हरियाणा कांग्रेस के दिग्गज नेता, दो बार के मुख्यमंत्री और नेता विपक्ष रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सामने एक नई समस्या खड़ी हो गई है। हरियाणा की नई सरकार ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कहा है कि वह उस सरकारी कोठी को खाली कर दें, जिसमें फिलहाल वह रह रहे हैं। मुश्किल में फंसे भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इसके लिए 15 दिन का समय मांगा है। रोचक बात यह है कि हरियाणा के चुनाव में जो मंत्री हार गए थे वे अपना आवास खाली कर चुके हैं और उनमें मरम्मत का काम शुरू हो गया है। अब इनका आवंटन नए सिरे से किया जाएगा। कहा जा रहा है कि कांग्रेस अभी तक असमंजस की स्थिति में है और नेता विपक्ष का नाम वह तय ही नहीं कर पाई है। एक बार फिर से हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी देखने को मिल रही है और हुड्डा का विरोधी खेमा भी कोशिश कर रहा है कि नेता विपक्ष का पद उसे मिल जाए।
साल 2019 में कांग्रेस ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष बनाया था। अगर वह फिर से नेता विपक्ष बन जाते हैं तो उन्हें यह कोठी खाली नहीं करनी पड़ेगी लेकिन कांग्रेस की ओर से फैसला न हो पाने के चलते भूपेंद्र सिंह हुड्डा फंस गए हैं। उन्होंने औपचारिक तौर पर इसको लेकर कोई ऐतराज नहीं जताया है लेकिन कांग्रेस की तरफ से उन्हें यही उम्मीद थी कि उन्हें नेता विपक्ष बनाया जाएगा और सब कुछ वैसा ही चलता रहेगा जैसा कि पहले था।
क्यों मिली थी यह कोठी?
दरअसल, नेता विपक्ष का दर्ज कैबिनेट मंत्री के स्तर का होता है। इसी के तहत एक बड़ा आवास दिया जाता है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी चंडीगढ़ के सेक्टर 7 में कोठी नंबर 70 इसी के तहत अलॉट की गई थी। 2019 में उनके नेता विपक्ष बनने के बाद से ही हरियाणा कांग्रेस की ज्यादातर राजनीति यहीं से संचालित होती थी। 2019 से पहले भूपेंद्र सिंह हुड्डा चंडीगढ़ के सेक्टर 3 में स्थित MLA फ्लैट में रहते थे। अब अगर वह नेता विपक्ष पद से हटते हैं और कोई और नेता विपक्ष बनता है तो उसे इसी कैटगरी का आवास दिया जाएगा।
क्यों नहीं बन पा रहा नेता विपक्ष?
हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी जगजाहिर है। विधानसभा चुनाव में भी यह स्पष्ट तौर पर दिखी और इसका नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ा। अब नेता विपक्ष बनाने में भी कांग्रेस इसी का सामना करना पड़ रहा है। चुनाव नतीजा आए कई महीने हो गए लेकिन कांग्रेस अब तक यह नहीं तय कर पाई है कि सदन में उसका नेता कौन होगा। नतीजों के 10 दिन बाद ही कांग्रेस विधायक दल की मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग में दिल्ली से ऑब्जर्वर भी भेजे गए थे लेकिन फैसला नहीं हो पाया।
एक तरफ अधिकतर विधायक भूपेंद्र सिंह हुड्डा को ही नेता विपक्ष बनाना चाहते हैं, दूसरी तरफ कुमारी शैलजा गुट के कुछ विधायक किसी नए चेहरे को यह पद देने की बात कह रहे हैं। पर्यवेक्षक के तौर पर पहुंचे अजय माकन और अशोक गहलोत ने तब कहा था कि इसका फैसला अब हाई कमान करेगा लेकिन अब तक यह फैसला नहीं हो पाया है।