टूट गई नक्सलवाद की कमर, एनकाउंटर में मारा गया बसवराजू
देश
• BIJAPUR 21 May 2025, (अपडेटेड 21 May 2025, 6:47 PM IST)
नक्लवाद के खिलाफ अभियान में सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी मिली है। माओवादियों के सबसे बड़े नेता नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू को मुठभेड़ में मार गिराया है।

सांकेतिक तस्वीर, Photo credit: PTI
भारत सरकार ने देश को नक्सलवादियों के आतंक से आजाद कराने के लिए मार्च 2026 तक की समयसीमा रखी है। इस लक्ष्य को पाने के लिए सुरक्षा बल लगातार मुहिम चला रहे हैं और इसमें कामयाबी भी हासिल की है। ऐसे ही एक अभियान में बुधवार को सुरक्षा बलों को एक बड़ी कामयाबी मिली है। बुधवार को सुरक्षा बलों की माओवादी गुटों के साथ भीषण मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने माओवादियों के एक बड़े नेता नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू को ढेर कर दिया। नंबाला केशव माओवादियों का एक बड़ा नेता था और उसपर 2.2 करोड़ रुपये का इनाम भी था।
नंबाला केशव राव प्रतिबंधित गुट सीपीआई (माओवादी) का महासचिव था और उसे बसवराजू के नाम से जाना जाता था। बुधवार को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर और बीजापुर जिलों के बीच माओवादियों के प्रभाव वाले अबूझमाड़ क्षेत्र में सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में 72 साल के बसवराजू को भी मार गिराया गया। इसे नक्सलियों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। दंडकारण्य क्षेत्र में सालों से विद्रोहियों का प्रभाव रहा है और बसवराजू की मौत इस क्षेत्र में विद्रोहियों के लिए उनकी कमर टूटने के समान है।
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सुरक्षाबलों को मिली बड़ी कामयाबी
सुरक्षा बलों ने बसवराजू का एनकाउंटर छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में किया है। यह जंगल विद्रोहियों के छिपने के लिए आदर्श जगह थी क्योंकि यह जंगल बहुत दुर्गम है। खबर लिखे जाने तक मिली जानकारी के अनुसार, 26 माओवादियों को मार गिराया गया है। मारे गए माओवादियों में दंडकारण्य क्षेत्र की कमेटी के मधु और माओवादियों की मैगजीन 'जंग' से जुड़े नवीन भी शामिल हैं।
Chhattisgarh | Naxal leader Basava Raju killed in the encounter with DRG jawans in the forest area of Abujhmad in Narayanpur today.
— ANI (@ANI) May 21, 2025
More than 26 Naxals have been killed by the security forces in this operation. pic.twitter.com/R7nJnMpo3w
बसवराजू कौन था?
बसवराजू माओवादियों का एक बड़े नेता रहा है। उसका जन्म आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले के जियानापेट गांव में हुआ था। वर्तमान तेलंगाना के वारंगल में छात्र जीवन के दौरान वह कट्टरपंथी वामपंथी आंदोलन से जुड़ गया था। छात्र जीवन में वह रेडिकल स्टूडेंट्स यूनियन (RSU) से सक्रिय रूप से जुड़ा था। बाद में उसने रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। उसे गुरिल्ला रणनीति, विस्फोटकों और घात लगाने की रणनीतियों में महारत हासिल थी। इसका उपयोग उसने 40 सालों तक अंडरग्राउंड रहकर माओवादियों के सशस्त्र आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए किया। सुरक्षा बलों के अधिकारी उसे कई घातक हमलों के पीछे मास्टरमाइंड मानते हैं। दंतेवाड़ा नरसंहार (2010) में 76 सीआरपीएफ जवानों की जान चली गई थी और 2013 में जीरम घाटी अटैक में कांग्रेस के बड़े नेताओं सहित 27 लोग मारे गए थे, इन हमलों का मास्टरमाइंड बसवराजू को ही माना जाता है।
बसवराजू माओवादियों के सैन्य संगठन केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) का प्रमुख रहा था। इसके बाद वह साल 2013 में मुप्पल्ला लक्ष्मण राव उर्फ गणपति की जगह सीपीआई (माओवादी) का महासचिव बना था। बताया जाता है कि पोलित ब्यूरो की मीटिंग में गणपति ने खुद उनको महासचिव बनाने का प्रस्ताव रखा था। सीपीआई (माओवादी) ने बसवराजू के महासचिव बनने की जानकारी 10 नवंबर 2018 को सार्वजनिक कर दी थी। एक प्रेस रिलीज में यह जानकारी दी गई की बसवराजू को पार्टी का नया प्रमुख बना दिया गया है। इस प्रेस रिलीज में गणपति के गिरते स्वास्थ्य को इस बदलाव का कारण बताया गया और पीपल्स वार ग्रुप (PWG) पर उनके 25 साल के नेतृत्व की सराहना की गई थी। इस पीपल्स वार ग्रुप का 2004 में माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (MCC) के साथ विलय हो गया और पश्चिम बंगाल के पश्चिमी भाग के बेलपहाड़ी में सीपीआई (माओवादी) का गठन हुआ।
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माओवादियों को बड़ा झटका
सुरक्षा जानकारों का मानना है कि बसवराजू की मौत से माओवादियों में नेतृत्व की कमी खलेगी। उसकी मौत से माओवादियों की हमला करने की क्षमता खासकर बड़े स्तर के हमले करने की क्षमता कम हो जाएगी। माओवादियों ने लंबे समय से इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बना रखा था। बसवराजू की मौत के बाद इस प्रभाव को बनाए रखने में माओवादियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। बसवराजू की मौत लंबे समय से जारी नक्सल विरोधी अभियान में एक अहम मोड़ साबित हो सकता है।
ऑपरेशन कगार क्या है?
बसवराजू को सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन कगार के तहत की गई कार्रवाई में ढेर किया है। यह ऑपरेशन केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जनवरी 2025 में 31 मार्च 2026 तक भारत से नक्सलवाद को खत्म करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए चलाया जा रहा सैन्य अभियान है। इस ऑपरेशन में उन नक्सलियों को मारा जा रहा है जो सरेंडर करने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। साउथ एशिया आतंकवादी पोर्टल के अनुसार, 2025 के पहले 3 महीनों में सुरक्षाबलों ने छत्तीसगढ़ में 140 नक्सलियों को मार गिराया है।
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