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चीफ इलेक्शन कमिश्नर की चयन प्रक्रिया पर कांग्रेस ने क्यों उठाए सवाल?

कांग्रेस ने सोमवार को दिल्ली में मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनने के लिए हुई बैठक को लेकर सवाल उठाए हैं। पार्टी का कहना है कि केंद्र सरकार आयोग पर नियंत्रण चाहता है।

Chief Election Commissioner selection

चीफ इलेक्शन कमिश्नर की चयन प्रक्रिया। Photo Credit (ANI)

भारत के नए मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनने के लिए सोमवार को दिल्ली में चयन समिति की बड़ी मीटिंग हुई। इस मीटिंग में गृह मंत्री अमित शाह और लोकसभा में विपक्ष राहुल गांधी शामिल हुए। वर्तमान चुनाव आयुक्त राजीव कुमार 18 फरवरी को रिटायर हो रहे हैं।

 

मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा एक चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर की जाती है। इस समिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी शामिल हैं। हालांकि, मीटिंग के बाद कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते सुझाव दिया है कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई तक मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन के लिए बैठक स्थगित कर दे।

 

बैठक को स्थगित करना चाहिए था

 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने कहा, 'आज चीफ इलेक्शन कमिश्नर के चुनाव से जुड़ी बैठक हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 19 फरवरी को इस विषय में सुनवाई होगी और फैसला सुनाया जाएगा कि कमेटी का कांस्टीट्यूशन किस तरीके का होना चाहिए। ऐसे में आज की बैठक को स्थगित करना चाहिए था।'

 

केंद्र चुनाव आयोग पर नियंत्रण चाहता है- कांग्रेस

 

कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन करने वाले पैनल से भारत के मुख्य न्यायाधीश को हटाकर, केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह चुनाव निकाय की विश्वसनीयता नहीं बल्कि नियंत्रण चाहती है।

 

दरअसल, चयन प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए केंद्र सरकार ने हाल ही में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के नेतृत्व में एक समिति बनाई थी। इस समिति को अगले मुख्य चुनाव आयुक्त को खोजने के लिए काम सौंपा गया है। 

 

अभिषेक मनु सिंघवी ने उठाए सवाल 

 

प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने सवाल उठाते हुए कहा, 'मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन के लिए 2023 में एक एक्ट आया- मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम। इसके अनुसार- प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और नेता विपक्ष की समिति मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन करती है, लेकिन उसमें बहुत सारी संवैधानिक और कानूनी समस्याएं हैं।'

 

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उन्होंने कहा, 'इन्हीं समस्याओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सामने बात रखी गई और सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च 2023 को एक फैसला दिया। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र और उसकी निष्पक्षता के लिए सीईसी और चुनाव आयुक्त की चयन समिति में प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश और नेता विपक्ष हों। लेकिन इस फैसले की आत्मा और उद्देश्य को बिना समझे, जल्दबाजी में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम लाया गया। इस नए कानून में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के ठीक विपरीत काम किया गया, जिसमें पूरी तरह से कार्यपालिका मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन कर रही है।'

 

ज्ञानेश कुमार हो सकते हैं नया मुख्य चुनाव आयुक्त 

 

माना जा रहा है कि राजीव कुमार के रिटायर होने के बाद सबसे वरिष्ठ ज्ञानेश कुमार को देश का नया मुख्य चुनाव आयुक्त चुना जा सकता है। नए सीईसी का कार्यकाल 26 जनवरी, 2029 तक रहेगा।

 

बता दें कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा एक चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर की जाती है। इस समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं और इसमें लोकसभा में विपक्ष के नेता के साथ-साथ प्रधानमंत्री द्वारा नामित केंद्रीय मंत्रिपरिषद का एक सदस्य शामिल होता है। सीईसी का कार्यकाल नियुक्ति की तारीख से छह साल तक के लिए होता है।

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