देश में प्रदूषण की स्थिति काफी खराब है, फिर देश में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए जो राशि आवंटित की जा रही है उसकी तुलना मे काफी कम पैसे खर्च किए जा रहे हैं।
पार्लियामेंट्री पैनल के मुताबिक देश में प्रदूषण को कम करने के लिए पर्यावरण मंत्रालय को 858 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे लेकिन वित्तीय वर्ष 2024-25 के अंत तक इसमें से केवल एक प्रतिशत ही खर्च किया गया।
इसका मुख्य उद्देश्य एयर क्वालिटी को मॉनीटर करना है और प्रदूषण को कम करने के लिए उचित कदम उठाना है। साथ ही साथ पानी और ध्वनि प्रदूषण का भी काम है।
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पैनल ने जताई चिंता
पैनल ने कहा, 'कमेटी इस बात को लेकर काफी हतप्रभ थी कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए 2024-25 में आवंटित किए गए 858 करोड़ रुपये में से सिर्फ 7.22 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए।' मंगलवार को यह रिपोर्ट पार्लियामेंट के सामने पेश की गई।
हालांकि, मंत्रालय ने पैनल को बताया कि इस फंड का उपयोग इसलिए नहीं किया जा सका क्योंकि इस स्कीम की स्वीकृति अभी बाकी है। आगे मंत्रालय ने कहा, 'डिस्बर्समेंट और यूटिलाइजेशन की योजना पर विचार चल रहा है और जैसे ही स्वीकृति मिलती है इसको लागू कर दिया जाएगा।'
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'पूरे देश में काफी प्रदूषण'
हालांकि, पैनल इस बात से सहमत नहीं दिखा और फंड के कम यूटिलाइज किए जाने को लेकर मंत्रालय द्वारा पुनर्विचार करने को कहा। पैनल ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि जहां देश में वायु प्रदूषण की स्थिति इतनी खराब है वहां मंत्रालय द्वारा एक प्रतिशत फंड भी यूज न किया जाना काफी चिंताजनक है।
पैनल ने यह भी कहा कि भले ही दिल्ली अपनी वायु की खराब गुणवत्ता को लेकर न्यूज में रहता हो लेकिन देश के बाकी हिस्सों में भी स्थिति बहुत अच्छी नही है। पैनल ने कहा कि पर्यावर्णीय प्रदूषण की वजह से न सिर्फ बीमारियां और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो रही हैं बल्कि यह हमारे पर्यावरण को भी नकारात्मक तरीके से प्रभावित कर रहा है।