पंजाब के सीएम भगवंत मान और किसानों के बीच हुई मीटिंग बेनतीजा रही। किसानों से मीटिंग के बाद किसान धरना बंद करने को राजी नहीं हुए। इस पर भगवंत मान वहां से चले आए। इसके बाद पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि किसान हर दिन रेल रोककर और सड़क जाम करके विरोध प्रदर्शन करते हैं। इससे पंजाब को काफी नुकसान पहुंचाते हैं।
उन्होंने कहा कि 'धरना' की वजह से राज्य को काफी नुकसान हो रहा है और पंजाब धरने वाला राज्य बनता जा रहा है। मान ने कहा, 'मेरी नरमदिली को यह मत समझिए कि मैं कार्रवाई नहीं करता...मैं 3.5 करोड़ लोगों का संरक्षक हूं। मुझे सभी का ख्याल रखना है...मीटिंग में, मैंने उनसे अगले दिन (5 मार्च को) विरोध के बारे में पूछा, और उन्होंने कहा कि यह जारी रहेगा। तो, मैंने उनसे कहा कि आपने मुझे एक घंटे तक क्यों बैठाया?...मैं वास्तव में उठ गया और चला गया...मैंने उनसे कहा कि मैंने डर के कारण मीटिंग नहीं बुलाई, मैं उनसे पहले भी मिल चुका हूं, मैं आपका दोस्त हूं...लेकिन अगर आप मुझसे कहते हैं कि मीटिंग के साथ मोर्चा जारी रहेगा, तो मैं बैठक रद्द कर देता हूं और आप मोर्चा जारी रख सकते हैं।'
यह भी पढ़ेंः दिलजीत ने कॉन्सर्ट के इंफ्रास्ट्रक्चर पर दिया था बयान, पलाश ने कसा तंज
किसान नेता बोले दुर्भाग्यपूर्ण
मीटिंग के बाद किसान नेताओं ने कहा कि बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री भगवंत मान अचानक से हाइपर हो गए और मीटिंग छोड़कर चले गए। किसान नेता बलबीर सिह राजेवाल ने कहा कि उन्होंने संघर्ष या विरोध प्रदर्शन के दौरान कई बार प्रधानमंत्रियों से लेकर अलग अलग मुख्यमंत्रियों से भी बात की है लेकिन इस तरह का व्यवहार किसी ने नहीं किया।
उन्होंने बोला कि बहुत ही सौहार्द्रपूर्ण माहौल में बात हो रही थी और कई मुद्दों पर चर्चा भी हुई लेकिन अचनाक ही सीएम साहब भड़क गए और मीटिंग को बीच में ही छोड़कर चले गए।
यह भी पढ़ेंः सागर धनखड़ हत्याकांडः 3.5 साल से जेल में बंद सुशील कुमार को मिली जमानत
किसान नेताओं के घर रेड
बातचीत असफल होने के बाद मंगलवार को कई किसान नेताएं के घरों पर छापेमारी की। इसमें भारतीय किसान यूनियन जोगिंदर सिंह उग्रहण भी शामिल थे। किसान नेताओं ने इस छापेमारी की आलोचना करते हुए कहा है कि इस तरह का कदम धरना करने के लोकतांत्रिक अधिकारों को दबाने की कोशिश है।
बता दें कि किसानों ने 5 मार्च से चंडीगढ़ में विरोध प्रदर्शन करने का फैसला लिया है।