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इंडियन नेवी की शान बढ़ाएगा INSV कौंडिन्य, आखिर क्यों है इतना खास?

बुधवार को भारतीय नौसेना ने अपने बेड़े में एक खास जहाज को शामिल किया है। यह जहाज 5वीं सदी के जहाजों से प्रेरित होकर बनाया गया है और इसका नाम एक महान भारतीय नाविक कौंडिन्य के नाम पर रखा गया है।

INSV Kaundinya

आईएनएसवी कौंडिन्य, Photo credit: @indiannavy

भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम तो हो गया लेकिन भारत अपनी शक्ति को लगातार बढ़ा रहा है। भारतीय नौसेना ने अपनी शक्ति को और ज्यादा बढ़ाते हुए अपने बेड़े में एक खास जहाज को शामिल किया है। नौसेना ने बुधवार को आयोजित समारोह में अपने बेड़े में एक स्टिच्ड शिप को आधिकारिक रूप से शामिल कर लिया। इसे बनाने में नारियल के रेशों वाली रस्सी और लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है। इस जहाज का नाम INSV कौंडिन्य रखा गया है। इस समारोह में केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहे। 

 

इस जहाज का नाम कौंडिन्य के नाम पर रखा गया है जो एक प्रसिद्ध भारतीय नाविक थे, जिन्होंने हिंद महासागर पार कर दक्षिण-पूर्व एशिया तक यात्रा की थी। जहाज के पालों पर गंडभेरुंड और सूर्य की आकृतियां बनी हुई हैं, उसकी नोक पर सिंह याली की सुंदर मूर्ति है। इसके डेक पर हड़प्पा काल की शैली में बने पत्थर का प्रतीकात्मक लंगर भी लगाया गया है। यह जहाज अजंता की गुफाओं की पेंटिंग में दिखाए गए 5वीं सदी के पोत पर आधारित है। यह आधुनिक पोतों से अलग है। नौसेना ने इस जहाज को बनाने के लिए IIT मद्रास के समुद्र इंजीनियरिंग विभाग की मदद ली।

 

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भारत की अनूठी परंपराओं की प्रतीक है यह जहाज

 

भारतीय नौसेना ने पारंपरिक विधि का इस्तेमाल कर आईएनएसवी कौंडिन्य को बनाया है। सेना के अधिकारियों ने बताया 'यह पांचवीं शताब्दी के जहाज पर आधारित है और इसका नाम ‘कौंडिन्य’ के नाम पर रखा गया है, जो हिंद महासागर को पार करके दक्षिण पूर्व एशिया तक यात्रा करने वाले एक महान भारतीय नाविक थे।' अधिकारियों ने बताया कि यह जहाज भारत की अनूठी परंपराओं का प्रतीक है। एक अधिकारी ने बताया, 'नौसेना में इसका शामिल होना और इसका नामकरण एक असाधारण परियोजना का हिस्सा है। यह भारत के समृद्ध जहाज निर्माण की विरासत का जश्न मनाती है। यह जहाज पांचवी सदी के जहाज की तर्ज पर बनाया गया है।'

 

इस जहाज को बनाने का काम सितंबर 2023 में शुरू किया गया था। इस जहाज को बनाने के लिए केरल के कारीगरों की एक टीम ने सिलाई की पारंपरिक विधि का उपयोग किया था। कारीगरों के हाथ से सिले हुए जोड़ बनाने के लिए मास्टर शिपराइट बाबू शंकरन के नेतृत्व में कारीगरों ने हाथ से सिले हुए जोड़ बनाए। इसे फरवरी 2025 में गोवा से लॉन्च किया गाया था और बुधवार को इसका औपचारिक नामकरण करके इसे भारतीय नौसेना में औपचारिक रूप से शामिल कर लिया गया है। 

 

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हड़प्पा की झलक भी दिखेगी


इस जहाज पर भारत के समृद्ध इतिहास की झलक भी देखने को मिलेगी। नौसेना के प्रवक्ता ने बुधवार को कहा, 'आज करवार नौसैनिक अड्डे पर आयोजित एक औपचारिक समारोह में भारतीय नौसेना ने औपचारिक रूप से जहाज को इंडियन नवल सेलिंग वेसल (INSV) कौंडिन्य का नाम दिया है। इस समारोह में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में हुआ।'

 

इस जहाज पर गंधभेरुंड और सूर्य की आकृतियां बनी हैं। इस जहाज के डेक पर प्रतीकात्म रूप से हड़प्पा शैली का पत्थर भी बना है। यह प्राचीन भारत की समृद्ध परंपराओं को दिखाता है। नौसेना के अनुसार, यह जहाज करवार में तैनात होगा। यह गुजरात से ओमान तक प्राचीन व्यापार मार्ग के साथ एक ट्रांस-ओशनिक यात्रा पर निकलेगा और यह यात्रा इस साल के अंत में निर्धारित है। नौसेना ने इस यात्रा के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं।

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