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रुपया इंटरनेशनल बन गया तो भारत को क्या फायदा होगा?

कई संगठनों में शामिल देशों ने भारतीय रुपये को मान्यता देने की शुरुआत कर दी है। अगर 30 से ज्यादा देश ऐसा ही करें तो भारत को क्या फायदे हो सकते हैं, समझिए।

Indian Currency

इंडियन करेंसी, AI Generated Image

भारतीय मुद्रा (Indian Currency) इंटरनेशनल करंसी बनने की ओर तेजी से आगे बढ़ रही है। रूस, जर्मनी, श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात, मॉरीशस, मलेशिया, नेपाल, भूटान, सिंगापुर और इजरायल समेत कई देशों के साथ स्पेशल वोस्ट्रो अकाउंट्स बनाए गए हैं। इसका मकसद इन देशों को रुपये में व्यापार करना आसान बनाना है। अगर 30 देश ट्रेड में रुपये को मंजूरी देते हैं तो यह जल्द ही इंटरनेशनल करेंसी बन जाएगा।  

 

ब्रिक्स (Brazil, Russia, India, China, South Africa) ने अपने सदस्य देशों के बीच पहली बार भारतीय रुपये में ट्रेड करने की मंजूरी दे दी है। SCO समिट 2025 में डेवलपमेंट बैंक बनाने का फैसला लिया गया है। SCO में भारत दूसरा सबसे बड़ा शेयर होल्डर है।

 

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विशेष रुपया वोस्ट्रो अकाउंट्स (SRVA) क्या हैं?

 

SRVA विदेशी बैंको का भारतीय बैंकों में खोले गए खाते हैं। इनमें लेन-देन रुपये में होता है। इसका मकसद इंटरनेशनल मार्केट में डॉलर या यूरो पर निर्भरता कम करने के साथ रुपये को इंटरनेशनल लेवल पर बढ़ावा देना है। इसमें विदेशी खरीदार सीधे घरेलू निर्यातक को रुपये में भुगतान करते हैं। इससे विदेशी करेंसी के एक्सचेंज की जरूरत नहीं रहती है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इसकी शुरुआत जुलाई 2022 में की थी। 

 

UPI का ग्लोबलाइजेशन

 

भारत ने सिंगापुर, फ्रांस, संयुक्त अरब अमीरात और भूटान जैसे देशों के साथ यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI),को अपनाया है, जैसे कि PayNow। इसमें NPCI के जरिए किसी भी दूसरे देश के बैंक के साथ साझेदारी करके यूपीआई आईडी का इस्तेमाल कर पेंमेंट कर सकते हैं। इसका फायदा टूरिस्ट और बाहर रहने वाले लोगों को सीधे होता है। 

 

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RBI ने रुपये के ग्लोबलाइजेशन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। RBI ने 2024-25 में एक योजना प्रणाली जारी की जिसके तहत देश के बाहर खाता खोलने वाले लोगों के लिए नियम आसान बनाया जा सके। भारत में निवेश और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए रुपये को बढ़ावा दिया जा रहा है। 

 

भारत को इससे फायदा 

 

  • इससे भारत का डॉलर पर निर्भरता कम होगी क्योंकि अभी ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय व्यापार डॉलर में होता है। इससे देश को बार-बार डॉलर की जरूरत नहीं पड़ेगी। 
  • भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) की बचत होगी। डॉलर की मांग कम होने से भारत का फॉरेक्स रिजर्व मजबूत होगा। 
  • जिन देशों के साथ भारत का आयात-निर्यात असंतुलित है, वहां रुपये के इस्तेमाल से सुधार होगा।
  • अगर ज्यादा देश रुपये को स्वीकार करते हैं तो धीरे-धीरे रुपया एक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के तौर पर स्थापित होगा।
  • रूस और ईरान जैसे देशों पर पश्चिमी प्रतिबंध हैं लेकिन रुपये में व्यापार से भारत आसानी से उनसे लेन-देन कर पा रहा है।

 

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किन देशों ने रुपये को मंजूरी दी

 

  • नेपाल में पहले से ही व्यापार का बड़ा हिस्सा रुपये में होता है। 
  • भूटान में लगभग पूरा व्यापार रुपये में ही होता है।
  • श्रीलंका में अपनी विदेशी मुद्रा सूची में रुपये को शामिल कर चुका है।
  • बांग्लादेश में जुलाई 2023 से रुपये में व्यापार शुरू किया।
  • मलेशिया में अप्रैल 2023 से रुपये में लेन-देन की सहमति दी।
  • रूस में पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद रूस ने बड़े पैमाने पर रुपये में व्यापार शुरू किया।
  • ईरान में तेल और अन्य व्यापार में रुपये का उपयोग।
  • संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में 2023 से रुपया–दिरहम व्यापार शुरू किया, यहां तक कि कच्चे तेल का भुगतान रुपये में किया जा रहा है।

 

इसके अलावा, RBI ने अब तक 22 देशों को रुपये में व्यापार करने की अनुमति दी है। इनमें जर्मनी, यूके, सिंगापुर, म्यांमार, मॉरीशस, केन्या, तंजानिया, बेलारूस, कजाकिस्तान, मालदीव जैसे देश भी शामिल हैं।

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