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Non Contact War क्या है जिसका जिक्र कर गए CDS अनिल चौहान?

CDS जनरल अनिल चौहान ने शांगरी-ला डायलॉग 2025 में भविष्य की जंगों को लेकर कहा कि भविष्य में 'नॉन कॉन्टैक्ट वॉर' ही प्रमुखता से होंगे। जानें क्या होता है नॉन कॉन्टैक्ट वॉर?

cds Anil Chauhan

CDS अनिल चौहान, Photo Credit: PTI

तेजी से बदलती तकनीकों के कारण 21वीं सदी का युद्ध अब सीमा पर पारंपरिक रूप से लड़ी जाने वाली लड़ाई मात्र नहीं रह गया है। तेजी से बदलती तकनीक के इस युग में युद्ध तकनीकें भी तेजी से बदल रही हैं। इसी संदर्भ में भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर पर एक चर्चा के दौरान कहा कि भविष्य में 'नॉन कॉन्टैक्ट वॉर' ही प्रमुखता से होंगी। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में होने वाले युद्धों के स्वरूप में बदलाव होगा। उन्होंने कहा कि भविष्य की लड़ाई बिना किसी सीधे टकराव के लड़ी जाएंगी। 

 

CDS जनरल अनिल चौहान ने शांगरी-ला डायलॉग 2025 में भविष्य की जंगों को लेकर अहम बातें कहीं। उन्होंने कहा कि आज आधुनिक युद्ध में व्यापक बदलाव देखने को मिले हैं। उन्होंने कहा कि एक-दूसरे के संपर्क में आए बिना, मानव रहित सिस्टम का उपयोग करके आज युद्ध लड़े जा रहे हैं। तकनीक के जरिए वॉरफेयर और वॉरफाइटिंग को बदला जा रहा है। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस ड्रोन के जरिए कहीं भी सटीकता के साथ हमला किया जा सकता है। उन्होंने साइबर वारफेयर की भी बात की। 

 

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बदल रही हैं युद्ध तकनीकें


जनरल अनिल चौहान ने कहा कि आधुनिक युद्ध केवल हथियारों और सेनाओं की ताकत पर निर्भर नहीं करेगा, बल्कि यह एक मल्टी-डायमेंशनल लड़ाई होगी। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने आकाश मिसाइल सिस्टम के साथ-साथ देसी और विदेशी रडार सिस्टम का कुशल उपयोग किया। इस ऑपरेशन के दौरान भारत ने पाकिस्तान के संभावित हवाई हमलों को असफल कर दिया और साथ ही साइबर हमलों को भी विफल किया है। उन्होंने कहा कि आज के युद्ध केवल जमीन, जल और हवा में में लड़े जाने वाले यु्द्धों तक ही सीमित नहीं रहे हैं। आज के युद्धों में हाइब्रिड वॉरफेयर, रणनीतिक प्रोपेगेंडा, सूचना युद्ध और साइबर अटैक जैसी चीजें भी शामिल होती जा रही हैं।

 

क्या है नॉन-कॉन्टैक्ट वॉरफेयर?


उन्होंने कहा कि हमें मॉर्डन वारफेयर को समझना होगा और नेटवर्क सेंट्रिक वारफेयर के बारे में भी हमें बात करनी होगी। इस दौरान उन्होंने नॉन-कॉन्टैक्ट वॉरफेयर की बात भी की। नॉन-कॉन्टैक्ट वॉरफेयर एक आधुनिक सैन्य रणनीति है। यह एक ऐसी सैन्य रणनीति है जिसमें विरोधी से प्रत्यक्ष मुठभेड़ किए बिना उसे नुकसान पहुंचाया जाता है। इसमें पारंपरिक हथियारों के साथ-साथ तकनीक और सूचना आधारित हमलों की भूमिका अहम होती है।

 

इसमें सेनाएं आमने-सामने आकर युद्ध नहीं लड़तीं बल्कि तकनीक के माध्यम से विरोधी को निशाना बनाया जाता है। ड्रोन, मिसाइल, साइबर और इलेक्ट्रॉनिक हथियारों के इस्तेमाल को इसमें शामिल किया जाता है। दुश्मन की सोच और मनोबल को तोड़ने के लिए अफवाहें और दुष्प्रचार भी इसका एक अहम हिस्सा है। इसके अलावा, दुश्मन के कम्युनिकेशन और नेटवर्क को निष्क्रिय करना भी इसमें शामिल है।  

 

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इस युद्ध के क्या फायदे हैं?


नॉन-कॉन्टैक्ट युद्ध भविष्य में होने वाले युद्धों में सबसे अहम होगा इसकी संभावना बहुत ज्यादा है। इसके कई  फायदे भी हैं। इसमें सैनिकों की जान को जोखिम में डाले बिना युद्ध जीता जा सकता है और टारगेट पर सटीक हमले भी इसमें संभव हैं। नॉन-कॉन्टैक्ट युद्ध सिर्फ सीमा पर ही नहीं लड़ा जाएगा बल्कि सीमा से दूर बैठकर भी युद्ध लड़ा जा सकता है।

 

नॉन-कॉन्टैक्ट युद्ध  की कई गंभीर चुनौतियां भी हैं। इससे नैतिक और अंतरराष्ट्रीय कानूनों को लेकर सवाल खड़े होते हैं। इसका असर आम नागरिकों पर भी पड़ता है। साइबर अटैक से लोगों की जिंदगी बड़े स्तर पर प्रभावित हो सकती है। फेक न्यूज और सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार से समाज में भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है जो लोगों को काफी हद तक नुकसान पहुंचा सकती है। नॉन-कॉन्टैक्ट युद्ध भविष्य की सैन्य रणनीति का अहम हिस्सा होंगे इसलिए भारत इस पर ध्यान दे रहा है। 

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