भारत के थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने ऑपरेशन सिंदूर की इनसाइड स्टोरी बताई थी। 4 अगस्त के इस बयान का वीडियो अब सामने आया है। इसी तरह शनिवार को एयरफोर्स चीफ अमर प्रीत सिंह ने बताया था कि किस तरह भारत ने पाकिस्तान के जेट गिराए थे। अब आर्मी चीफ ने पाकिस्तान पर तंज कसते हुए कहा है कि उनसे पूछो तो पाकिस्तानी कहते हैं कि वही जीते होंगे तभी तो उनका जनरल अब फील्ड मार्शल बन गया है। जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने यह भी बताया है कि कैसे रक्षामंत्री ने सेनाओं से साफ कह दिया था कि उन्हें पूरी आजादी है कि वे किस तरह से ऑपरेशन करना चाहते हैं। जनरल द्विवेदी ने युद्ध में नैरेटिव की अहमियत पर भी जोर दिया।
आईआईटी मद्रास के एक कार्यक्रम में जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने यह भी कहा कि पूरी आजादी मिलने के चलते ही तीनों सेनाएं संयुक्त रूप से इस तरह का ऑपरेशन कर सकीं और भारत को सफलता मिली।
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पहलगाम हमले के बाद क्या हुआ?
आर्मी चीफ ने बताया है, 'मैं आपको बताता हूं कि इस ऑपरेशन में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कैसे हुआ। आप जानते हैं कि 22 अप्रैल को पहलगाम में जो हुआ उसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। 23 अप्रैल को हम सब एकसाथ बैठे। पहली बार हमारे रक्षामंत्री ने भी कहा- अब बहुत हो गया। तीनों सेनाओं के चीफ इस बात पर स्पष्ट थे कि कुछ तो करना चाहिए। हमें पूरी आजादी दी गई और कहा गया कि आप तय करें कि क्या करना चाहिए। पहली बार राजनीतिक शक्ति की तरफ से हमें स्पष्ट नजरिया मिला जिसने हमारा विश्वास और मजबूत किया।'
उन्होंने आगे कहा, '25 अप्रैल को हम नॉर्दन कमांड गए। वहीं से हमने ऑपरेशन के बारे में प्लान बनाया और वहीं से इसे अंजाम भी दिया गया। 29 अप्रैल को हम पहली बार प्रधानमंत्री से मिले। सिंदूर नाम के चलते पूरा देश एकजुट हुआ। शायद यही वजह है कि सब पूछते हैं कि आप रुक क्यों गए?'
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नैरेटिव मैनेजमेंट पर क्या बोले आर्मी चीफ?
युद्ध में नैरेटिव मैनेजमेंट की अहमियत पर जोर देते हुए जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा, 'इसको लेकर हमें बड़े स्तर पर एहसास हुआ। होता यह है कि जीत आपके दिमाग में होती है। आप किसी पाकिस्तानी से पूछिए कि आप जीते या हारे? वे कहते हैं कि हमारा चीफ फील्ड मार्शल बन गया, हम जीते ही होंगे तभी फील्ड मार्शल बना है। इसी तरह से आप लोगों को प्रभावित कर सकते हैं। इस तरह से घरेलू, विदेशी और न्यूट्रल जनता को प्रभावित किया जा सकता है।'
क्या थी ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति?
ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति बताते हुए जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा, 'ऑपरेशन सिंदूर में हमने जो किया, वह चेस खेलने जैसा था। इसका मतलब यह था कि हमें नहीं पता था कि दुश्मन अगला कदम क्या उठाएगा और हम आगे क्या करेंगे। इसी को ग्रेजोन कहते हैं। मतलब हम कन्वेंशनल ऑपरेशन तो नहीं कर रहे हैं लेकिन उसके आसपास हैं। कन्वेंशनल ऑपरेशन में होता है कि आप कुछ भी कर सकते हैं। ग्रेजोन में हर गतिविधि पर नजर होती है। हम चेस की तरह चल रहे थे, कहीं हम चेकमेट के लिए जा रहे थे तो कहीं मारने के लिए जा रहे थे। इसमें खुद के नुकसान का भी खतरा था।'