अमेजन और फ्लिपकार्ट के वेयरहाउस पर छापेमारी में कई ऐसे सामान मिले हैं, जिनके पास BIS सर्टिफिकेशन नहीं था। एक तरह से यह सामान 'नकली' थे।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बताया कि इस छापेमारी का मकसद ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर मिल रहे नॉन-सर्टिफाइड सामानों को बिकने से रोकना है। घटिया सामान की बिक्री पर रोक लगाने के मकसद से कई गई इस छापेमारी में खिलौने, किचन के सामान और इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट समेत कई नॉन-सर्टिफाइड सामान मिले हैं।
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छापेमारी में क्या-क्या नकली मिला?
अमेजन और फ्लिपकार्ट के वेयरहाउस में यह छापेमारी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) ने की थी। अमेजन के लखनऊ और गुरुग्राम स्थित वेयरहाउस में स्थित छापेमारी हुई थी। इसके साथ ही इस तरह नॉन-सर्टिफाइड प्रोडक्ट्स बेचने वाले टेकविजन इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के यहां भी छापेमारी हुई।
लखनऊ और गुरुग्राम में अमेजन के वेयरहाउस में छापेमारी के दौरान सैकड़ों खिलौने, हैंड ब्लेंडर्स, एल्युमिनियम फॉइल्स, मैटेलिक वाटर बॉटल, PVC केबल, फूड मिक्सर और स्पीकर ऐसे मिले हैं, जो BIS से सर्टिफाइड नहीं थे। इसी तरह गुरुग्राम में फ्लिपकार्ट के वेयरहाउस से भी सैकड़ों की संख्या में नॉन-सर्टिफाइड स्टील बोतल, खिलौने और स्पीकर मिले हैं।
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कहां से आया नकली सामान?
BIS की जांच में सामने आया है कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को यह नकली सामान टेकविजन इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड से मिल रहा था। टेकविजन के दिल्ली स्थित दो परिसरों पर छापे मारे गए थे।
मंत्रालय ने बताया, 'इन छापों में लगभग 7 हजार इलेक्ट्रिक वॉटर हीटर, 4 हजार इलेक्ट्रिक फूड मिक्सर, 95 इलेक्ट्रिक रूम हीटर और 40 गैस स्टोव मिले हैं। यह BIS से सर्टिफाइड नहीं थे।' मंत्रालय ने बताया कि जब्त किए गए सामानों में डिजीस्मार्ट, एक्टिवा, इनालसा, सेलो स्विफ्ट और बटरफ्लाई जैसे ब्रांड शामिल हैं।
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क्यों जरूरी है BIS सर्टिफिकेट?
बाजार में बिकने वाले हर सामान के लिए BIS सर्टिफिकेट जरूरी होता है। अगर किसी सामान पर ISI मार्क नहीं है या लाइसेंस नंबर नहीं है तो इसका मतलब हुआ कि इसका क्वालिटी टेस्ट नहीं हुआ और वे सुरक्षा के तय मानकों को पूरा नहीं करते।
BIS ने जांच में पाया कि अमेजन, फ्लिपकार्ट, मीशो, मिंत्रा और बिगबास्केट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर कई नॉन-सर्टिफाइड सामान बिक रहे हैं। इनके तहत BIS एक्ट 2016 के तहत कानूनी कार्रवाई की गई है। दोषी पाए जाने पर कंपनियों पर 2 लाख रुपये या सामान की कीमत के 10 गुना तक जुर्माना लगता है। साथ ही साथ जिम्मेदार व्यक्ति को 2 साल तक की कैद भी हो सकती है।