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केंद्र के साथ 3 घंटे चली किसानों की बैठक क्यों रही बेनतीजा?

चंडीगढ़ में शुक्रवार को केंद्र सरकार और आंदोलनकारी किसानों के साथ तीन घंटे चली बैठक भी बेनतीजा रही। अब अगली बैठक 22 फरवरी को होगी।

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प्रदर्शन करते किसान। (File Photo Credit: PTI)

खनौरी और शंभू बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत बेनतीजा रही। किसानों और केंद्र सरकार के बीच ये पांचवें दौर की बैठक थी। चंडीगढ़ में हुई इस बैठक में कोई सहमति तो नहीं बनी लेकिन अगली बैठक के लिए किसान राजी हो गए। अब छठे दौर की बैठक 22 फरवरी को होगी।


केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी की अगुवाई में हुई बैठक में किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की लीगल गारंटी की मांग पर चर्चा की। MSP पर लीगल गारंटी की मांग को लेकर सालभर से किसान खनौरी और शंभू बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं।

 

इस बैठक में किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल तबियत खराब होने के चलते स्ट्रेचर पर आए थे। मीटिंग में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान समेत कई मंत्री भी शामिल हुए थे।

 

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मीटिंग में क्या हुआ?

बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार और किसानों के बीच करीब तीन घंटे तक बैठक चली। बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बताया कि मीटिंग अच्छे माहौल में हुई। किसानों ने सिलसिलेवार तरीके से अपनी मांगें रखीं। उन्होंने बताया कि इस बैठक की रिपोर्ट कृषि मंत्री शिवराज सिंह को दी जाएगी। अगली मीटिंग 22 फरवरी को होगी, जिसमें शिवराज सिंह चौहान मौजूद रहेंगे। उन्होंने ये भी बताया कि इस बैठक में उन्होंने मोदी सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी। साथ ही साथ किसानों की मांगों पर अपनी बात भी रखी।

 


इस बैठक में केंद्र सरकार ने जगजीत सिंह डल्लेवाल से अनशन खत्म करने को भी कहा। हालांकि, डल्लेवाल ने इससे इनकार कर दिया। किसान नेता अभिमन्यु कोहार ने बताया कि केंद्र सरकार ने डल्लेवाल से अनशन खत्म करने को कहा था लेकिन उन्होंने साफ कर दिया कि जब तक MSP पर कानून नहीं बनता तब तक उनकी हड़ताल जारी रहेगी। 


डल्लेवाल ने कहा कि अगली बैठक दिल्ली या चंडीगढ़ में हो सकती है। किसानों ने अगली बैठक दिल्ली में करने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि बैठक अच्छे माहौल में हुई।

 

इस बैठक के बारे में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, 'उन्होंने किसानों को एक साल बाद मिलने का समय दिया। इससे पता चलता है कि वो पंजाबियों से कितना प्यार करते हैं। किसान भले ही भूख हड़ताल पर बैठें या मुश्किलों का सामना करें लेकिन उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।'

 

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल। (Photo Credit: PTI)

पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने कहा कि अपनी बहन की पोती के निधन के बावजूद डल्लेवाल इस बैठक में शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को जल्द से जल्द किसानों की वाजिब मांगों को मानना चाहिए।

 

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क्यों बेनतीजा रही बैठक?

किसानों और केंद्र सरकार के बीच ये पांचवें दौर की बातचीत थी, जिसका कोई नतीजा नहीं निकलना। किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने बताया कि मीटिंग में MSP की लीगल गारंटी के मुद्दे पर चर्चा की गई। 


किसान नेता अभिमन्यु कोहार ने बताया कि MSP पर लीगल गारंटी पर हमने फैक्ट्स रखे, जिसका केंद्र के प्रतिनिधियों के पास कोई जवाब नहीं था। 


किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने दावा किया, '2004 से 2014 के बीच फसलों की कीमतें 100 फीसदी बढ़ी हैं लेकिन मोदी सरकार में 56-57 फीसदी ही बढ़ी हैं। पिछले 11 साल में महंगाई 59 फीसदी बढ़ी है लेकिन फसल की बढ़ती कीमतों का किसानों को फायदा नहीं मिला।'

 


पंढेर ने कहा, 'हमने कहा कि अगर फसलें MSP पर बिकतीं तो आंदोलन करने की क्या जरूरत थी। केंद्र सरकार के हिसाब से ज्यादातर फसलें MSP पर बिक रही हैं तो फिर कानूनी गारंटी देने में क्या दिक्कत है?' उन्होंने कहा कि 'लीगल गारंटी देना इच्छाशक्ति का सवाल है।' उन्होंने कहा कि किसानों को किसी कमेटी पर भरोसा नहीं है। केंद्र सरकार को इच्छाशक्ति दिखानी चाहिए और किसानों के मुद्दों को जल्द से जल्द सुलझाना चाहिए।

किसानों की क्या हैं मांग?

पिछले साल 13 फरवरी को संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले पंजाब और हरियाणा के किसानों ने 'दिल्ली मार्च' शुरू किया था। हालांकि, किसानों को बॉर्डर पर ही रोक दिया। इसके बाद से किसान शंभू और खनौरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं। किसान MSP पर लीगल गारंटी की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा 2021 में लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के बाद किसानों पर दर्ज हुए मुकदमों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। साथ ही साथ 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून को बहाल करने और 2020-21 के आंदोलन में मारे गए किसानों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग भी किसानों की ओर से की जा रही है।

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