भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर (रविवार) को रिटायर हो रहे हैं. हालांकि, कोर्ट में उनका अंतिम कार्यदिवस शुक्रवार को था. शुक्रवार को ही उन्होंने अपना विदाई भाषण दिया. इस दौरान अपने विदाई भाषण में वे थोड़ा भावुक हो गए और कहा कि हम यहां तीर्थयात्री की तरह हैं. थोड़े समय के लिए आते हैं, अपना काम करते हैं और फिर चले जाते हैं.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कोई व्यक्ति इतना अहम नहीं होता कि वह यह सोचे कि उसके बिना कोर्ट नहीं चल पाएगा. उन्होंने कहा कि हमारा काम संस्थान में अपनी छाप छोड़ना है. यहां कई महान जस्टिस आए, अपनी जिम्मेदारी निभाई और अगली पीढ़ी को जिम्मेदारी सौंप कर चले गए.
अगले चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि जस्टिस खन्ना हर दृष्टिकोण के प्रति जागरुक रहते हैं और वे काफी गरिमापूर्ण व सशक्त व्यक्तित्व के धनी हैं.
क्या हैं 5 बड़े फैसले
1. इलेक्टोरल बॉण्ड केस
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में पांच जजों की पीठ ने फरवरी 2024 में केंद्र सरकार की चुनावी बॉण्ड स्कीम के खिलाफ फैसला दिया. इस फैसले में कोर्ट ने इनकम टैक्स और जन प्रतिनिधित्व कानून के सेक्शन 29C को असंवैधानिक घोषित कर दिया. इसके साथ ही उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया पर इलेक्टोरल बॉण्ड को जारी करने पर रोक लगा दी और जिन लोगों ने इन बॉण्ड्स को खरीदा है उनकी डिटेल शेयर करने के लिए कहा.
2. दिल्ली सरकार बनाम एलजी
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने मई 2023 में फैसला दिया कि दिल्ली में ब्यूरोक्रेट्स के ऊपर सेवाओं के मामले में कार्यपालिका का कंट्रोल है. इसमें उन्होंने कहा कि अपवाद स्वरूप इसमें लोक व्यवस्था, पुलिस और भूमि को इससे बाहर रखा गया. दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए गए एलजी के बीच ब्यूरोक्रेट्स की सेवाओं को लेकर काफी दिनों से विवाद चल रहा था.
3. निजता का अधिकार
अगस्त 2017 में 9 जजों की बेंच ने निजता के अधिकार का फैसला दिया. पीठ का मत था कि निजता के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत सुरक्षा प्रदान की गई है. इस ऐतिहासिक फैसले में पीठ के अन्य जजों के साथ जस्टिस चंद्रचूड़ ने इमरजेंसी के समय का वह फैसला बदल दिया जिसमें खुद उनके पिता तत्कालीन जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ ने कहा था कि मौलिक अधिकार संविधान द्वारा दिया गया उपहार है जिसे इमरजेंसी के दौरान खत्म किया जा सकता है.
4. धारा 377 को खत्म करना
अगस्त 2018 में 5 जजों की एक बेंच ने समलैंगिकता को अपराध मानने वाली आईपीसी के सेक्शन 377 को खत्म कर दिया. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ इस पीठ का हिस्सा थे. पीठ ने कहा कि एलजीबीटीक्यू श्रेणी के कम्युनिटी के लोग भी सभी नागरिकों के बराबर हैं इसलिए उनके साथ उनके यौनिक झुकाव (Sexual Orientation) को लेकर भेदभाव नहीं किया जा सकता.
5. राम मंदिर फैसला
इसके अलावा जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ राम मंदिर पर फैसला सुनाने वाली पीठ का भी हिस्सा थे. तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, अशोक भूषण और एसए नजीर सहित इस बेंच ने फैसला सुनाते हुए पूरी विवादित भूमि को राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट को सौंप दिया और इसके बदले में मुसलमानों को पांच एकड़ भूमि देने को कहा गया.