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क्या महाभियोग से चुनाव आयुक्त को हटा सकता है विपक्ष? नियम जानिए

ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए इंडिया गठबंधन के नेताओं ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के कमरे में बैठक की है।

impeachment motion against CEC

ज्ञानेश कुमार। Photo Credit- PTI

देश की विपक्षी पार्टियों (Indian Aiilance) ने बिहार में मतदाता सूची संशोधन (SIR) और कथित 'वोट चोरी' को लेकर अपना प्रदर्शन तेज कर दिया है। बिहार में जब विधानसभा चुनाव नजदीक है- ऐसे समय में राज्य में मतदाता सूची संशोधन करके 65 लाख वोटरों का वोटिंग प्रक्रिया से नाम हटवा दिया गया है। इसी प्रक्रिया के बीच में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने 7 अगस्त को एक प्रेस कांन्फ्रेंस करके चुनाव आयोग के उपर सीधे आरोप लगाया कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा और लोकसभा चुनावों में वोटों की चोरी की गई है। राहुल ने साफ तौर पर कहा कि इसके पीछे इलेक्शन कमिशन है। 

 

 

राहुल गांधी और विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए रविवार (17 अगस्त) को चीफ इलेक्शन कमिश्नर ज्ञानेश कुमार ने चुनाव आयोग को पाक-साफ बताते हुए दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। चुनाव आयोग ने रविवार को विपक्ष के आरोपों का जिस तरीके से जवाब दिया है, उसको देखते हुए विपक्ष के नेताओं ने सोमवार को संसद में एक बैठक करके चीफ इलेक्शन कमिश्नर ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रहा है। 

 

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आयोग पर मिलीभगत का आरोप

यह कदम लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी कई राज्यों में वोट चोरी का आरोप लगाने के बाद उठाया गया है। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर सत्तारूढ़ बीजेपी के पक्ष में मतदाता डेटा में हेरफेर करने का आरोप लगाया था। 7 अगस्त को, उन्होंने दावा किया था कि बेंगलुरु सेंट्रल के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 1,00,250 चुराए गए वोटों ने बीजेपी को लोकसभा में जीत दिलाई। उन्होंने चुनाव आयोग पर सत्तारूढ़ दल के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया था।

 

ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए इंडिया गठबंधन के नेताओं ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के कमरे में बैठक की। बैठक में इस बात पर चर्चा की गई कि कैसे चीफ इलेक्शन कमिश्नर ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया और उनके द्वारा उठाए गए किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया।

CEC को हटाने के लिए विपक्ष की लड़ाई

इस बैठक में विभिन्न दलों के नेताओं ने कहा कि इस लड़ाई को आगे बढ़ाया जाना चाहिए और उन्होंने ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि उसने चुनाव प्रक्रिया में उठाए गए संदेहों का जवाब नहीं दिया है या उन्हें दूर नहीं किया है। बताया गया है कि इस बारे में अभी विचार-विमर्श किया जा रहा है। हालांकि विपक्षी दल इस मुद्दों को लेकर आगे फिर से बैठक करेंगे और इस पर आगे की रणनीति तय करेंगे। विपक्ष ने कहा है कि वे इस संबंध में हर लोकतांत्रिक तरीका अपनाएंगे।

 

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विपक्ष ने क्या कहा?

विपक्ष ने कहा, 'हमें कल उम्मीद थी कि चुनाव आयोग जनता द्वारा उठाई जा रही सभी चिंताओं और सवालों का जवाब देगा और लोगों की शंकाओं को दूर करेगा। आयोग ने मतदाता सूची में मृत घोषित किए गए व्यक्तियों के बारे में कोई जवाब नहीं दिया है और वह बीजेपी के प्रवक्ता की तरह काम कर रहा है और बीजेपी प्रवक्ता की तरह ही बात कर रहा है। हमें देश में पूरी तरह से निष्पक्ष मुख्य निर्वाचन आयुक्त और चुनाव आयोग की जरूरत है।'

 

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग नोटिस पर विचार किए जाने के मामले कांग्रेस के सांसद नसीर हुसैन ने कहा, 'जरूरत पड़ने पर हम संसदीय लोकतंत्र में निहित किसी भी प्रक्रिया का इस्तेमाल करने के लिए तैयार हैं।'

 

ऐसे में आइए जानते हैं कि चुनाव आयोग के चीफ इलेक्शन कमीश्नर को हटाने के लिए संविधान में वो कौन सा प्रावधान है, जिसके बारे में विपक्ष बात कर रहा है। साथ ही अगर, ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जाता है तो इसके पीछे कौन सा कानून काम करेगा? 

भारतीय संविधान में अनुच्छेद 324(5) क्या है?

