जलवायु परिवर्तन भारत के लिए सिर्फ पर्यावरणीय संकट नहीं, बल्कि एक नई सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती भी बनता जा रहा है। एक हालिया अध्ययन में पाया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण उत्तर और पूर्वोत्तर भारत के वे इलाके, जो अब तक जहरीले सांपों के लिए अनुपयुक्त माने जाते थे, अब उनके फैलाव के लिए उपयुक्त होते जा रहे हैं। इससे इन क्षेत्रों में सांप के काटने की घटनाएं बढ़ सकती हैं।
भारतीय उपमहाद्वीप में इंसानों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाले चार जहरीले सांपों को 'बिग फोर' कहा जाता है। इनमें कॉमन करैत, रसेल वाइपर, एकिस कैरिनेटस और इंडियन कोबरा शामिल हैं। सांप के काटने से होने वाली ज्यादातर मौतें इन्हीं चार प्रजातियों की वजह से होती हैं।
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स्टडी में क्या सामने आया
असम स्थित दिब्रू-सैखोवा कंजर्वेशन सोसाइटी और असम एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, तथा दक्षिण कोरिया की पुकयोंग नेशनल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने जलवायु परिवर्तन पर आधारित मॉडल तैयार किए। इन मॉडलों में पाया गया कि हरियाणा, राजस्थान और असम जैसे राज्यों में बिग फोर सांपों के फैलाव के लिए उपयुक्त पर्यावरण तेजी से बन रहा है। बढ़ती गर्मी और नमी इसके प्रमुख कारण बताए गए हैं।
अध्ययन में यह भी सामने आया कि अब तक सांपों के लिए अनुपयुक्त माने जाने वाले पूर्वोत्तर राज्यों — मणिपुर, मेघालय, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश — में भी आने वाले वर्षों में सांपों का फैलाव 100 प्रतिशत से अधिक बढ़ सकता है।
स्वास्थ्य पर असर
शोधकर्ताओं का कहना है कि ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में इंसान और सांपों का बढ़ता सामना स्वास्थ्य सेवाओं के लिए नई चुनौती पेश करेगा। सांप का काटना पहले से ही भारत में एक गंभीर समस्या है, जिसे 'उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग' (Neglected Tropical Disease) की श्रेणी में रखा गया है। भारत दुनिया में सांप के काटने से होने वाली मौतों में सबसे ऊपर है।
जैसे डेंगू और मलेरिया जलवायु परिवर्तन के कारण नए-नए इलाकों में फैल रहे हैं, वैसे ही सांप के काटने की घटनाएं भी अब नए क्षेत्रों में बढ़ सकती हैं।
किन राज्यों में ज्यादा खतरा
अध्ययन के अनुसार, दक्षिण भारत के कर्नाटक (चिक्कबल्लापुर, हावेरी और चित्रदुर्ग) और गुजरात (देवभूमि द्वारका और जामनगर) के कुछ जिलों में सांप के काटने का खतरा अधिक पाया गया।
वहीं, भविष्य में जलवायु परिवर्तन की वजह से असम (नगांव, मोरीगांव, गोलाघाट), मणिपुर (तेंगनौपाल) और राजस्थान (प्रतापगढ़) जैसे जिलों में भी जोखिम तेजी से बढ़ सकता है।
जलवायु परिवर्तन है वजह
यह अध्ययन पहला है जिसमें जलवायु पैटर्न, सांपों का भौगोलिक फैलाव, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और स्वास्थ्य सेवाओं की क्षमता — इन सबको मिलाकर विश्लेषण किया गया। नतीजों से साफ है कि जलवायु परिवर्तन सिर्फ पर्यावरण की नहीं, बल्कि एक बड़ी स्वास्थ्य आपदा की भी चेतावनी है।
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शोधकर्ताओं ने कहा कि स्थानीय सरकारों और अंतरराष्ट्रीय समुदायों को जलवायु परिवर्तन से निपटने और बिग फोर सांपों के खतरे से कमजोर क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।