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'गंगा का पानी नहाने लायक था', 25 दिन में ही CPCB का यूटर्न?

महाकुंभ के दौरान गंगा-यमुना के पानी को लेकर आई CPCB की रिपोर्ट पर काफी बवाल हुआ था। अब CPCB की नई रिपोर्ट आई है, जिसमें माना गया है कि गंगा का पानी नहाने लायक था।

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कुंभ के दौरान स्नान करते श्रद्धालु। (File Photo Credit: PTI)

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की गंगा के पानी को लेकर अब एक नई रिपोर्ट आई है। इस रिपोर्ट में CPCB ने बताया है कि महाकुंभ के दौरान गंगा का पानी नहाने के लिए सही था।


इससे पहले 3 फरवरी को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को सौंपी रिपोर्ट में CPCB ने बताया था कि गंगा का पानी डुबकी लगाने लायक नहीं है। CPCB ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि गंगा-यमुना के पानी में तय मात्रा से ज्यादा फीकल कोलीफॉर्म पाया गया है। हालांकि, इस रिपोर्ट के ठीक 25 दिन बाद 28 फरवरी को NGT को सौंपी CPCB ने अपनी रिपोर्ट में माना है कि गंगा का पानी नहाने लायक था। हालांकि, इस रिपोर्ट को NGT की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है।


अब नई रिपोर्ट में CPCB ने कहा है कि डेटा के एनालिसिस से पता चला है कि महाकुंभ के दौरान गंगा का पानी डुबकी के लिए सही था। इस मामले पर NGT में अब अगली सुनवाई 7 अप्रैल को होगी।

 

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नई रिपोर्ट में CPCB ने क्या कहा?

नई रिपोर्ट में CPCB ने बताया है कि एक ही दिन जगह से अलग-अलग तारीखों और अलग-अलग जगहों से एक ही तारीख पर लिए गए सैंपल की वजह से 'आंकड़े भी अलग-अलग' थे, इसलिए यह पूरे पानी की क्वालिटी को नहीं दिखाते हैं।


रिपोर्ट में CPCB ने बताया है कि 12 जनवरी से हर हफ्ते दो बार पानी की जांच की गई है। गंगा नदी की 5 और यमुना नदी की 2 जगहें भी शामिल हैं। इसमें कहा गया है, 'अलग-अलग तारीखों पर एक ही स्थान से लिए गए सैंपल में pH, डिजॉल्व्ड ऑक्सीजन (DO, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) और फीकल कोलिफॉर्म काउंट (FC) में अंतर है। इसी तरह अलग-अलग जगहों से एक ही दिन लिए गए सैंपल में भी फर्क पाया गया है।'

 

CPCB ने रिपोर्ट में बताया है कि एक एक्सपर्ट कमेटी ने 'डेटा में वैरिएबिलिटी' के मुद्दे की जांच की और पाया कि एक खास जगह और एक तय समय पर पानी की क्वालिटी दिखाता है, इसलिए जरूरी नहीं है कि यह डेटा नदी के पूरे पानी की क्वालिटी को दिखाता हो।


नई रिपोर्ट में बोर्ड ने बताया है, '12 जनवरी से 22 फरवरी तक सामूहिक स्नान वाली 10 जगहों के सैंपल की जांच की गई, जिसमें पाया गया कि pH, DO, BOD और फीकल कोलिफॉर्म की मात्रा तय मानक के भीतर आई।'

 

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जांच में क्या आया?

CPCB ने रिपोर्ट में बताया है कि पानी में फीकल कोलिफॉर्म की औसत मात्रा 1,400 पाई गई, जबकि इसकी सीमा 2,500 यूनिट प्रति 100 मिली लीटर है। इसी तरह एक लीटर पानी में BOD की मात्रा 3 मिलीग्राम या इससे कम होनी चाहिए, जबकि जांच में इसकी मात्रा 2.56 मिली।

पिछली रिपोर्ट में क्या आया था?

3 फरवरी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में CPCB में बताया था कि गंगा-यमुना के पानी में फीकल कोलिफॉर्म की मात्रा तय मानक से कहीं ज्यादा पाई गई है। CPCB ने गंगा के पानी को नहाने के लायक नहीं माना था। 


फीकल कोलिफॉर्म असल में वह बैक्टीरिया होता है, जो जानवरों या इंसानों के मल में पाया जाता है। उस रिपोर्ट में CPCB ने बताया था कि 13 जनवरी को गंगा की दीहा घाट और यमुना के पुराने नैनी ब्रिज के सैंपल में 100 मिलीलीटर पानी में फीकल कोलिफॉर्म की मात्रा 33,000 पाई गई थी। इसी तरह, त्रिवेणी संगम में फीकल कोलिफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा 100 मिलीलीटर पानी में 13,000 पाई गई थी।


इस रिपोर्ट के आने के बाद काफी सियासी घमासान हुआ था। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसे खारिज करते हुए कहा था कि गंगा का पानी न सिर्फ नहाने बल्कि पीने के लिए भी सही है।

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