प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) की सराहना की। उन्होंने कहा कि 100 साल के इस संगठन ने देश की सेवा की है और इसका राष्ट्र सेवा के 100 वर्ष एक गौरवपूर्ण, स्वर्णिम अध्याय है। पीएम मोदी के लाल किले से इस संगठन की तारीफ करने पर कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने उनपर हमला किया है।
कांग्रेस ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पद पर बने रहने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दया और सरसंघचालक मोहन भागवत के आशीर्वाद पर निर्भर हैं, इसलिए उन्होंने लाल किले की प्राचीर से इस संगठन को खुश करने की हताशा भरी कोशिश की। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि प्रधानमंत्री आज थके हुए थे और जल्द ही रिटायर हो जाएंगे।
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स्वतंत्रता दिवस का राजनीतिकरण
उन्होंने यह भी कहा कि व्यक्तिगत और संगठनात्मक फायदे के लिए स्वतंत्रता दिवस का यह राजनीतिकरण देश के लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए बेहद हानिकारक है। रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, 'लाल किले की प्राचीर से आज प्रधानमंत्री का भाषण पुराना, पाखंड से भरा, नीरस और उबाऊ था। विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत और 'सबका साथ, सबका विकास' जैसे वही दोहराए गए नारे साल-दर-साल सुने जा रहे हैं, लेकिन इनका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है।'
'प्रधानमंत्री का भाषण परेशान करने वाला'
उन्होंने कहा, 'आज प्रधानमंत्री के भाषण का सबसे परेशान करने वाला पहलू लाल किले की प्राचीर से आरएसएस का नाम लेना था, जो एक संवैधानिक, धर्मनिरपेक्ष गणराज्य की भावना का घोर उल्लंघन है।' रमेश ने आरोप लगाया कि यह अगले महीने उनके 75वें जन्मदिन से पहले आरएसएस को खुश करने की एक हताशा से भरी कोशिश के अलावा और कुछ नहीं है।
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सुप्रिया श्रीनेत ने क्या कहा?
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, 'यह बहुत दुखद है कि इस देश के प्रधानमंत्री ने लाल किले से उस संगठन का नाम लिया जिस पर सरदार पटेल ने प्रतिबंध लगाया था। जिस संगठन से नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की प्रेरणा ली थी। हकीकत यह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर से आरएसएस के बारे में बात करते हुए स्वतंत्रता सेनानियों को कम महत्व दिया।'
'भागवत के आशीर्वाद पर निर्भर मोदी'
पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा, '4 जून, 2024 की घटनाओं के बाद निर्णायक रूप से कमज़ोर हो चुके प्रधानमंत्री अब पूरी तरह से आरएसएस की दया पर निर्भर हैं और सितंबर के बाद अपने कार्यकाल के विस्तार के लिए मोहन भागवत के आशीर्वाद पर निर्भर हैं। व्यक्तिगत और संगठनात्मक फायदे के लिए स्वतंत्रता दिवस का यह राजनीतिकरण हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए बेहद नुकसानदेह है।'
नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के 100 साल पूरा होने का जिक्र किया और कहा कि इस संगठन की राष्ट्रसेवा की यात्रा पर देश गर्व करता है। उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएस दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ है और यह प्रेरणा देता रहेगा।