दरअसल, संविधान के अनुच्छेद 324(5) के तहत प्रवधान किया गया है, जिससे मुख्य चुनाव आयुक्त को उसके पद से हटाया जा सकता है। इसी प्रक्रिया के तहत सुप्रीम कोर्ट के जज को भी हटाया जा सकता है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 324(5) कहता है कि मुख्य चुनाव आयुक्त को सुप्रीम कोर्ट के जज के समान तरीके और समान आधारों पर ही उसके पद से हटाया जा सकता है। अन्यथा नहीं और मुख्य चुनाव आयुक्त की सेवा शर्तों में उसकी नियुक्ति के पश्चात उसके लिए अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जाएगा

 

इसके अलावा इसमें यह भी प्रावधान है कि किसी दूसरे चुनाव आयुक्त या राज्यों के चुनाव आयुक्त को मुख्य चुनाव आयुक्त की सिफारिश के बिना पद से नहीं हटाया जाएगा।

स्वतंत्रता और निष्पक्षता के लिए सुरक्षा उपाय

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 324(5) चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए कुछ सुरक्षा उपाय भी देता है। इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति और सेवा शर्तों का प्रावधान है, ताकि वे बिना किसी बाहरी दबाव के अपने कर्तव्यों का पालन करें। लेकिन वोट चोरी मामले में मुख्य चुनाव आयुक्त पर ही गंभीर आरोप लगे हैं। 

काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता

अनुच्छेद 324(5) के मुताबिक, मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी, लेकिन उनकी सेवा की शर्तों को संसद द्वारा बनाए गए कानून द्वारा निर्धारित किया जाएगा। इसके अलावा, मुख्य चुनाव आयुक्त को उसके पद से केवल उसी प्रक्रिया और उन्हीं आधारों पर हटाया जा सकता है, जो सुप्रीम कोर्ट के जज के लिए लागू होते हैं। यह प्रावधान चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए जरूरी है। अनुच्छेद 324(5) यह सुनिश्चित करता है कि चुनाव आयुक्तों को सरकार के दबाव में काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। 

महाभियोग प्रस्ताव क्या होता है?

महाभियोग प्रस्ताव एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसके जरिए देश में उच्च संवैधानिक पदों पर असीन व्यक्तियों को उनके पद से हटाया जा सकता है। ऐसे व्यक्ति जो संवैधानिक पदों पर पहते हुए अपने कर्चव्यों का पालन नहीं कर रहे हैं, जिसमें पक्षपात, कदाचार, भ्रष्टाचार और अयोग्यता के दोषी पाए जाते हैं, इनके खिलाफ यह प्रस्ताव लाया जाता है।

 

महाभियोग प्रस्ताव में आरोपी पर मुकदमा चलाने के लिए बहुमत की जरूरत होती है। मामूली अपराध के लिए बहुमत से दोषी ठहराया जाता है और गंभीर अपराध के लिए दो-तिहाई से संसद में बहुमत चाहिए होता है। ऐसे में अगर विपक्ष लोकसभा और राज्यसभा दोनों में महाभियोग प्रस्ताव लाता है तो उसे दोनों सदनों में पर्याप्त संख्या बल चाहिए होगा। 

लोकसभा में इंडिया गठबंधन की ताकत

लोकसभा में विपक्ष की ताकत की बात करें तो इंडिया गठबंधन के कुल मिलाकर 235 सांसद हैं। इसमें 99 कांग्रेस, 37 समाजवादी पार्टी, 29 तृणमूल कांग्रेस, 22 डीएमके, 9 शिवसेना (UBT), 8 एनसीपी (SCP) के मु्ख्य हैं। वहीं, राज्यसभा में इंडिया गठबंधन की 77 सांसदों की ताकत है। इसमें कांग्रेस के 27, तृणमूल कांग्रेस के 12, डीएमके के 10, आरजेडी के 5, समाजवादी पार्टी के 4 और जेएमएम के 3 सांसद मुख्य हैं।

 

इंडिया गठबंधन के मुकाबले में बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए लोकसभा और राज्यसभा दोनों जगहों पर मजबूत है। एनडीए के पास लोकसभा में 293 सांसद हैं। इसमें बीजेपी के अकेले 240 सांसद हैं। इसके अलावा टीडीपी के 16, जेडीयू के 12 शिवसेना के 7 और एलजेपी (रामविलास) के 5 सांसद मुख्य हैं। वहीं, राज्यसभा में भी एनडीए आगे है। उसके पास कुल 132 सांसदों की फौज है।

 

इसमें बीजेपी के 102, AIADMK के 4, जेडीयू के 4, एनसीपी के 3 और टीडीपी के 2 सांसद मुख्य हैं।

 

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