ना नौकरी पक्की, ना सैलरी पूरी, BJP सरकार से क्या चाहते हैं DTC वर्कर?
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• DELHI 21 Apr 2025, (अपडेटेड 21 Apr 2025, 4:09 PM IST)
DTC के संविदा कर्मचारी दिल्ली में बनी नई बीजेपी सरकार से चाहते हैं कि वह उन्हें बेसिक सैलरी, डीए और ग्रेडपे का फायदा दे। चुनाव के समय AAP ने ऐलान तो कर दिया था लेकिन यह कभी लागू नहीं हो पाया।

सीएम रेखा गुप्ता से मुलाकात करते DTC कर्मचारी यूनियन के सदस्य, Photo Credit: DTC कर्मचारी एकता यूनियन
दिल्ली में चलने वाली बसों के संचालन की जिम्मेदारी दिल्ली परिवहन निगम (DTC) की है। कुछ दिनों पहले सीएजी रिपोर्ट पेश करके यह दावा किया गया था कि डीटीसी घाटे में हैं और पिछले कुछ सालों में हजारों करोड़ रुपये की गड़बड़ी भी की गई है। सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 10 साल सरकार चलाने वाली आम आदमी पार्टी (AAP) को जमकर कोसा और तमाम आरोप लगाए। इन राजनीतिक दांवपेचों से अलग एक समस्या डीटीसी के ड्राइवर और कंडक्टरों की है। दिसंबर 2024 में हड़ताल करने वाले इन कर्मचारियों ने विधानसभा चुनाव में खुलकर बीजेपी के समर्थन किया और सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई। अब यही कर्मचारी नई सरकार के तमाम नुमाइंदों से लगातार मिल रहे हैं और एक बार फिर से उन्हें आश्वासन ही मिल रहा है। नियमित सैलरी, बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते के साथ-साथ स्थायी किए जाने की मांग लेकर ये कर्मचारी पिछले 2 महीनों में कम से कम आधा दर्जन बार दिल्ली सरकार के मंत्रियों और खुद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता तक से मुलाकात कर चुके हैं।
पिछले कई सालों से प्रदर्शन, हड़ताल, मुलाकात करके ज्ञापन दे रहे डीटीसी के संविदा कर्मचारी हर दिन कोशिश कर रहे हैं कि किसी ऐसे मंत्री या अधिकारी से मुलाकात हो जाए, जो उनका काम करवा सकें। यही वजह है कि इन कर्मचारियों ने कपिल मिश्र से भी कई बार मुलाकात की है। कपिल मिश्र AAP के मुखर विरोधी रहे हैं और उन्होंने डीटीसी कर्मचारियों को पक्का करने के लिए प्राइवेट मेंबर बिल लाने का भी ऐलान किया था। हालांकि, नई सरकार भी फिलहाल आश्वासन ही दे रही है और इन कर्मचारियों को पक्का करने या इनका बेसिक या डीए तय करने को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है।
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साल 2013 में ही जब आम आदमी पार्टी अपना पहला चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही थी, तब अरविंद केजरीवाल ने वादा किया था कि डीटीसी के संविदा कर्मचारियों को पक्का किया जाएगा। यही वजह थी कि जब 10 साल के कार्यकाल के बावजूद कर्मचारियों को न तो पक्का किया गया और न ही बेसिक+डीए का वादा निभाया गया तो डीटीसी के कर्मचारियों ने चुनाव में खुलकर विरोध किया। अब जब डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन के लोग नई सरकार के प्रतिनिधियों से मिलने जाते हैं, तो अपने ज्ञापन में वे यह बात भी लिखते हैं कि उन्होंने 'AAP को हराने और बीजेपी की सरकार' बनाने में अहम भूमिका निभाई है।
DTC का हाल क्या है?
