दिल्ली पुलिस की फॉरेनर सेल ने एक बांग्लादेशी ट्रांसजेंडर को अवैध तरीके से भारत में घुसने के इल्जाम में गिरफ्तार किया है। हैरान करने वाली बात यह है कि जिस ट्रांसजेंडर को गिरफ्तार किया गया है, उसे 45 दिन पहले ही डिपोर्ट किया गया था। दिल्ली पुलिस ने उसे डेढ़ महीने पहले फॉरेनर्स रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस (FRRO) की मदद से बांग्लादेश डिपोर्ट किया था।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जिस ट्रांसजेंडर को दिल्ली में गिरफ्तार किया गया है, उसका नाम सुहान खान है और उसकी उम्र 30 साल है। उसे दिल्ली की आजादपुर मंडी के पास से गिरफ्तार किया गया है। अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए की गई छापेमारी के दौरान सुहान खान को गिरफ्तार किया गया।
यह भी पढ़ें-- 'शेख हसीना दोषी, 6 महीने की जेल', इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल का फैसला
दिल्ली कैसे आया वापस?
सुहान खान को दिल्ली पुलिस की टीम ने 15 मई को आजादपुर मंडी के पास भीख मांगते हुए गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उसे बांग्लादेश भेज दिया गया था।
बताया जा रहा है कि 45 दिन बाद फिर से अवैध तरीके से घुसने के इल्जाम में गिरफ्तार हुआ। सुहान खान ने पूछताछ में बताया है कि वह अपने एक दोस्त के साथ भारत आया है। सुहान ने दावा किया है कि वह जिसके साथ आया है, वह उसका प्रेमी है और दिल्ली के निहाल विहार इलाके में रहता है।
इंडियन एक्सप्रेस ने पुलिस सूत्रों के हवाले से बताया है कि मई में बांग्लादेशी अधिकारियों को सौंपने के बाद भी सुहान खान अपने घर नहीं गया था। वह कुछ दिन तक अगरतला में अखौरा इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट के पास बने टेंपररी शेल्टर में रहा। इसके बाद उसने किसी तरह बॉर्डर पार की और ट्रेन से दिल्ली आ गया। दिल्ली आने के बाद वह बस से निहाल विहार आ गया था। पुलिस का मानना है कि सुहान मई में ही वापस भारत आ गया था।
यह भी पढ़ें-- पुलिस हिरासत में मौत पर सियासत, अपराध से आंकड़ों तक की पूरी कहानी
क्यों वापस आया दिल्ली?
सुहान खान मूल रूप से बांग्लादेश के स्येलहेट जिले का रहने वाला है। बताया जा रहा है कि वह 10 साल से दिल्ली में रह रहा था। उसने अवैध तरीके से पश्चिम बंगाल की सीमा पार की और दिल्ली आकर रहने लगा। दिल्ली में वह कभी मजदूरी करता तो कभी ट्रैफिक सिग्नल पर भीख मांगता था।
पुलिस सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि दिल्ली के निहाल विहार में वह अपने पार्टनर के साथ लिव-इन में रहता था, इसलिए वह वापस भारत आ गया। इस साल 15 मई को उसे पहली बार डिपोर्ट किया गया था।
बताया जा रहा है कि भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर BSF की तैनाती और चेकपोस्ट होने के बावजूद लोग आसानी से बॉर्डर पार कर सकते हैं। इससे पहले भी कई बार बांग्लादेश नागरिक डिपोर्ट किए जाने के बाद भारत वापस आ चुके हैं।