूप से सिकुड़ जाते हैं ‘फाइबर मेमोरी’ के कारण ही कुछ कपड़ों पर आसानी से सिलवटें पड़ जाती हैं, जबकि कुछ कपड़े धोने के बाद सिकुड़ भी जाते हैं।
धोने से क्यों सिकुड़ते हैं कपड़े?
कपड़े धोने के दौरान गर्म पानी रेशों के ऊर्जा स्तर को बढ़ाने में मदद करता है यानी वे तेजी से हिलते हैं, जिससे उन्हें एक-दूसरे से जोड़े रखने वाले ‘हाइड्रोजन बॉन्ड’ टूट जाते हैं। रेशों को जिस तरह से बुना या पिरोया जाता है, इसकी भी अहम भूमिका होती है। ढीले बुने हुए कपड़ों में धागों के बीच ज्यादा खुली जगह और लूप होते हैं, जो उन्हें न सिर्फ अधिक लचीला और सांस लेने योग्य बनाते हैं, बल्कि उनके सिकुड़ने की संभावना भी ज्यादा होती है। कसकर बुने हुए कपड़े ज्यादा प्रतिरोधी होते हैं, क्योंकि उनमें धागों के बीच ज्यादा जगह नहीं होती है, जिससे वे (धागे) अपनी जगह पर टिके रहते हैं।
इसके अलावा, सेल्यूलोज ‘हाइड्रोफिलिक’ होता है, यानी यह पानी को आकर्षित करता है। पानी रेशों के अंदर घुसकर उन्हें न सिर्फ फूला देते हैं, बल्कि अधिक लचीला एवं गतिशील बनाते हैं। इसके अलावा, वॉशिंग मशीन के अंदर ‘टंबल’ और ‘ट्विस्ट’ क्रिया भी होती है। इस पूरी प्रक्रिया में रेशे ढीले पड़ जाते हैं और प्राकृतिक रूप से सिकुड़ जाते हैं।
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ठंडा पानी में भी सिकुड़ जाते हैं कपड़े
कपड़े केवल गर्म पानी में धोने के कारण ही नहीं सिकुड़ते है जैसा कि आपने खुद रेयॉन से बने कपड़ों के साथ महसूस किया होगा। ठंडा पानी भी रेशों में घुसकर उन्हें फूला सकता है। वॉशिंग मशीन में कपड़े घूमने की प्रक्रिया के दौरान भी उनमें सिकुड़न आ सकती है। अलग-अलग रेशे अलग-अलग तरीकों से सिकुड़ते हैं; ऐसा कोई एक तरीका नहीं है, जो सभी के मामले में लागू होता है। सेल्यूलोज-आधारित कपड़े ऊपर बताए तरीके के अनुसार सिकुड़ते हैं, जबकि ऊन पशु से हासिल रेशा है, जो केराटिन प्रोटीन से बना होता है। इसकी सतह छोटी-छोटी, एक-दूसरे पर चढ़ी सतहों से ढकी होती है, जिन्हें ‘क्यूटिकल’ कोशिका कहते हैं। धुलाई के दौरान ये ‘क्यूटिकल’ खुल जाते हैं और आस-पास के रेशों से जुड़ जाते हैं, जिससे रेशे आपस में उलझ जाते हैं।