दिल्ली में लगभग 35 लाख लोग हर दिन डीटीसी की बसों में सफर करते हैं। मौजूदा समय में डीटीसी के पास लगभग सात हजार बसें हैं जिसमें 2 हजार बसें इलेक्ट्रिक हैं। बसों की संख्या का मद्दा अलग है। इतनी बसों के लिए डीटीसी संविदा कर्मचारियों के भरोसे है। डीटीसी के पास सिर्फ 4500 ड्राइवर और 17850 कंडक्टर संविदा पर हैं। डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन के अध्यक्ष ललित चौधरी बताते हैं कि ज्यादातर स्टाफ संविदा पर ही है और 20-25 पर्सेंट स्टाफ ही पक्की नौकरी कर रहा है।
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इन संविदा कर्मचारियों को प्रतिदिन के हिसाब से 843 रुपये दिए जाते हैं। इस हिसाब से अगर 30 दिन का महीना लिया जाए तो इन कर्मचारियों को 25920 रुपये मिलने चाहिए लेकिन इन्हें 26 दिन के हिसाब से 21918 रुपये ही मिलते हैं। डीटीसी में कंडक्टर (संविदा) के पद पर काम करने वाले पंकज शर्मा बताते हैं, 'हमें 26 दिन का ही पैसा मिलता है। अगर कोई गजटेड छुट्टी हो या हम कोई और छुट्टी ले लें तो उसका भी पैसा कट जाता है।' इस तरह अगर किसी महीने में 2 गजडेट छुट्टियां हो जाएं और कर्मचारी 2 दिन बीमार पड़ जाए तो उसके सिर्फ 22 दिन के हिसाब से कुल 18546 रुपये ही मिलेंगे।
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10 अप्रैल 2025 को मंत्री कपिल मिश्रा से मिलने के लिए दिल्ली सचिवालय पहुंचे कई कर्मचारियों ने बताया कि इसी समस्या से निपटने के लिए वे बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता चाहते हैं। असल में तो वे अस्थायी कर्मचारियों को पक्का करने की मांग कर रहे हैं लेकिन जब तक पक्का नहीं किया जाता, तब तक के लिए बेसिक सैलरी और डीए की मांग है। यह मांग पहली बार नहीं उठी है।
पिछली सरकार ने क्या किया?
2025 के विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली परिवहन निगम के कर्मचारियों ने तत्कालीन AAP सरकार पर दबाव बनाया। हड़ताल की गई तब तत्कालीन सीएम आतिशी ने एक बयान जारी किया। उन्होंने कहा था, 'संविदा कर्मचारियों को भी इलेक्ट्रिक बसें चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी और आने वाले समय में जब इलेक्ट्रिक बसें आ जाएंगी तब उन्हें समायोजित भी किया जाएगा। इन कॉन्ट्रैक्चुल कर्मचारियों को प्रतिदिन 843 रुपये दिए जाते हैं और महीने के कुल 21918 रुपये मिलते हैं। उन्हें कोई डीए या ग्रेड पे का फायदा नहीं मिलता है।' तब उन्होंने कंडक्टरों की इस सैलरी को 21900 से बढ़ाकर 29250 करने का वादा किया। साथ ही ड्राइवरों की सैलरी को 21918 से बढ़ाकर 32918 रुपये करने का वादा किया।
आज DTC कर्मचारियों के चेहरों पर मुस्कान देखकर सुकून मिला। अपनी मांगें पूरी होने के बाद आज वे सचिवालय आए थे, हमने साथ बैठकर चाय पी। ये सिर्फ़ कर्मचारी ही नहीं, हमारे अपने परिवार के लोग हैं। यही लोग सड़कों पर हमारी दिल्ली को चलाते हैं, दिल्ली की लाइफ़लाइन हैं। हमें गर्व है कि हमारे… pic.twitter.com/uYW1FV30tI
— Atishi (@AtishiAAP) December 11, 2024
इसके आगे आतिशी ने एक राजनीतिक दांव भी चल दिया था। तब उन्होंने कहा था, 'अब यह प्रस्ताव एलजी के पास जाएगा और मुझे पूरी उम्मीद है कि आने वाले एक-दो महीनों में डीटीसी के ड्राइवरों और कंडक्टरों की सैलरी बढ़ जाएगी।'

9 दिसंबर 2025 को तत्कालीन सीएम आतिशी ने इसका ऐलान किया। AAP ने अपने चुनाव प्रचार में इस बात का खूब प्रचार भी किया। हालांकि, आज तक इसका सर्कुलर ही जारी नहीं किया गया। अब वही मांगें लेकर डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन के सदस्य और पदाधिकारी लगातार मंत्रियों और विधायकों से मिल चुके हैं। विधानसभा में डिप्टी स्पीकर मोहन सिंह बिष्ट, मंत्री कपिल मिश्रा, परिवहन मंत्री पंकज सिंह और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता तक से कर्मचारी यूनियन के लोग मुलाकात कर चुके हैं।
क्या है मौजूदा स्थिति?
