बॉम्बे हाईकोर्ट ने साल 2008 में मालेगांव विस्फोट पर बनी फिल्म 'मैच फिक्सिंग- द नेशन एट स्टेक' की रिलीज पर रोक लगाने से हाईकोर्ट का इनकार कर दिया है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह एक काल्पनिक रचना है।
जस्टिस बी पी कोलाबावाला और जस्टिस सोमशेखर सुंदरेसन की खंडपीठ ने मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित की याचिका खारिज कर दी। पुरोहित की याचिका में फिल्म पर रोक लगाने की मांग की गई थी और दावा किया गया था कि इससे केस पर असर पड़ेगा। पुरोहित के वकील ने कहा कि फिल्म में भगवा आतंकवाद को दर्शाया गया है।
कर्नल पुरोहित का याचिका में दावा
पुरोहित ने याचिका के जरिए दावा किया है कि 15 नवंबर को रिलीज होने वाली इस फिल्म ने उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल किया है। फिल्म के प्रोड्यूसर ने कोर्ट को बताया कि यह बाजार में पहले से मौजूद एक किताब पर आधारित एक काल्पनिक रचना है।
फिल्म की शुरुआत में डिस्क्लेमर
प्रोड्यूसर ने फिल्म की शुरुआत में डिस्क्लेमर भी दिखाया है, जिसमें बताया गया है कि यह फिल्म काल्पनिक है और इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है। तर्कों को सुनने के बाद पीठ ने फिल्म में कुछ मामूली बदलाव सुझाए, जिन्हें निर्माता ने प्रोड्यूसर कर लिया।
पुरोहित की आशंका पूरी तरह से गलत
अदालत ने कहा, 'हमें नहीं लगता कि याचिकाकर्ता (पुरोहित) की आशंका सही है। फिल्म काल्पनिक है और इसलिए इस बात की कोई आशंका नहीं हो सकती कि अंतिम बहस के चरण में चल रहा केस प्रभावित होगा।' हाई कोर्ट ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता की आशंका पूरी तरह से गलत है। याचिका खारिज की जाती है।

जज ऐसी फिल्मों से प्रभावित होते हैं?
कोर्ट ने पुरोहित से यह भी पूछा कि क्या उन्हें लगता है कि भारत में जज ऐसी फिल्मों से प्रभावित होते हैं? कोर्ट ने कहा, 'क्या आप वाकई यह कह रहे हैं कि भारतीय न्यायपालिका का कोई जज फिल्म देखकर प्रभावित हो जाएगा और सबूत भूल जाएगा? जब किताब पर प्रतिबंध नहीं है तो फिल्म पर प्रतिबंध क्यों लगाया जाना चाहिए? ताकि जज किताब से प्रभावित न हो।'
20 नवंबर के बाद रिलीज हो फिल्म
इसके बाद पुरोहित के वकील हरीश पंड्या ने कोर्ट से कम से कम 20 नवंबर को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद तक फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की। पंड्या ने कहा कि फिल्म में भगवा आतंकवाद को दिखाया गया है। हालांकि, कोर्ट ने सवाल किया कि फिल्म का चुनाव से क्या लेना-देना है।