अहमदाबाद में हुए दिल दहलाने वाले विमान हादसे ने सबको झकझोर कर रख दिया। इस हादसे में न सिर्फ विमान में सवार 241 लोग मारे गए, बल्कि जमीन पर मौजूद 30 लोग भी इसकी चपेट में आ गए। देश के कई शहरों में एयरपोर्ट के आसपास घनी बस्तियां हैं और अहमदाबाद का एयरपोर्ट भी ऐसा ही एक इलाका है। यही वजह है कि जब प्लेन क्रैश हुआ, तो न सिर्फ यात्रियों की जान गई, बल्कि वहां रहने वाले लोग भी इस त्रासदी का शिकार हो गए। अब आसपास के लोग डरे हुए हैं कि कहीं ऐसा हादसा उनके घर के पास हुआ, तो नुकसान बहुत बड़ा होगा।
एयर इंडिया की फ्लाइट 171, जो बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर थी, ने सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरी लेकिन महज 625 फीट की ऊंचाई पर पहुंचकर ये मेघानी नगर में बीजे मेडिकल कॉलेज के कैंपस में जा गिरा। ये जगह एयरपोर्ट से दो किलोमीटर से भी कम दूरी पर है। विमान में 242 लोग सवार थे, जिनमें से सिर्फ एक शख्स बचा, बाकी सब मारे गए। जमीन पर भी 30 लोगों की जान चली गई।
झुग्गियों और आलीशान बंगलों से घिरा मुंबई एयरपोर्ट
मुंबई का एयरपोर्ट, जो हर घंटे 40 से ज्यादा उड़ानें संभालता है, झुग्गियों और आलीशान बंगलों से घिरा हुआ है। वहां के लोग अब प्लेन के उड़ने-उतरने से खौफजदा रहते हैं। एक स्थानीय ने बताया, 'हम रनवे से बस एक किलोमीटर दूर रहते हैं। पास में एक सर्विस रोड है, जहां मछली वाले, खाने-पीने की ठेलियां लगती हैं। बचा हुआ खाना सड़क पर फेंक देते हैं, जिससे ढेर सारी चिड़ियां जमा हो जाती हैं।' उनका कहना है कि इससे प्लेन में चिड़िया टकराने का खतरा बढ़ता है।
एक दूसरे शख्स ने कहा, 'प्लेन की गड़गड़ाहट से हमारे घरों की दीवारों में दरारें पड़ जाती हैं। हर साल इनकी मरम्मत में अच्छा-खासा पैसा खर्च हो जाता है।' विले पार्ले (पूर्व) की झुग्गियों में रहने वालों ने कहा, 'हम यहां दशकों से बसे हैं लेकिन अगर सरकार हमें कोई सुरक्षित ठिकाना दे, तो हम यहां से हटने को तैयार हैं।' मुंबई ही नहीं, जयपुर और पटना में भी एयरपोर्ट के पास रहने वाले लोग डर के साये में जी रहे हैं। जयपुर की एक महिला ने कहा, 'अहमदाबाद का हादसा सुनकर हम गुरुवार से सहमे हुए हैं। यहां तो दिन-रात प्लेन आते-जाते रहते हैं।'
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पटना में भी ऐसा ही माहौल
पटना में भी कुछ ऐसा ही माहौल है। वहां के लोग अहमदाबाद को सिर्फ एक आशंका नहीं मानते, क्योंकि उन्होंने पहले भी ऐसा मंजर देखा है। जुलाई 2000 में पटना के गर्दनी बाग में एलायंस एयर का एक विमान लैंडिंग के वक्त क्रैश हो गया था, जिसमें 60 लोग मारे गए थे, जिनमें पांच जमीन पर थे। एक स्थानीय ने कहा, 'वो हादसा हमारे सामने हुआ था। जोर का धमाका हुआ, हम सब डर गए। आज भी डर सा लगता है लेकिन क्या करें, यहीं रहना है।'
अहमदाबाद में हादसे वाली जगह पर डर का आलम है। मेघानी नगर में एयरपोर्ट के पास सड़क किनारे दुकान चलाने वाली एक मां ने अपने बेटे को खो दिया। उसने रोते हुए कहा, 'मेरा बेटा सड़क पर था, तभी आग की लपटें उस पर गिर पड़ीं। मेरी बहू भी बुरी तरह जल गई है।' मेघानी कॉलोनी के एक व्यक्ति ने बताया, 'जब प्लेन गिरा, मुझे लगा कोई बम फटा या भूकंप आ गया। अगर ये हमारे मोहल्ले में गिरता, तो न जाने कितने लोग मरते।' एक और शख्स ने कहा, 'विमान हमारे घर के बिल्कुल करीब था। इसका एक पंख तो पेड़ से टकराया था। अगर ये यहां गिरता, तो हादसा और भयानक हो जाता।'
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जिंदगी का एक डरावना हकीकत
मुंबई में एयरपोर्ट के आसपास रहने वाले, चाहे वो झुग्गियों में हों या बड़े घरों में, सभी को प्लेन की आवाज से होने वाले नुकसान और चिड़ियों के टकराने का डर सताता है। एक व्यक्ति ने कहा, 'सर्विस रोड पर खाने का कचरा फेंका जाता है, जिससे चिड़ियां आती हैं।' विले पार्ले की झुग्गियों के लोग बोले, 'हम 70 साल से यहीं हैं। डर तो बहुत लगता है लेकिन जाएं तो जाएं कहां? अगर सरकार हमें सुरक्षित जगह दे दे, तो हम जाने को तैयार हैं।' लोगों का डर बिल्कुल साफ है—जिन्होंने पहले हादसे देखे हैं, उनके लिए ये सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि जिंदगी का एक डरावना हकीकत है।