फिलहाल, संविदा कर्मचारियों की नौकरी की कोई गारंटी नहीं है। स्थायी नौकरी न होने की स्थिति में ये कर्मचारी मुश्किल से अपना परिवार चला रहे हैं। खबरगांव से बातचीत में एक अन्य कर्मचारी ने बताया, 'मैं पिछले 7 साल से इसी उम्मीद में काम करता जा रहा हूं कि कभी न कभी तो नौकरी पक्की हो जाएगी और हमें भी समान वेतन मिलने लगेगा। पिछली AAP सरकार ने साथ बिठाकर आश्वासन दिया था लेकिन वह सिर्फ चुनावी जुमला निकला। नई सरकार से उम्मीद है लेकिन दो महीने बीत जाने के बाद भी कोई फैसला नहीं हुआ है। हम लोगों के पास उम्मीद ही है, इससे ज्यादा हम कुछ नहीं कर सकते।'
डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन के अध्यक्ष ललित चौधरी कहते हैं, 'हम जिन भी मंत्रियों से मिल रहे हैं, उनका यही कहना है कि अभी सरकार नई है, थोड़ा वक्त दीजिए। सीएम रेखा गुप्ता ने कहा है कि मामला उनके संज्ञान में है और इस पर काम हो रहा है। हम भी इस बात को समझते हैं। दो महीने हो गए हैं और दो-तीन महीने हम और देखेंगे, हमें किसी पार्टी से कोई मतलब नहीं है। हम तो कर्मचारी ही हैं, अगर यह सरकार भी नहीं सुनती है तो हम फिर से सड़क पर ही उतरेंगे।'
बेसिक+डीए से क्या होगा?
अभी के लिए किसी भी कर्मचारी को महीने की सैलरी नहीं मिलती। जितने दिन काम किए उसी के हिसाब से पैसे मिलते हैं। बेसिक सैलरी और डीए लागू हो जाने से ये कर्मचारी छुट्टी भी ले सकेंगे और किसी भी अन्य स्थिति में उनके पैसे नहीं कटेंगे। यानी एक निश्चित छुट्टी लेने या गजटेड हॉलीडे होने पर कर्मचारियों को छुट्टी भी मिल जाएगी और महीने के आखिर में सैलरी भी पूरी आएगी। हालांकि, इन कर्मचारियों की अंतिम मांग यही है कि इन्हें पक्का किया जाएगा।
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क्या हैं संविदा कर्मचारियों की मांगें?
- संविदा कर्मचारियों की नौकरी जब तक पक्की नहीं होती, तब तक बेसिक+DA और ग्रेडपे लागू किया जाए
- सभी अनुबंधित कर्मचारियों को 60 साल की उम्र तक जॉब सुरक्षा की गारंटी दी जाए
- सफाई कर्मचारियों को सिर्फ 4 घंटे की ड्यूटी के लिए रखा गया है, इनकी ड्यूटी 8 घंटे की हो और इनको PF, ESIC का फायदा देकर इन्हें डीटीसी के तहत किया जाए
- कर्मचारियों का ट्रांसफर उनके घर से 10 किलोमीटर के दायरे में किया जाए और ट्रांसफर में पारदर्शिता हो ताकि घूसखोरी बंद हो
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