दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के सामने नई मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। आबकारी नीति मामले में जेल जा चुके दोनों नेता फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। अब दिल्ली के एंटी करप्शन ब्यूरो ने 2000 करोड़ के कथित घोटाले के आरोप में इन दोनों के खिलाफ एक नया केस दर्ज किया है। कुछ दिनों पहले ही आम आदमी पार्टी (AAP) ने मनीष सिसोदिया को पंजाब का प्रभारी और सत्येंद्र जैन को सह प्रभारी नियुक्त किया था। दोनों ही नेता दिल्ली में अपना-अपना चुनाव हार गए थे, ऐसे में अब इन दोनों को पंजाब में लगा दिया गया है।
ACB ने बताया है कि यह केस दिल्ली के स्कूलों में क्लासरूम बनाने के नाम पर हुए भ्रष्टाचार से जुड़ा है। आरोप है कि इन क्लासरूम को बनाने के लिए जरूरत से ज्यादा पैसे खर्च किए गए। आरोप है कि दिल्ली में AAP सरकार के दौरान 12,748 क्लासरूम की बिल्डिंग बनाने में कुल 2000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया। इस काम की लागत जरूरत से बढ़ाई गई और कोई भी काम तय समयसीमा में पूरा नहीं हुआ।
यह भी पढ़ें- पानी पर भिड़े हरियाणा-पंजाब के CM, मान बोले, 'एक बूंद नहीं दे सकते'
ACB के मुताबिक, बिना तय प्रक्रिया का पालन किए ही कंसल्टेंट और आर्किटेक्ट की नियुक्ति की गई और उनके जरिए ही लागत का अनुमान बढ़ाया गया। ACB ने बताया है कि भ्रष्टाचार निरोधक कानून, 2018 के तहत अनुमति मिलने के बाद यह केस दर्ज किया गया है।
ACB ने यह भी बताया है कि इस बारे में बीजेपी के प्रवक्ता हरीश खुराना, कपिल मिश्रा और नीलकंठ बख्शी की ओर से शिकायत प्राप्त हुई थी। शिकायत के मुताबिक, 12748 क्लासरूम बनाने के लिए कुल 2892 करोड़ रुपये खर्च हुए। ये क्लासरूम 5 लाख रुपये में बनाए जा सकते थे लेकिन इसके लिए लगभग 24.86 लाख रुपये प्रति क्लासरूम के हिसाब से खर्च किए गए।
यह भी पढ़ें- क्या जंग का अखाड़ा बनेगा सियालकोट? पाकिस्तान के 'चिकन नेक' की कहानी
सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया के खिलाफ केस क्यों?
दरअसल, पिछले 10 साल में दिल्ली के कई स्कूलों में क्लासरूम बनाए गए। ज्यादातर समय मनीष सिसोदिया दिल्ली के शिक्षामंत्री और सत्येंद्र जैन पीडब्ल्यूडी मंत्री थे। स्कूलों में बनवाए जाने वाले क्लासरूम के निर्माण का काम पीडब्ल्यूडी विभाग ही करता है। यही वजह है कि ACB ने इन दोनों ही नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किया है।
2 साल पहले भी उठा था मामला
इससे पहले, साल 2023 में दिल्ली सरकार के विजिलेंस विभाग ने स्कूलों में क्लासरूम बनाने के मामले में बड़े घोटाले का दावा किया था। तब इस विभाग ने कहा था कि 193 सरकारी स्कूलों में कुल 2405 क्लासरूम बनाने में कुल 1300 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है। विजिलेंस विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि टेंडर प्रोसेस में उलटफेर करने के लिए नियमों का उल्लंघन हुआ और बेहतर सुविधाएं बढ़ाने के नाम पर 205.45 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च किए गए।
यह भी पढ़ें- बेदाग होने की आस में धरने पर बैठे शिक्षक, WB के नए बवाल की पूरी कहानी
केंद्रीय सतर्कता आयोग को 25 अगस्त 2019 को मिली एक शिकायत के मुताबिक, बेहतर सुविधाओं के नाम पर निर्माण की लागत 90 प्रतिशत तक बढ़ाई गई और तब आम आदमी पार्टी की अगुवाई वाली दिल्ली सरकार ने बिना कोई टेंडर निकाले ही 500 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी गई।
विपक्ष ने भी जमकर घेरा
दिल्ली में लंबे समय तक विपक्षी पार्टी रही बीजेपी ने भी इन मामलों को खूब प्रमुखता से उठाया था। बीजेपी के सांसद मनोज तिवारी ने आरोप लगाए थे कि केजरीवाल सरकार ने 5 लाख की जगह पर 25 लाख रुपये खर्च करके एक क्लासरूम बनाया। उन्होंने यह भी कहा था कि जिन लोगों को काम के ठेके दिए गए थे, वे भी AAP नेताओं के रिश्तेदार थे।