एयर चीफ की नाराजगी! किन रक्षा प्रोजेक्ट्स में हो रही है लगातार देरी?
देश
• NEW DELHI 30 May 2025, (अपडेटेड 31 May 2025, 5:06 PM IST)
भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह भारत में बनने वाले हथियारों में हो रही देरी का मुद्दा उठाया है, जिसके बाद इसपर देशभर में चर्चा होने लगी है।

एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी योजना मेक इन इंडिया के तहत भारत में हथियार बनाए जा रहे हैं। भारत में बनने वाले इन हथियारों की दुनियाभर में चर्चा भी हो रही है। मगर, इस बीच भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह भारत में बनने वाले हथियारों में हो रही देरी का मुद्दा उठाया है। IAF चीफ की तरफ से यह मुद्दा उठाए जाने के बाद देशभर में इसकी चर्चा होने लगी है।
हालांकि, यह कोई पहली बार नहीं है जब रक्षा परियोजनाओं में हो रही देरी को लेकर किसी सेना के बड़े अधिकारी ने सवाल उठाए हैं। इससे पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने भी बीते साल सितंबर में रक्षा परियोजनाओं में हो रही देरी को लेकर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था कि भारत की रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया इतनी धीमी है कि सशस्त्र बल जिस दर से तकनीक को अपनाना चाहते हैं, उसमें काफी मुश्किल आती है।
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वायुसेना चीफ ने सख्त चेतावनी दी
दरअसल, वायुसेना चीफ एयर मार्शल अमर प्रीत सिंह ने गुरुवार को भारत के रक्षा खरीद में जवाबदेही और तत्परता की मांग की है। उन्होंने प्रमुख रक्षा खरीद परियोजनाओं में देरी पर चिंता जाहिर करते हुए चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा कि कई बार ऐसा हुआ है कि अनुबंध पर साइन करते समय हमें पता होता है कि ये सिस्टम में कभी नहीं आएंगे और कहा कि परियोजनाओं के समयसीमा में लगातार देरी हो रही है।। एयर मार्शल अमर प्रीत ने ये बातें दिल्ली में आयोजित CII वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन में कहीं।
ऐसे में आइए जानते हैं कि किन रक्षा परियोजनाओं में देरी हो रही है। कौन सी रक्षा परियोजनाएं सालों से अटकी पड़ी हैं और उनमें देरी हो रही है। आइए जानते हैं...
साल 2014 में रक्षा मंत्रालय ने एक लिस्ट जारी की थी, जिसमें DRDO के उन प्रोजेक्ट्स की जानकारी दी गई थी जिनमें लंबे समय से देरी हो चुकी थी। इनमें से कई परियोजनाएं अभी भी पूरे नहीं हुई हैं। इन परियोजनाओं में देश का पहला स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LAC) तेजस से लेकर एयरो इंजन कावेरी तक के नाम शामिल हैं।
कौन सी परियोजना कितनी देरी से चल रही है?
लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस MK1
एयर मार्शल अमर प्रीत सिंह इस बात को लेकर दुख जता चुके हैं कि 83 तेजस Mk1 विमान अभी तक हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने वायुसेना को नहीं सौंपे हैं। यह 4.5 जनरेशन का हल्का लड़ाकू विमान है। इस डील पर फरवरी 2021 में मुहर लगी थी। परियोजना में 48,000 करोड़ खर्च होने हैं। विमानों की मार्च 2024 से वायसेना को डिलीवरी शुरू करनी थी लेकिन HAL को जनरल इलेक्ट्रिक से इंजन मिलने में देरी हो रही है। इसकी वजह तेजस Mk1 विमान अभी तक वायुसेना को नहीं मिल पाए हैं। विमान के इंजन अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक से आते हैं।
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एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA)
भारत ने पहली बार साल 2007 में रूस के सहयोग से पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने का लक्ष्य रखा। तब इसे फिफ्थ जेनरेशन फाइटर एयरक्राफ्ट (FGFA) प्रोजेक्ट नाम दिया गया। हालांकि, 2007 में हुआ यह समझौता 2018 में आगे के चरणों में तय नहीं हो पाया। जहां रूस ने इस दौरान अकेले ही अपना पांचवीं पीढ़ी का सुखोई-57 स्टेल्थ फाइटर जेट तैयार कर लिया। वहीं, भारत ने 2010 में शुरू किए गए अपने एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) को हाल ही में शुरू करने की तरफ कदम बढ़ाए हैं।
एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम
भारत हवाई और समुद्री क्षेत्र में दुश्मनों की हरकतों का पता लगाने के लिए अभी मुख्य तौर पर जमीन आधारित रडार, सैटेलाइट और सेंसर पर निर्भर है। इसमें अवाक्स सिस्टम अहम हथियार होता है, जो किसी भी हवाई या नौसैनिक हमले को भांपकर पहले ही सेना को अलर्ट कर देता है।
डीआरडीओ ने साल 2003 में वायुसेना के साथ मिलकर हवाई निगरानी सिस्टम को मजबूत करने के लिए अवाक्स सिस्टम बनाने पर चर्चा की थी। इससे जुड़ा पहला कॉन्ट्रैक्ट साल 2008 में साइन किया गया था। भारत की चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश और हजारों किलोमीटर की समुद्री सीमा के लिए कम से कम 18 अवाक्स सिस्टम की जरूरत बताई गई।
अक्तूबर 2024 तक के अपडेट के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट को अब तक पूरा नहीं किया जा सका है। माना जा रहा है कि इनके सेना में शामिल होने की समयसीमा 2026-27 तक टल सकती हैं।
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