दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के 'शीशमहल' को लेकर जमकर बवाल हुआ था। अब आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी के आलीशान बंगला भी चर्चा की वजह बन गया है। इसे भी 'शीशमहल' बताया जा रहा है। सत्तारूढ़ सीएम चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी ने इसे लेकर जगन मोहन रेड्डी पर पद पर रहते हुए पैसों का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।
विशाखापट्टनम के रुशिकोंडा में बना जगन मोहन रेड्डी का यह आलीशान बंगला 10 एकड़ में फैला है और इसमें 4 ब्लॉक हैं। इसे 'जगन पैलेस' कहा जाता है। रिपोर्ट्स की मानें तो इस बंगले को बनवाने में 431 करोड़ रुपये का खर्च आया है। हालांकि, जब इसमें बिजली-पानी की व्यवस्था और बाकी खर्चे भी जोड़ दें तो इसकी कीमत 500 करोड़ रुपये तक पहुंच जाती है।
क्या-क्या है बंगले में?
जगनमोहन रेड्डी का यह बंगला किसी महल से कम नहीं है। इसमें इटैलियन संगमरमर का फर्श है। सोने की कारीगरी से जड़े खिड़की और दरवाजे हैं। महंगे फर्नीचर और बेहतरीन इंटीरियर है।
रिपोर्ट्स बताती हैं कि इस बंगले को बनाने के लिए पहाड़ काटे गए हैं। यहां 100 KV का एक इलेक्ट्रिक सबस्टेशन, पक्की सड़कें, सीवेज सिस्टम और पानी की सप्लाई की सुविधा है। यह बंगला सी-फेसिंग है।
22 करोड़ के पौधे, 25 लाख का बाथटब
इस बंगले पर पानी की तरह पैसा बहाया गया है। रिकॉर्ड बताते हैं कि 95 करोड़ रुपये जमीन समतल करने के लिए खर्च किए गए हैं। इसके अलावा, 22 करोड़ रुपये पेड़-पौधों पर खर्च हुए हैं। यह पेड़-पौधे विदेश से मंगाए गए हैं। इसके अलावा 21 करोड़ रुपये बंगले की खूबसूरती पर खर्च हुए हैं।
रिपोर्ट्स बताती हैं कि 33 करोड़ रुपये इंटीरियर पर खर्च किए गए हैं। दावा है कि बंगले में 25 लाख रुपये का बाथटब लगा है। इसके अलावा 5 करोड़ रुपये लक्जरी आइटम्स पर खर्च हुए हैं।
क्या था रुशिकोंडा प्रोजेक्ट?
2021 में तत्कालीन जगन मोहन रेड्डी सरकार ने विशाखापट्टनम में रुशिकोंडा प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। इसके तहत, रुशिकोंडा को राजधानी के तौर पर विकसित किया जाना था। यह पूरा प्रोजेक्ट 61 एकड़ का है। इसमें 9.88 एकड़ में 7 ब्लॉक बनाए जाने थे।
आंध्र के पर्यटन विभाग ने बताया था कि अलग-अलग ब्लॉक में बैंक, ऑफिस, सुईट रूम, रेस्टोरेंट, कॉन्फ्रेंस रूम, गेस्ट हाउस, रिसेप्शन एरिया, लग्जरी सुइट्स, बैंक्वेट हॉल, कैफेटेरिया और बिजनेस सेंटर जैसी सुविधाएं बनाई जाएंगी।
हालांकि, यह प्रोजेक्ट शुरू से ही विवादों में रहा। विपक्ष ने इस पर भारी भरकम खर्च और पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। अब चंद्रबाबू नायडू सरकार इस पर विचार कर रही है कि इस आलीशान बंगले को इस्तेमाल किस तरह किया जाए।