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CJI संजीव खन्ना ने बदल दिया चंद्रचूड़ वाला सिस्टम, समझिए क्या नया होगा

सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने एक ऐसी व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया है जो लंबे समय से अलग-अलग वजहों से चर्चा में रही है। यह व्यवस्था तत्काल सुनवाई की है।

CJI Sanjeev Khanna

CJI संजीव खन्ना और पूर्व CJI डी वाई चंद्रचूड़ (File Photo)

पुराना जाता है तो नया आता है। ऐसा ही कुछ इन दिनों भारत के सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने डी वाई चंद्रचूड़ की जगह ली है। उनके आने के बाद नए बदलाव भी दिखने लगे हैं। जस्टिस संजीव खन्ना ने अब डी वाई चंद्रचूड़ के समय की एक व्यवस्था में बड़ा बदलाव कर दिया है। पहले तत्काल सुनवाई के लिए किए जाने वाले मौखिक उल्लेख को जस्टिस संजीव खन्ना ने बदल दिया है। अब कहा गया है कि किसी भी स्थिति में तत्काल सुनवाई का अनुरोध ईमेल या लिखित पत्र के जरिए ही स्वीकार किया जाएगा। नए नियमों के मुताबिक, लिखित अनुरोध के साथ यह भी बताना होगा कि इस मामले में तत्काल सुनवाई क्यों की जानी चाहिए।

 

हाल ही में कार्यभार संभालने वाले जस्टिस संजीव खन्ना ने वकीलों से कहा है कि वे ईमेल या पत्र के जरिए ही तत्काल सुनवाई का अनुरोध भेजें। दरअसल, जब भी सुबह कोर्ट में सुनवाई शुरू होती है तो वकील चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच के सामने कुछ मामलों पर तत्काल सुनवाई करने के लिए मौखिक उल्लेख करके अनुरोध करते हैं कि जल्द सुनवाई की जाएगी। कहीं पर विध्वंस रोकने या फिर तुरंत हो रही किसी कार्रवाई को रोकने के लिए इस तरह के मामले कोर्ट के संज्ञान में लाए जाते हैं।

क्या बोले CJI संजीव खन्ना?

 

इससे पहले के चीफ जस्टिस रहे डी वाई चंद्रचूड़ के कार्यकाल में तत्काल सुनवाई के मौखिक उल्लेख की अनुमति दी गई थी। आमतौर पर किसी की संभावित गिरफ्तारी या पुलिस एक्शन को रोकने के लिए यह मौखिक उल्लेख इस्तेमाल में लाया जाता था। इसी को खत्म करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा है, 'अब कोई मौखिक उल्लेख नहीं होगा। अब केवल ईमेल या लिखित पत्र के जरिए ही तत्काल सुनवाई का अनुरोध स्वीकार किया जाएगा।'

 

बता दें कि 10 नवंबर को जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल खत्म हुआ था। सोमवार यानी 11 नवंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को शपथ दिलाई थी। जस्टिस संजीव खन्ना का कनहा है कि वह न्यायिक सुधारों के लिए काम करेंगे और ऐसे प्रयास किए जाएंगे कि नागरिक उसके केंद्र में रहें। उनका प्रयास है कि नागरिकों की स्थिति की परवाह किए बिना समान व्यवहार करना न्यायपालिका का संवैधानिक कर्तव्य है और यही सुनिश्चित भी किया जाएगा।

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