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सरकार जल्द शुरू करेगी 'सहकारी टैक्सी' सर्विस, Ola-Uber पर होगा असर!

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ऐलान किया है कि सरकार जल्द ही सहकारी टैक्सी सर्विस शुरू करने जा रही है। यह ओला-उबर और रैपिडो जैसी सर्विस होगी।

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (Photo Credit: Freepik)

केंद्र सरकार बहुत जल्द टैक्सी सर्विस भी शुरू करने जा रही है। यह सर्विस ठीक वैसी ही होगी जैसी ओला और उबर की होती है। हालांकि, इसमें फर्क इतना होगा कि सारा मुनाफा ड्राइवर को मिलेगा। अगर सरकार यह सर्विस शुरू करती है तो इससे ओला और उबर जैसी कंपनियों की चुनौतियां बढ़ सकती हैं।


कैब सर्विस शुरू करने का ऐलान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को संसद में किया था। उन्होंने बताया कि सरकार जल्द ही कोऑपरेटिव टैक्सी सर्विस शुरू करेगी, जिसमें सारा मुनाफा सीधे ड्राइवर को मिलेगा। बाकी टैक्सी कंपनियों की तरह किसी को बंटेगा नहीं।

 

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सरकार का क्या है प्लान?

कोऑपरेटिव टैक्सी सर्विस के प्लान के बारे में अमित शाह ने ज्यादा जानकारी तो नहीं दी। हालांकि, उन्होंने बताया है कि इसमें बाइक, ऑटो रिक्शा और फोर-व्हीलर कैब भी शामिल होंगी।


उन्होंने कहा, 'आने वाले कुछ ही महीनों में कोऑपरेटिव बेसिस पर ओला-उबर जैसी कोऑपरेटिव टैक्सी सर्विस आने वाली है। जो टू-व्हीलर टैक्सी का रजिस्ट्रेशन भी करेगी, रिक्शा का रजिस्ट्रेशन भी करेगी और फोर-व्हीलर का रजिस्ट्रेशन भी करेगी। इसका मुनाफा किसी धन्नासेठों के हाथ में नहीं जाएगा, बल्कि ड्राइवर के पास जाएगा। इस तरह की हम सर्विस लेकर आ रहे हैं।'

 

इसका असर क्या होगा?

  • कंपनियों परः सरकार की इस सर्विस का सबसे बड़ा असर ओला-उबर और रैपिडो जैसी कंपनियों पर पड़ सकता है। क्योंकि, इससे सीधे तौर पर इन्हें ही चुनौती मिलेगी।
  • ड्राइवर परः अभी ओला-उबर और रैपिडो जैसी कंपनियां ड्राइवर से कुछ कमीशन लेती हैं। इससे उनका मुनाफा कम हो जाता है। सरकार की सर्विस से पूरा मुनाफा उन्हें मिलेगा।
  • लोगों परः चूंकि अभी टैक्सी सर्विस देने वाली कंपनियां अपना मुनाफा भी देखती हैं, इसलिए किराया भी ज्यादा होता है। सरकार की सर्विस में बाकी कंपनियों की तुलना में किराया थोड़ा कम होने की उम्मीद भी है।

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सीधा ड्राइवर को मुनाफा... ऐसा क्यों कहा?

गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में बताया कि कोऑपरेटिव टैक्सी सर्विस में जो भी मुनाफा होगा, वह सीधा ड्राइवर को मिलेगा। धन्नासेठों के पास नहीं जाएगा।


दरअसल, ओला-उबर और रैपिडो जैसी कंपनियों का बिजनेस मॉडल कमीशन बेस्ड था। हर राइड पर कंपनियां कमीशन लेती हैं। कंपनियां औसतन 20 से 40 फीसदी तक कमीशन लेती हैं। इससे ड्राइवरों की कमाई कम हो जाती है। हालांकि, अब यह कंपनियां सब्सक्रिप्शन मॉडल को अपना रहीं हैं।


अप्रैल 2024 में ओला ने ऑटो ड्राइवरों के लिए सब्सक्रिप्शन मॉडल लागू कर दिया है। अब ऑटो वालों को हर दिन 25 रुपये देने होते हैं और वे दिनभर में कितनी भी राइड्स ले सकते हैं। हालांकि, कैब के लिए अभी भी कमीशन ही लिया जा रहा है। इसी तरह उबर ने भी इसी साल फरवरी में सब्सक्रिप्शन मॉडल शुरू किया है। उबर के ऑटो ड्राइवर्स हर दिन 49 रुपये देने पड़ते हैं। हालांकि, उबर में भी कैब ड्राइवरों के लिए कमीशन का मॉडल ही लागू है।


रैपिडो ने भी पिछले साल बाइक और ऑटो ड्राइवर के लिए सब्सक्रिप्शन मॉडल लॉन्च किया था। इसके तहत, अगर बाइक टैक्सी से महीने में 10 हजार से ज्यादा कमाई होती है तो 500 से 800 रुपये देना होता है। वहीं, ऑटो ड्राइवरों को हर राइड पर 9 से 29 रुपये देने होते हैं।

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